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भारतीय रिजर्व बैंक 90 साल का हो गया : 794.64 मीट्रिक टन सोना है बैंक के पास

-uttarakhandhimalaya.in-

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), 90 साल का हो गया. 1 अप्रैल, 1935 को मौद्रिक स्थिरता, करेंसी मैनेजमेंट और बैंकिंग सिस्टम को रेगुलेट करने के लिए RBI की स्थापना की गई थी. पिछले 9 दशक के दौरान भारत के केंद्रीय बैंक ने उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन आगे बढ़ता रहा.

रिजर्व बैंक की स्थापना के लिए कानून मार्च 1934 में लाया गया. इसके बाद बैंक के गठन, शेयर कैपिटल (शेयर पूंजी जारी करने की व्यवस्था) और केंद्रीय और स्थानीय बोर्डों की स्थापना से संबंधित प्रावधान 1 जनवरी, 1935 से लागू हो गए.

 कई खराब  धन है  रिज़र्व बैंक के पास 
तो रिजर्व बैंक के पास कितना पैसा है. statista के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की शुद्ध आय लगभग 874 बिलियन थी. रुपये में बात करें तो यह रकम 874,200,000,000 खरब है. 2022 के मुकाबले इसमें करीब ढाई गुना इजाफा हुआ है.

794 टन से अधिक सोना  RBI कोष में?
केंद्रीय बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन पर अपनी अर्धवार्षिक में बताया था कि मार्च 2023 के आखिर तक उसके पास 794.64 मीट्रिक टन (करीब 794640 किलो) सोना था, जिसमें 56.32 मीट्रिक टन गोल्ड डिपॉजिट भी शामिल है.

 भारी भरकम वेतन मिलता है गवर्नर को
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) हैं. उन्हें केंद्र सरकार के कैबिनेट सेक्रेटरी के बराबर सैलरी और सुविधाएं मिलती हैं. आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक इंटरव्यू में गवर्नर को मिलने वाली सैलरी और सुख-सुविधाओं का जिक्र किया था. उन्होंने बताया था कि आरबीआई गवर्नर को हर महीने करीब 4 लाख रुपये सैलरी मिलती है. इसके अलाबा मुंबई के पॉश मालाबार हिल्स इलाके में एक शानदार बंगला भी मिलताहै।

सी डी देशमुख थे पहले गवर्नर
आरबीआई के पहले गवर्नर ऑस्ट्रेलियाई मूल के सर ओसबोर्न आर्केल स्मिथ थे, जो इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया के दो प्रबंध गवर्नरों में से एक थे. सर सी डी देशमुख, रिजर्व बैंक का गवर्नर बनने वाले पहले भारतीय थे. 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ तो तय हुआ कि आरबीआई का पाकिस्तान से कोई ताल्लुक नहीं होगा और न ही भारतीय नोट या करेंसी पाकिस्तान में वैध मुद्रा होगी.

बैंक ऑफ इंग्लैंड को गिरवी रखना पड़ा था सोना
अगस्त 1990 में जब तेल की कीमतें आसमान पर पहुंच गईं तो देश में गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो गया और भुगतान असंतुलन की स्थिति खड़ी हो गई. ऐसी स्थिति बनी कि भारत डिफ़ॉल्ट होने के करीब पहुंच गया. तब आरबीआई खेवनहार बना. आरबीआई (Reserve Bank of India) ने फौरन अपने गोल्ड रिजर्व से 46 टन से अधिक सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड को हस्तांतरित कर दिया, ताकि विदेशी मुद्रा उधार ले सके. उस वक्त तीन दिन के भीतर दो बार रुपये का अवमूल्यन करना पड़ा. एक बार 9% और दूसरी बार 10%. तब जाकर स्थिति कंट्रोल हो पाई थी. 

 तीन मुख्य श्रोत हैं आय के रबी के पास

रिजर्व बैंक सीधे पब्लिक डीलिंग नहीं करता तो फिर कमाई कैसे करता है? RBI की कमाई के मुख्य तौर पर तीन स्रोत हैं. पहला- वह सरकारी बॉन्ड के जरिए ब्याज कमाता है. साथ ही विदेशी मुद्रा में निवेश के जरिए आय होती है. सरकार बाजार में लगाने के लिए आरबीआई से जो पैसा लेती है, उससे भी केंद्रीय बैंक की कमाई करता है. दूसरा- आरबीआई के पास जो सर प्लस अमाउंट यानी लाभांश होता है, उसका डिविडेंड सरकार को देने के बाद जो बचता है उसके ब्याज से कमाई करता है. तीसरा है- फॉरेन एसेट्स का रीवैलुएशन यानी विदेशी संपत्तियों और सोने का पुनर्मूल्यांकन.

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