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उत्तराखंड को एक आत्मनिर्भर राज्य बनाने के लिए राज्यपाल पद छोड़ा : कोश्यारी

 

–महिपाल गुसाईं/हरेंद्र बिष्ट।

देहरादून, 12 अप्रैल। महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने उत्तराखंड को रोजगार मांगने वाले राज्य के बजाय इसे रोजगार देने वाले राज्य के रूप में विकसित करने के लिए राज्य के ऐसे उद्यमियों, जो कि अलग-अलग क्षेत्रों में अग्रणी कार्य कर रहे हैं, उन्हें आगे आकर स्वरोजगार को बढ़ावा देकर हर हाथ रोजगार की दिशा में कार्य करने की बात कही। उनका कहना है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल का दो साल का कार्यकाल त्याग कर उत्तराखंड लौटने का उनका मुख्य उद्देश्य भी आत्मनिर्भर उत्तराखंड के निर्माण में अपनी भूमिका निभाना है

बुधवार को देहरादून के डिफेंस कालोनी स्थित आवास में फुर्सत के क्षणों में उत्तराखंड के पहाडी क्षेत्रों में कार्य कर रहे सक्रिय पत्रकारों के एक प्रतिनिधी मंडल से वार्तालाप के दौरान पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि उनका महाराष्ट्र के राज्यपाल का कार्यकाल दो वर्ष शेष था, किंतु उत्तराखंड को एक आत्मनिर्भर राज्य बनाने, राज्य के तमाम हिस्सों में अलग-अलग क्षेत्रों में स्वरोजगार कर अपने साथ अन्य को रोजगार दे रहे उद्ययमियों को एक मंच में लाने का प्रयास करना हैं। इसके लिए उन्होंने मीडिया को भी आगे आने की अपील की।

उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जब वे गवर्नर महाराष्ट्र थे तो उन्होंने एक सौ से अधिक युवाओं को नौकरी के बजाय उत्तराखंड में स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित किया तो वे युवा राज्य के अलग-अलग हिस्सों में अपनी आर्थिकी को मजबूत बनाने के साथ ही अन्य लोगों को रोजगार दे रहे हैँ।

पूर्व गवर्नर कोश्यारी ने कहा कि वह  राज्य में बड़े औद्योगिक घरानों को राज्य में लाने के बजाय यहां के छोटे उद्योगपतियों को बढ़ावा देने के पक्षधर हैं ताकि यहां की आर्थिकी और मजबूत हो सके।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का प्रत्येक व्यक्ति सरकारी नौकरी में हो ये किसी भी सरकार के लिए सम्भव नहीं है और रोजगार का मतलब सिर्फ सरकारी नौकरी ही नही है । स्वरोजगार से जुड़कर भी उत्तराखंड के लोगो की आर्थिकी बढ़ाई जा सकती है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड बागवानी ,काश्तकारी, जैविक उत्पादन में अग्रणी हो इसके लिए जरूरी है कि लोग अपनी खेती में आधुनिक तकनीक की मदद से उत्पादन को बढ़ाए, जड़ी बूटी उत्पादन,सेब की बागवानी,जैविक सब्जियों के उत्पादन ,मत्स्य पालन,मधुपालन, परंपरागत गायों के जरिये स्वरोजगार से जुड़ कर उत्तराखंड के हर हाथ को रोजगार मिले और स्वरोजगार से जुड़कर जिन काश्तकारों की आर्थिकी बढ़ी है उन्हें भी चाहिए कि वे आगे इस तकनीक और स्वरोजगार से दूसरे को भी जोड़ें उन्होंने कहा कि उन्नत काश्तकारों की अखबारों, सोशल मीडिया बेहतरीन स्टोरियों का प्रकाशन कर मीडिया वर्ग राज्य के काश्तकारों को आगे बढ़ाने में प्रेरित कर सकते हैं।

पूर्व राज्यपाल भगत दा अपने पत्रकारिता से लेकर राजनीति सफर पर भी बेवाक टिप्पणी करते हैं किताबों के प्रकाशन के प्रयासों का भी जिक्र किया।इस अवसर पर कपकोट के युवा विधायक सुरेश गड़िया, वरिष्ठ पत्रकार महिपाल सिंह गुसाईं, वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन बिष्ट ,स्वतन्त्र पत्रकार हरेंद्र बिष्ट, पत्रकार मोहन गिरी मौजूद रहे।

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