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उत्तराखण्ड में बेमौसम बरसात ने ले ली 80 से अधिक लोगों की जानें

देहरादून, 23 अक्टूबर। अपनी विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण उत्तराखण्ड में दैवी आपदाओं की दृष्टि से मानसून के महीने बहुत ही संवेदनशील होते हैं। लेकिन इस बार मानसून के जाने के बाद 18 और 19 अक्टूबर की विनाशकारी बारिश में तो अतिवृष्टि और नुकसान के मामले में मानसून सीजन के भी रिकाड तोड़ दिये। इस कुदरती कहर ने 2013 की केदारनाथ आपदा की याद ताजा कर दी है। मानसून के बाद बारिश इतना भयावह रूप ले लेगी, इसका किसी को अंदाजा नहीं था। 8 अक्टूबर को मानसून की विदाई के बाद राज्य में बिगड़ैल मौसम ने कम से कम 78 लोगों की जानें ले लीं। इनमें 9 वे पर्यटक भी शामिल हैं जो कि ट्रैंिकंग पर उत्तरकाशी जिले में गये थे।

राज्य आपातकालीन परिचालन केन्द्र देहरादून द्वारा शनिवार सांय 5 बजे जारी आपदा रिपोर्ट के अनुसार अब तक अतिवृष्टि आपदा में 65 मृतकों के शव बरामद हो चुके हैं जबकि 4 लापता है। मलबे के नीचे लापता होने का मतलब समझा जा सकता है। इसलिये कम से कम 78 लोगों के मारे जाने की आशंका है। इस आपदा में अलावा 22 लोग घायल हुये हैं और 225 मकान क्षतिग्रस्त हुये हैं। इनके अलावा भी उत्तरकाशी के लमखागा क्षेत्र में टैªकिंग पर गये 7 पर्यटकों के शव बरामद हो चुके हैं और 2 लापता होने के साथ ही 2 घायलों को बचा लिया गया। इस प्रकार देखा जाये इनमें भी मृतकों की संख्या 9 तक पहुंच गयी है। आसमानी कहर में लगभग 224 मकान क्षतिग्रस्त हुये हैं।

आपदा परिचालन केन्द्र के अनुसार दो दिनों की इस आफत में सबसे ज्यादा आफत नैनीताल जिले में बरसी, जहां 35 लोग मारे गये, 5 घायल हुये और 74 मकान क्षतिग्रस्त हुये हैं। नैनीताल जिले में सबसे अधिक तबाही रामगढ़ सकुना में हुयी जहां 9 लोग मारे गये और 74 मकान क्षतिग्रस्त हुये हैं। अल्मोड़ा में 6 लोग मारे गये, 2 घायल हुये तथा 40 मकान क्षतिग्रस्त हुये हैं। यहां भिकियासैण में ज्यादा तबाही हुयी। चम्पावत जिले में 11 लोग मारे गये 4 घायल हुये और 2 मकान हानि हुयी। उधमसिंहनगर में 2 मरे, 3 घायल और 93 मकान हानि हुयी। पिथौरागढ़ जिले में 3 मरे और  2 घायल हुये। बागेश्वर जिले में केवल 1 व्यक्ति की मृत्यु हुयी जबकि चमोली में 1 मरा, 4 घायल और 2 लापता हैं। वहां 15 मकान हानियां हुयीं। पौड़ी में 3 मरे और दो घायल हुये। उत्तरकाशी में 3 मरे और दो घायल हुये हैं।

उत्तरकाशी जिले में ही 14 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक एक 17 सदस्यीय दल उत्तरकाशी से लमखागा पास तक टैªकिंग पर गया था। इसमें 6 पोर्टर भी शामिल थे। इनमें से 6 पोर्टर हिमाचल प्रदेश के रानी काण्डा तक सुरक्षित पहुंच गये। इनमें से 11 सदस्यीय दल 17 अक्टूबर को मौसम खराब होने के कारण बर्फबारी में फंस गया। इनमें से 7 के शव बरामद हो गये, 2 लापता हैं और 2 को रेस्क्यू कर लिया गया है। इनके अलावा आइटीवीपी के बार्डर क्षेत्र नीलापानी में 15 अक्टूबर से 18 अक्टूबर अग्रिम चौकी नागा से एसआरपी के दौरान बर्फबारी के कारण दल से कुछ सदस्य बिछड़ गये जिनमें से 5 के शव बरामद हो चुके हैं और 2 घायलों को रेस्क्यू कर दिया गया है। इस प्रकार देखा जाय तो कुछ ही दिनों के अंदर मरने वालों की संख्या 80 पार कर गयी है। यही नहीं सेकड़ों मार्ग क्षतिग्रस्त हो गये हैं।

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी लगातार पांचवें दिन आपदा प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर रहे। इस दौरान उन्होंने पीड़ितों का हाल जाना। उनका दुःखदृदर्द साझा किया। हर इलाके में हुए नुकसान की जानकारी ली। प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। अपने हाथों से सहायता राशि के चेक वितरित किए। हर जनपद में अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें उचित दिशा निर्देश जारी किए। मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर प्रभावित लोगों में भी आस जगी है।

 

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