Front Page

रिद्धि-सिद्धि भवन में धर्मधुरंधर महाराजश्री के सानिध्य में हुई शांतिधारा

उत्तम शौच धर्म; आस्थामय संगीत पर श्रावक-श्राविकाओं को भक्तिसागर में लगवाई बार-बार डुबकी

-प्रो. श्याम सुंदर भाटिया

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के रिद्धि-सिद्धि भवन में पूजा अर्चना के दौरान जैनाचार्य श्रीमद् विजय धर्मधुरंधर सुरीश्वर जी महाराज का विशेष सानिध्य प्राप्त हुआ। उत्तम शौच धर्म पर शांतिधारा धर्मधुरंधर सुरीश्वर जी महाराज की देखरेख में हुई। इस पावन अवसर पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। भोपाल से आए रजनीश जैन एंड पार्टी के सुरीली स्वर औऱ आस्थामय संगीत पर श्रावक-श्राविकाओं को भक्तिसागर में बार-बार डुबकी लगवाई। झूम रही धरती, झूम रहा आसमां…., जब से गुरुदर्श मिला, मन है मेरा खिला-खिला…., केसरिया-केसरिया आज हमारो रंग केसरिया…, ढोल बजा के बोल, बाबा मेरा है…, लागी लागी रे लगन प्रभु थारे नाम की…, आदि भजनों पर चमर हाथों में लिए श्रावक-श्राविकाएं भक्ति में लीन हो गए। प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य बीडीएस के हर्षित सेठी, संयम जैन, द्वितीय स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य अक्षत जैन, पीयूष जैन, तृतीय स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य आयुष जैन हिमांशु जैन,चतुर्थ स्वर्ण कलश से अभिषेक करने सौभाग्य हर्षित जैन, अभिषेक जैन को प्राप्त हुआ। सुरीश्वर जी महाराज के सानिध्य में शांतिधारा हुई। प्रथम शांतिधारा करने का सौभाग्य बीडीएस के स्टुडेंट्स को प्राप्त हुआ। इसमें संचित जैन, अरिहंत जैन, डॉ. रजनीश जैन, तीर्थ जैन, हिमांशु जैन आदि शामिल रहे। द्वितीय शांतिधारा का सौभाग्य अंकित जैन, निशांत जैन, ऋतिक जैन, सुजल जैन, विनायक जैन, शुभम जैन, अभिजीत जैन, पारस जैन, हर्षित जैन, अरुण जैन को मिला।

क्षमा को किसी धर्म या जाति की बाध्यता नहीं; सुरीश्वर जी महाराज

ऑडी में जैनाचार्य श्रीमद् विजय धर्मधुरंधर सुरीश्वर जी महाराज औऱ प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन के प्रवचनों से श्रोतागणों के हृदय में भक्ति की धारा बही। धर्मधुरंधर सुरीश्वर जी महाराज ने मानव के क्रोधित होने के कारण बताए। महाराज जी ने कहा, मानव की अपेक्षा पूरी ना होने के कारण ह्रदय में क्रोध उत्पन्न होता है। उन्होंने, राजा की कहानी के माध्यम से अपेक्षा की पूर्ति ना होना ही क्रोध का मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा, महावीर भगवान ने क्रोध आने के दस कारण बताए हैं, जिनमें अपेक्षा आपूर्ति मुख्य कारण है। क्रोध की प्रक्रिया काफी लम्बे समय तक बल्कि जन्मों-जन्मों तक रहती है। अंत में गुरु जी ने क्षमा न करने औऱ क्षमा न लेने वाले दोनों को नरक गति का कारण बताया। क्षमा को न किसी धर्म, न किसी जाति की बाध्यता है, वह तो आत्मा का भाव है। क्षमा करने से आत्मसंतुष्टि औऱ शांति की प्राप्ति होती है। श्रीमती ऋचा जैन ने अतिथियों को सम्मानित किया। इसके पश्चात बीडीएस औऱ एमडीएस के फाइनल ईयर स्टुडेंट्स को फेयरवेल दी गई। इनमें बीडीएस के 17 औऱ एमडीएस के 04 स्टुडेंट्स शामिल रहे। कुलाधिपति परिवार के के संग-संग डॉ. मनीष गोयल, डॉ. एमके सुनिल, डॉ. मेघानन्द नायक, डॉ. नीलिमा गहलोत, डॉ. रामाकृष्णा यलूरी, डॉ. प्रदीप तांगड़े, डॉ. उपेंद्र मालिक, डॉ. सलभ मेहरोत्रा, डॉ. तनवीर आदि की मौजूदगी रही। कार्यक्रम की कॉर्डिनटर्स डॉ. अंकिता जैन, डॉ. ऋषिका  औऱ डॉ. प्रियंका रहीं। अंत में प्राचार्य डॉ. मनीष गोयल ने सभी का आभार व्यक्त किया। इनके अलावा डॉ. एसके जैन, डॉ. विपिन जैन, डॉ. रत्नेश जैन, डॉ. कल्पना जैन, प्रो. रवि जैन आदि भी उपस्थित रहे।

शारीरिक, मानसिक औऱ आंतरिक स्वच्छता का दिन ही उत्तम शौच; प्रतिष्ठाचार्य

उत्तम शौच की महिमा बताते हुए सम्मेद शिखर से आए प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन ने कहा, उत्तम शौच का अर्थ है, शुद्धि करना। जब लोभ कसाय ख़त्म होगी तो शौच धर्म आएगा। लोभ से तात्पर्य है, पैसे कपडे आदि का मोह होना है। आचार्यश्री ने कहा है, परिग्रह किसी भी चीज के प्रति आसक्ति होना लोभ होता है। विज्ञान के हिसाब से ढाई किलो मल हमेशा शरीर में विद्यमान रहता है। साथ ही शारीरिक, मानसिक औऱ आंतरिक स्वच्छता का ही यह दिन है, जिसमें अंतरयात्रा औऱ पवित्रता का शुभारम्भ करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। प्रवचन से पूर्व नवदेवता पूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरू पूजन औऱ दसलक्षण पूजन कराई। ऑडी में बोलते हुए प्रतिष्ठाचार्य जी ने कहा, आर्जव धर्म वस्तु को उसके मूल स्वभाव से भिन्न नहीं जाना चाहिए। उन्होंने तीन तरह के मानव चरित्रों का उल्लेख किया। एक- वह मानव जो मन से कुछ औऱ एवं बाहर से कुछ औऱ होता है। दो- जो मन से औऱ बाहर से एक जैसा होता है। तीसरा- जो हमेशा कठिन रहे।

अपूर्व शर्मा को परफ़ॉर्मर ऑफ़ द डे का ख़िताब

कल्चरल इवनिंग के दौरान डेंटल कॉलेज के स्टुडेंट्स की ओर से प्ले वीर से महावीर तक का सफर का मंचन किया गया। इसमें महावीर के किरदार में छात्र उत्सव ने पांचों नामों का चित्रण बखूबी किया। नाटक के जरिए यह बताया गया, बल से वीर, यश औऱ वैभव से वर्धमान, समझ से सन्मति, अतिवीर से महावीर बने। करीब 25 मिनट के इस नाटक में भगवान महावीर के पिताश्री राजा सिद्धार्थ की भूमिका अपूर्व, माताश्री रानी त्रिशला की भूमिका अदिति, इंद्र की भूमिका तीर्थ औऱ इंद्राणी की भूमिका दिव्या, वर्धमान की भूमिका आदित्य ने निभाई। इनके अलावा  8 औऱ स्टुडेंट्स ने भी इस नाटक में भाग लिया। इससे पूर्व माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन किया गया, जिसमें कुलाधिपति परिवार के अलावा डेंटल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मनीष गोयल औऱ डेंटल कॉलेज के फैकल्टी मेंबर्स भी मौजूद रहे। चीफ गेस्ट के रूप में श्री राजीव जैन औऱ धर्मपत्नी श्रीमती लता जैन मौजूद रहे। निर्णायक मंडल में श्रीमती ममता जैन औऱ श्रीमती विनीता जैन शामिल रहे। इन दोनों अतिथियों को डेंटल कॉलेज के प्रिंसिपल ने स्मृति चिन्ह देकर सम्म्मानित दिया। क्लासिकल डांस के जरिए मंगलाचरण की प्रस्तुति की गई। इसमें जयश्री, अपूर्व, दिव्या औऱ उत्सव ने भाग लिया। परफ़ॉर्मर ऑफ़ द डे का ख़िताब अपूर्व शर्मा ने अपने नाम किया। बीडीएस थर्ड ईयर के छात्र-छात्राओं ने नृत्य करके अपनी कला का प्रदर्शन किया। इसमें संचित, आयुषी, रिया, अरिहंत, वंशिका औऱ आदित्य ने प्रतिभाग किया। बीडीएस के फर्स्ट ईयर के स्टुडेंट्स ने भी अपने डांस परफॉरमेंस पर खूब तालियां बटोरीं। इसमें वर्णिका, कशिश, अनन्य, ख़ुशी, अतुल्य, साक्षी आदि ने पार्टिसिपेट किया। डेंटल कॉलेज की दो छात्राओं ने डुएट परफॉरमेंस देकर नारी-शक्ति पर हो रहे अत्याचारों की प्रस्तुति दी। साथ ही धरती सुनहरी अम्बर नीला, ऐसा देश है मेरा… आदि गीत गाकर ऑडी में बैठे सभी दर्शकों में देशभक्ति की अलख जगा दी। कल्चरल इवनिंग का इंटर्न्स ने अपने नृत्य प्रस्तुति दी। इसमें प्रियंका, सोनाली, रौनक, सृष्टि, रिया औऱ हर्षित ने भाग लिया। इससे पूर्व जिनालय से रिद्धि-सिद्धि भवन तक दिव्यघोष के बीच आरती लाई गई, जिसमें डेंटल कॉलेज के प्रिंसिपल औऱ अन्य फैकल्टी मेंबर्स की उपस्थित रहे। आरती के बाद भक्ताम्बर पाठ हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!