शिक्षा/साहित्य

स्वास्थ्य चिंतन शिविर में उत्तराखंड के लिए पब्लिक हेल्थ कैडर की मांग उठी

*दून में सेन्ट्रल काउंसिल ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के स्वास्थ्य चिन्तन शिविर के बीच एसडीसी फाउंडेशन ने रखी उत्तराखंड में पब्लिक हेल्थ कैडर की मांग*
देहरादून, 14 जुलाई। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री और देशभर के विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों की मौजूदगी के बीच उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन की ओर से पब्लिक हेल्थ कैडर की मांग सामने आयी है।
अनूप नौटियाल, संस्थापक एसडीसी फाउंडेशन
देहरादून में केन्द्र सरकार की शीर्ष स्वास्थ्य परामर्शदात्री समिति सेन्ट्रल काउंसिल ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर का दो दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर चल रहा है। इस शिविर में हिस्सा लेने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया के साथ ही केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री और देश के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री देहरादून में हैं।
इस चिंतन शिविर के मौके पर एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का मुद्दा उठाया है और राज्य में हेल्थ कैडर स्थापित करने की मांग रखी है।
एक प्रेस नोट जारी कर एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा है कि यह सही मौका जब हमें उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाना चाहिए, ताकि यह बात चिंतन शिविर तक पहुंचे। उनका कहना है कि एनएफएचएस-4 की तुलना में उत्तराखंड में कई हेल्थ इंडिकेटर्स में सुधार हुआ है लेकिन कई अन्य क्षेत्रों में अब भी सुधार की बेहद जरूरत है। यह सुधार राज्य में पब्लिक हेल्थ कैडर बनाकर संभव हो सकता है।
उनके अनुसार राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 1067 पद स्वीकृत हैं, लेकिन केवल 436 पदों पर ही नियुक्तियां हुई है। यानी मंजूरशुदा पदों की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत विशेषज्ञ कम हैं।
अस्पतालों में क्लीनिकल विशेषज्ञों की भारी कमी है। जो डॉक्टर हैं, उनमें से कई को प्रशासनिक पदों पर तैनात किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण और ईएसआई जैसे संस्थान कई ऐसे अधिकारियों को सौंपे गये हैं जिनके पास भारत सरकार द्वारा उन पदों के सापेक्ष निर्धारित डिग्री नहीं है।
अनूप नौटियाल के अनुसार राज्य में 29 सामुदायिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं, लेकिन उनमें से कोई भी उनकी योग्यता के अनुरूप पद पर तैनात नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा पब्लिक हेल्थ कैडर बनाने के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है, लेकिन उत्तराखंड सरकार अपनी तरफ से संसाधन नहीं जुटा पा रही है।
उनका कहना है कि तमिलनाडु जैसे जिन राज्यों ने हेल्थ इंडिकेटर्स में अच्छा सुधार किया है, वहां एक पब्लिक हेल्थ विंग है। कुछ राज्यों में अलग से पब्लिक हेल्थ महानिदेशक भी है।
उनका कहना है कि पब्लिक हेल्थ कैडर बनने से राज्य में ऐसे डॉक्टर उपलब्ध होंगे जो गुणवत्तापूर्ण सेवाएं दे सकेंगे। इससे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा। गरीबों और जरूरतमंदों को इसका लाभ मिल सकेगा। प्राइवेट अस्पतालों पर लोगों की निर्भरता कम होगी।
उनका यह भी कहना है कि आपदा प्रबंधन, नगर निगम, खाद्य एवं औषधि प्रशासन से लेकर अटल आयुष्मान योजना तक सभी क्षेत्रों में पब्लिक हेल्थ महत्व के पदों की पहचान की जानी चाहिए। पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञों को उनकी योग्यता के अनुसार तैनात किया जाना चाहिए। जिला और राज्य स्तर पर उचित संख्या में उनकी तैनाती की जानी चाहिए। पब्लिक हेल्थ से जुड़े पदों पर नियुक्ति के लिए केवल निर्धारित योग्यता और अनुभव वाले डॉक्टरों के नाम पर ही विचार किया जाना चाहिए।
अनूप नौटियाल ने कहा है कि पब्लिक हेल्थ कैडर विकसित करने के लिए दो महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना जरूरी है। पहला नियमित प्रशिक्षण और दूसरा कैरियर की प्रगति का रोडमैप। इस सोच और दीर्घकालिक रणनीति के तहत पब्लिक हेल्थ कैडर को उत्तराखंड में धरातल पर सफलता से स्थापित और क्रियान्वित किया जा सकता है।

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