बिजली संकट से निपटने के लिए पावर हॉउसों का परिचालन अधिकतम क्षमता पर
नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (PIB )
यह बात सरकार के संज्ञान में यह लाई गई है कि कुछ बिजली संयंत्र कभी भी अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर रहे हैं। ऐसे में उपयोग न की जाने वाली क्षमता बेकार रहती है क्योंकि वे बिजली खरीद समझौतों के तहत बंधे हैं। जबकि जनहित में इस प्रकार की बिजली को उन जगहों पर भेजने की जरूरत है जहां ग्रिड में अन्य उपयोगकर्ताओं अथवा उपभोक्ताओं द्वारा आवश्यकता दिखाई गई हो।
टैरिफ नीति 2016 के अनुसार, बिजली संयंत्रों को हर समय आपूर्ति के लिए उपलब्ध एवं तैयार होना आवश्यक है। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 63 के तहत पीपीए अनुबंध करने वाले और धारा 62 के तहत विनियमित किसी भी उत्पादन संयंत्र की गैर-आवश्यक उत्पादन क्षमता के अधिकतम उपयोग के लिए उत्पादक कंपनियों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नीति के अनुरूप बाजार में बिजली बेचने की अनुमति दी गई है।
उपरोक्त कारकों को ध्यान में रखते हुए और उन पर गंभीरतापूर्वक विचार करने के बाद केंद्रीय विद्युत और एमएनआरई मंत्री श्री आरके सिंह ने टैरिफ नीति 2016 के उपरोक्त प्रावधानों के अनुसार निम्नलिखित दिशानिर्देशों को मंजूरी दी है।
- यदि खरीदार बिजली की डिलिवरी के दिन के00 बजे से 24 घंटे पहले तक हस्ताक्षर किए गए बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के अनुरूप बिजली की मांग नहीं करता है तो उत्पादक बिना मांग वाली बिजली को बिजली एक्सचेंज को बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।
- यदि खरीदार किसी अवधि के लिए पूर्ण या आंशिक क्षमता के लिए उस उत्पादन स्टेशन से बिजली शेड्यूल न करने का फैसला करता है जिसके साथ उसने पीपीए पर हस्ताक्षर किए हैं तो 24 घंटे के बाद उत्पादक उस अवधि के लिए बिना मांग वाली बिजली की बिक्री बिजली एक्सचेंज को करने के लिए स्वतंत्र होगा।
- यदि उपरोक्त (i) और (ii) में बताई गई स्थिति में बिना मांग वाली बिजली की बिक्री बिजली एक्सचेंज को की जाती है तो प्राप्त लाभ में पीपीए पर हस्ताक्षर करने वाले डेवलपर और खरीदार की हिस्सेदारी 50:50 अनुपात में होगी बशर्ते पीपीए में इसके लिए कोई प्रावधान न हो। इस प्रकार के लाभ की गणना ऐसी बिजली के विक्रय मूल्य और बिजली अधिनियम 2003 की धारा 62 या धारा 63 के तहत निर्धारित ऊर्जा शुल्क दर (ईसीआर) के बीच अंतर के रूप में की जाएगी।
- खरीदार के लिए निर्धारित शुल्क से संबंधित दायित्व पीपीए के अनुसार बरकरार रहेगा।
- उपरोक्त प्रावधान उन दोनों बिजली संयंत्रों पर लागू होंगे जिनका टैरिफ विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 62 या धारा 63 के तहत निर्धारित किया गया है।