सफदर हाशमी का शहादत दिवस पर क्रान्तिकारी अभिवादन
—अनंत आकाश
1 जनवरी 2023 को सफदर हाशमी की शहादत दिवस की 34 वीं बर्षगांठ है । जब राष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में उनके योगदान को याद किया जा रहा है ।
कामरेड सफदर हाशमी का समर्पण समाज एवं रंगमंच के लिए इस हद तक था कि उनकी हत्या भी 1 जनवरी 1989 को नुक्कड़ नाटक के दौरान साहिबाबाद में कांग्रेस पार्टी से जुडे़ गुण्डों द्वारा उनकी हत्या की गई ।
उनकी शहादत के तीसरे दिन ही उनकी पत्नी मलयश्री हाशमी के नेतृत्व में साहिबाबाद के उसी स्थान झण्डा चौक पर जननाट्य मंच द्वारा नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुत कर पूंजीवादी सत्ता के मुहतोड़ जबाब दिया गया।सफदर हाशमी का भारतीय रंगमंच में अविस्मरणीय योगदान रहा है ,उन्होंने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बड़ी ही सादगी से अपनी बात समाज के मेहनतकश वर्ग तक पहुंचायी ।
उन्होंने इन नाटकों ,लेखन तथा कविताओं के माध्यम से बड़े ही सरलता से अपनी बात जनता के अन्य हिस्सों तक पहुंचाने का कार्य किया है ।यही कारण है कि साक्षरता आन्दोलन में उनका योगदान अविस्मरणीय रहा है ।
उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय से अपने कैरियर की शुरुआत एक प्रवक्ता के रूप में की तथा दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवक्ता रहे , वे स्टूडेंट्स फैडरेशन में सक्रिय रहे तथा आगे चलकर वे मार्क्सवादी विचार व जनवादी आन्दोलन के लिए पूर्णतः समर्पित रहे और जनता के खातिर अपनी शहादत दी । उनके योगदान को सदैव याद किया जाऐगा ।