देश में छापे ही छापे

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भारत छापों का देश हो गया है। चारों तरफ छापे पड़ रहे हैं। देश के आठ राज्यों में एनआईए के छापे हैं तो 11 राज्यों में आयकर विभाग के छापे हैं। सीबीआई और ईडी के अलग छापे हैं। सोचें, राजधानी दिल्ली में एक समय आए दिन बिक्री कर या वैट से जुड़े छापे पड़ते थे। अरविंद केजरीवाल ने अपने चुनाव प्रचार में इसे मुद्दा बनाया था और कारोबारियों को भरोसा दिलाया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो वे छापे बंद कराएंगे। उन्होंने सरकार बनने के बाद सचमुच छापे रोक दिए और वसूली भी बढ़ गई।

बाद में जीएसटी आ गई तो छापे लगभग पूरे देश में ही बंद हो गए। लेकिन उसी अनुपात में सीबीआई, ईडी, आयकर और एनआईए के पूरे देश में छापे शुरू हो गए हैं। कोई दिन ऐसा नहीं होता है, जब कोई न कोई एजेंसी कहीं छापा नहीं मार रही होती है। हालांकि अंतिम कार्रवाई कहीं नहीं हो रही है। कोई भी जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रही है। किसी को सजा नहीं हो रही है लेकिन छापे धड़ाधड़ पड़ रहे हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी, एनआईए ने आठ राज्यों में 76 जगह छापे मारे। ये छापे दो गैंगेस्टरों को लेकर हैं। वे गैंगेस्टर भी हैं और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों से उनके संबंध हैं, वे आतंकवाद फैलाते हैं और टेरर फंडिंग करते हैं। कथित तौर पर किसी के तार कनाडा से जुड़े हैं तो किसी के पाकिस्तान से। कहीं गैंगेस्टरों को लेकर है, कहीं आतंकवादियों को लेकर है तो कहीं नक्सलियों को लेकर है। लेकिन कश्मीर से कन्याकुमारी तक एनआईए के छापे हैं।

मंगलवार को जिस समय एनआईए की छापेमारी चल रही थी उसी समय सीबीआई न एफसीआई द्वारा खराब क्वालिटी का अनाज खरीदने के मामले में पंजाब में 50 जगह छापे मारे। पंजाब में एनआईए की कार्रवाई चल रही थी तो साथ ही सीबीआई की भी चल रही थी। उसी समय यानी मंगलवार को ही यूफ्लेक्स कंपनी के नोएडा सहित देश के 11 राज्यों में 64 जगहों पर आयकर विभाग की छापेमारी चल रही थी। अभी कुछ ही दिन पहले आयकर विभाग ने बीबीसी में सर्वे किया था। बहरहाल, पिछले हफ्ते ईडी ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के दो विधायकों, कोषाध्यक्ष सहित आठ लोगों के दर्जनों ठिकानों पर छापेमारी की थी।

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