Front Page

धरातल पर उतरती दिखने लगी आद्य जगद्गुरू शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतिर्मठ

 

प्रकाश कपरुवाण
जोशीमठ, 1 दिसंबर। जोशीमठ भू धंसाव त्रासदी के बाद आद्य जगद्गुरू शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतिर्मठ”जोशीमठ” को संवारने की कवायद अब धरातल पर उतरती दिख रही है, केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता मे गठित उच्चस्तरीय समिति ने पुनर्वास, रिकवरी व रिकंस्ट्रक्शन के लिए एक हजार छः सौ अठावन करोड़ की धनराशि जारी कर दी है।

जाहिर है कि केन्द्र सरकार की तमाम एजेंसियों जिन्होंने भू धंसाव के बाद बड़े पैमाने पर जोशीमठ का भूगर्भीय सर्वेक्षण किया और उनकी रिपोर्ट के आंकलन के बाद ही धनराशि जारी की होगी, पर यहाँ एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि क्या 47 वर्ष पूर्व वर्ष 1976 मे मिश्रा कमेटी द्वारा जोशीमठ की सुरक्षा के लिए दिए गए सुझावों पर भी अमल होगा?।

दरसअल वर्ष 1976 मे तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर महेश चन्द्र मिश्रा की अध्यक्षता मे गठित उच्चस्तरीय समिति ने जोशीमठ का ब्यापक भूगर्भीय सर्वेक्षण कर दिए गए सुझावों पर सख्ती से अमल करने की सिफारिश की थी,लेकिन उन सुझावों की अनदेखी का परिणाम ही जोशीमठ भू धंसाव की त्रासदी है।

मिश्रा कमेटी ने जो सुझाव दिए थे उनमें जोशीमठ की तलहटी पर भूमि कटाव रोकने के उपाय करने, अलकनंदा तट की ओर खनन,टिपान व विस्फोट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने,ब्यापक स्तर पर वृक्षारोपण करने,जोशीमठ मे अनियंत्रित बह रहे नालों का उचित ट्रीटमेंट करने,पूरे नगरीय क्षेत्र को सीवर लाइन से जोड़ने के अलावा भारी भरकम निर्माण पर रोक लगाने की सिफारिश की थी।

मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट व सुझाव जोशीमठ के हित मे इतने असरदार थे कि वर्ष 1991 मे इसी रिपोर्ट का आधार मानकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण पर रोक लगा दी थी, यदि इस रिपोर्ट मे दिए गए अन्य सुझावों को धरातल पर उतारने के लिए न्यायालयों मे दस्तक दी जाती तो संभवतः जोशीमठ को भू धंसाव की त्रासदी से बचाया जा सकता था।

धार्मिक व पर्यटन नगरी जोशीमठ से लेकर औली तक जिस प्रकार भार वहन क्षमता का का आंकलन किए बिना अनियंत्रित व बहुमंजिले अंधाधुंध निर्माण, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की सुरंगों का निर्माण व अन्य निर्माण भी जोशीमठ त्रासदी के लिए जिम्मेदार हैं।

बहरहाल जोशीमठ भू धंसाव त्रासदी के करीब ग्यारह महीनों बाद केन्द्र सरकार ने आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य की तपस्थली,श्री बद्रीनाथ धाम व हेमकुंड साहिब-लोकपाल के प्रवेश द्वार ज्योतिर्मठ-जोशीमठ के ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व को समझते हुए इसे संवारने के लिए धनराशि भी जारी कर दी है,अब देखना होगा कि राज्य व केन्द्र की एजेंसियां किस प्रकार से”रिकवरी,रिकंस्ट्रक्शन व पुनर्वास”योजनाओं को धरातल पर उतारती है इस पर भू धंसाव त्रासदी से त्रस्त प्रभावितों की नजरें रहेगी ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!