राष्ट्रीय

प्रधानमंत्री ने लाल किले से कहा देश के सामने परिवारवाद भी एक बड़ी चुनौती

 

नयी दिल्ली, 15  अगस्त (उहि ).  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हुए कहा कि  हम जैसे हैं वैसे, यह हमारा मिजाज होना चाहिए। उन्होंने देशवासियों को संकल्प दिलाया कि अब हमें रुकना नहीं है, अगले 25 साल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाना ही होगा।

प्रधानमंत्री  ने कहा कि देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती – भ्रष्टाचार और दूसरी चुनौती भाई-भतीजावाद और परिवारवाद है। मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं।अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें जय विज्ञान जोड़ा. और अब इसमें जय अनुसंधान जोड़ने का समय आ गया है. अब जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान हो.

पीएम मोदी ने कहा कि हम 5 जी की ओर बढ़ रहे हैं. इंटनेट फाइवर गांवों तक पहुंच रहा है. हम डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. कई कामन सेंटर गांवों में चल रहे हैं. डिजिटल क्रांति से विश्‍व बढ़ रहा है.

पीएम मोदी ने कहा कि हम 5 जी की ओर बढ़ रहे हैं. इंटनेट फाइवर गांवों तक पहुंच रहा है. हम डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. कई कामन सेंटर गांवों में चल रहे हैं. डिजिटल क्रांति से विश्‍व बढ़ रहा है.पीएम मोदी ने कहा कि भारत को देखने का दुनिया का नजरिया बदल रहा है. ‘अमृत काल’ इस आकांक्षी समाज के सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने का स्वर्णिम अवसर उपलब्ध करा रहा है. ‘हर घर तिरंगा’ हमारे गौरवशाली देश की भावना का जश्न मनाने के लिए पूरे देश के एक साथ आने का उदाहरण है. प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में भारत को सशक्त बना रहीं आकांक्षाओं, पुनर्जागरण और दुनिया की उम्मीदों की ‘त्रिशक्ति’ का जिक्र किया. भारत के लोग सकारात्मक बदलाव चाहते हैं और वे तीव्र गति से ऐसा होते देखना चाहते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से ये 5 प्रण दिलाये

-विकसित भारत- अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए.

-गुलामी के हर अंश से मुक्ति का प्रण- दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना.

-विरासत पर गर्व- तीसरी प्रण शक्ति है कि हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए. यही विरासत है, जिसने भारत को स्वर्णिम काल दिया था. यह विरासत है जो समय समय पर परिवर्तन करने का सामर्थ्य रखती है.

-एकता और एकजुटता का प्रण- चौथा प्रण है एकता और एकजुटता. 130 करोड़ देशवासियों में एकजुटता. न कोई अपना न कोई पराया. एक भारत औऱ श्रेष्ठ भारत के लिए यह प्रण है.

-नागरिकों को अपने कर्तव्यपालन का प्रण- पीएम मोदी ने कहा, 5वां प्रण है नागरिकों का कर्तव्य. इससे पीएम, मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं होता है. ये 25 सालों के संकल्प को पूरा करने के लिए हमारे प्रण हैं.

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