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पतंजलि विश्वविद्यालय के पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के समापन पर विद्वानों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ

हरिद्वार। 02 जुलाई। पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में चल रहे पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के समापन अवसर पर प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय के कुलगुरु स्वामी रामदेव, कुलपति आचार्य बालकृष्ण, वैदिक विद्वान प्रो0 महावीर अग्रवाल, विदूषी साध्वी देवप्रिया सहित अनेक उत्कृष्ट विद्वानों का मार्गदर्शन विचार पाथेय के रूप में प्राप्त हुआ। स्वामी रामदेव ने कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान् एवं राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति के कुलाधिपति रहे आचार्य पंचमुखी का पुष्पगुच्छ और शॉल से स्वागत किया। संगीत के आचार्य चन्द्रमोहन ने राग भैरवी में स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने  ज्ञान के इस अविरल प्रवाह से सीखे गये विषयों को जीवन में उतारने व अपने अध्यापन में भी जोड़ने हेतु प्रेरित किया। विश्वविद्यालय के कुलपति बालकृष्ण ने विद्या को पारिभाषित करते हुए कहा कि विद्या वही है जो व्यवहार सिखाए, विकारों से मुक्त करे व मनोभाव में सात्विकता बढ़ाए। उन्होंने वेद मन्त्रों पर गहन अन्वेषण हेतु आचार्यों का मार्गदर्षन किया एवं सबके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ प्रेषित की।


समापन कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि आचार्य पंचमुखी ने अपने प्रेरणा में कर्तव्य परायणता पर प्रकाश डालते हुए श्रीमद्भगवद्गीता के नियमित स्वाध्याय की बात कही और बताया कि इससे व्यवहार परिमार्जन भी होता है, मन की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। स्वयं के प्रबन्धन पर विषेष बल देते हुए उन्होंने इसे आज की आवश्यकता बताई।
पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में संयोजक प्रो0 महावीर अग्रवाल ने कहा कि अध्ययन, बोध, आचरण एवं उसका प्रचार यही शास्त्रों का आदेश है और सभी आचार्य प्राणपण से इस दिशा में पुरुषार्थ करते रहें। सह-संयोजिका साध्वी डॉ. देवप्रिया ने कार्यक्रम के पूर्णाहुति सत्र को सम्बोधित करते हुए सभी प्रतिभागियों को मिलकर कार्य करने हेतु प्रेरणा प्रदान की। प्रतिभागियों ने भी इस अवसर पर अपने महत्वपूर्ण अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस पाठ्यक्रम से उनके ज्ञानकोष में वृद्धि हुई है जिसका लाभ वे अपने विद्यार्थियों को प्रदान करेंगे। कुलपति एवं अतिथियों द्वारा सभी प्रतिभगियों को प्रमाण पत्र भी दिया गया। इस अवसर पर वि.वि. के सलाहकार प्रो. यादव, वित्ताधिकारी ललित मोहन, कुलसचिव डॉ. प्रवीण पुनिया, प्रो. पारन जी, स्वामी परमार्थदेव, डॉ. निर्विकार, स्वामी आर्शदेव सहित वि.वि. के विभिन्न संकायों के आचार्य एवं शोध छात्र

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