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पंचायत अधिकारियों का कार्य बहिष्कार: ग्राम सरकार का कामकाज ठप्प

पोखरी से राजेश्वरी राणा
उत्तराखण्ड के सेकड़ों ग्राम पंचायत अधिकारियों के कार्य बहिष्कार को एक सप्ताह होने को है। ग्रामीण क्षेंत्रों में पंचायतीराज विभाग की ओर से संचालित अनेक विकास एवं कल्याणकारी सयोजनाओं से संबंधित गतिविधियां ठप्प पड़ी हैं, मगर राज्य सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। चूंकि इस विभाग द्वारा संचालित अधिकांश योजनाएं अति गरीबों, पिछड़ों और असहायों से सम्बन्धित होती हैं, इसलिये राज्य शासन बेफिक्र बैठा हुआ है। सरकार को पंचायतीराज के प्रति संविधान की प्रतिबद्धता भी याद नहीं है। इन आन्दोलित पंचायतकर्मियों को प्रदेश के ग्राम प्रधानों का पूरा समर्थन मिल रहा है।

राज्य शासन द्वारा ग्राम पंचापयत स्तर पर ग्राम विकास विभाग और पंचायतीराज विभाग के कार्यात्मक एकीकरण के विरोध में प्रदेश की लगभग 16 हजार ग्राम पंचायतों में पंचायतीराज का कार्य संभाल रहे लगभग 8 सौ ग्राम पंचायत अधिकारी कार्य बहिष्कार पर हैं। इस कार्य बहिष्कार के कारण ग्ररीबों, दलितों, विधवाओं और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को पंचायती राज विभाग से मिलने वाली कल्याणकारी सुविधाओं का कार्य ठप्प होने के साथ ही जन्म मृत्यु पंजीकरण, राशनकार्ड आदि का कमा प्रभावित हो रहा है।

सोमवार को चमोली जिले के आन्दोलित ग्राम पंचायत अधिकारियों को पोखरी तथा दशोली ब्लाक के ग्राम प्रधान संगठनों ने समर्थन देकर उनकी मांग तत्काल स्वीकार करने का अनुरोध राज्य सरकार से किया है। आन्दोलनकारियों की मांग है कि निचले स्तर पर कार्यात्मक एकीकरण न किया जाय। चूंकि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार संवैधानिक संस्था पंचायतीराज का किसी अन्य विभाग में विलीनीकरण संभव नहीं है। इसलिये अगर अगर सरकार को एकीकरण करना ही है तो ग्राम विकास विभाग का पंचायतीराज में एकीकरण किया जा सकता है
। जैसा कि हिमाचल आदि राज्यों में किया जा चुका है।
ग्राम पंचायत अधिकारियों के कार्य बहिष्कार से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, यह उनके निम्न लिखित कार्यों और दायित्वों को देख कर समझा जा सकता है।

ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के कार्यः

1. राजकीय नलकूप सम्बन्धी कार्य।
2. 2. हैण्ड पम्प से सम्बन्धित कार्य।
3. युवा कल्याण के कार्य। 4.
4. राशन की दुकान से सम्बन्धित कार्य। 5.
5. चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण से सम्बन्धित कार्य। 6.
6. कृषि से सम्बन्धित कार्य।

पंचायतीराज विभाग से सम्बन्धित कार्य निम्न प्र सम्बन्धित कार्य निम्न प्रकार हैः-

2.सचिव होने के नाते गांव सभाओं की वर्ष में दो बार तथा गांव पंचायतों की प्रतिमास बैठकें आयोजित कराना, उसकी कार्यवाही लिखना एवं उनके द्वारा पारित प्रस्तावों का कार्यान्वयन कराना।
2.निर्धारित विधि के अनुसार गांव सभाओं एवं गावं पंचायतों की अनुमति प्राप्त करके पंचायत की 01 अप्रैल से प्रारम्भ होने वाले वर्ष का अनुमानित बजट तैयार करना तथा 3 मार्च को समाप्त होने वाले वर्ष वास्तविक और अनुमानित आय तथा व्यय का विवरण पचायतों की बैठक में प्रस्तुत करना।
3.गांव पंचायतों को प्राप्त कर, शुल्क गांव समाज की आय तथा शासकीय आय क रूप मंे प्राप्त धनराशि का लेखा रखना तथा नियमानुसार व्यय का हिसाब-किताव रखना।
4. धरोहर तथा स्टाक रजिस्टर को निर्धारित रूप-पत्र पर रखना।
5.पंचायत कर निर्धारण में किसी प्रकार की अनियमितता न होने के लिए दृष्टि रखना तथा यह सुनिश्चित करना कि ऐसे व्यक्ति शेष नहीं रह गये है, जिन्होंने पंचायत टैक्स न अदा किया हो। कर निर्धारण की सूची तैयार करक आपत्तियां मांगना एवं मांग वसूली का रजिस्टर तैयार करना तथा वसूली निश्चित करना।
6. यह सुनिश्चित करना कि गांव सभा में बिना लाइसेन्स प्राप्त किये किसी के द्वारा व्यापार तथा पेशा नहीं किया जाता है।
7. परिवार रजिस्टर की सुरक्षा एवं निर्धारित विधि से त्रैमासिक संशोधन करना।
8. गांव सभा में क्षेत्र में पड़ने वाले सार्वजनिक भवन तथा अन्य सम्पत्तियों की देखभाल करना तथा अतिक्रमणों को दूर करना।

9. पंजीकरण अधिकारी के नाते गांव सभाओं के जन्म मृत्यु रजिस्टर को उचित ढंग से पूर्ण करना।
10. गांव पंचायत की समितियों की बैठकों की व्यवस्था करना तथा उनके प्रस्तावों पर कार्यवाही करना ।
11. गांव सभा कर्मचारियों पर नियंत्रण रखना ।
12. परिवार रजिस्टर का त्रैमासिक संशोधन एवं अनुरक्षण ।
13. प्रौढ़ शिक्षा के कार्य को बढ़ावा देना।
14. गांव सभाओं की सम्पत्ति को नीलामी आदि से होने वाली आय का गांव सभा काश उसके
खाते में जमा कराना ।
15. गांव पंचायतों के लिए प्रपत्रों तथा अभिलेखों का रख-रखाव और अद्यावणिक अंकन ।
16. गांव सभा मतदाता सूची को तैयार कर न्याय पंचायत केन्द्र पर प्रकाशन ।
17. पंचायत उद्योगो की स्थापना ।
18. राष्ट्रीय बचत पासबुक में धन जमा कराना तथा बचत पत्रों का क्रय करानां ।
19. ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम का क्रियान्वयन ।
20. गांव सभाओं से सम्बन्धित अन्य कार्य जो समय-2 पर सौंपे जायें।
21. अन्य कोई कर्तव्य जो शासन अथवा निदेशक पंचायत राज द्वारा समय-2 पर निर्धारित किये

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