एक पखवाड़े के बाद भी रतगांव क्षेत्र की 15 हजार की आवादी का सड़क सम्पर्क बहाल नहीं हुआ
-रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट-
थराली, 27 अगस्त । आपदा के 15 दिन के बाद भी चमोली जिले के बड़े गांवों व पर्यटन गांवों में सुमार रतगांव का सीधा यातायात संपर्क देश दुनिया के अन्य भागों से पूरी तरह से कटा हुआ हैं। जिससे ग्रामीणों की दुश्वारियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। सड़कों के जल्द खुलने की संभावना नही होने के कारण रतगांव सहित एक बड़ी सोल पट्टी के 15 हजार से अधिक की आवादी की परेशानियां और बढ़ सकती हैं।
बीतने 15 दिनों से रतगांव देश—दुनिया से अलग—थलग पड़ा हुआ है। गांव में रहने वाली लगभग 40हजार की आबादी मुसीबत में है। दिन बीतने के साथ ही गांव में खाद्यान्न का संकट भी गहराता जा रहा है। ब्लाक मुख्यालय तक आवाजाही के लिए मोटर मार्ग पूरी तरह बंद होने के कारण बीमार, बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं की परेशानी भी बढ़ रही हैं।हैरानी की बात कि आपदा से प्रभावित ग्रामीणों की पीड़ा को प्रशासन भी मरहम नहीं लगाया पा रहा है। प्रशासन मौसम की बेरूखी का हवाला देकर अपना पला झाड़ रहा है। ऐसे में ग्रामीण अपने हाल पर जीने को मजबूर हैं। राहत की बात है कि शुक्रवार को गांव में बिजली बहाल हो गई है।
13 अगस्त की रात को ब्रह्मताल बुग्याल में बादल फटने व अतिवृष्टि के कारण निचले क्षेत्रों में भी भारी तबाही मची थी। ढाडर बगड़ के घटगाड़ गधेरे में बना 50 मीटर लंबा वैली ब्रिज नदी में बह गया था। यह ब्रिज रतगांव को यातायात से जोड़ने वाल एक मात्र पुल था। इससे पहले जुलाई 2018 की आपदा में भी यहां पर बना मोटर पुल भी बाढ़ में बह गया था। आपदा के 15 दिन बाद भी रतगांव का संपर्क सोलघाटी के अन्य गांवों से भी कटा हुआ हैं। यद्यपि जंगल को पार कर घाटी की दूसरी घाटी पार्था घाटी को पलोट, पार्था, कुराड़ व राड़ीबगड़ होते हुए थराली तक पहुंचने का विकल्प ग्रामीणों के पास है। करीब 25 किमी सफर वाले
इस रास्ते में दस किमी का सफर घने जंगल को पार करते हुए तय करना पड़ता है, शेष 15 किमी का सफर वाहन से। बेहद घने जंगल वाले इस रास्ते में भालू, गुलदार सहित अन्य आक्रामक जंगली जानवरों वा रास्ता हैं। जिससे व्यक्ति अकेला आवाजाही नहीं कर सकता है।
व्यक्ति इमरजेंसी में थराली तक तभी आवागमन कर सकता है जबकि उसके साथ चार-पांच अन्य लोग हो। बताया जा रहा है कि पारथा से रतगांव तक खचरों से खाद्य सामाग्री की आपूर्ति की जा रही है। लेकिन किराया इतना अधिक कि गांव में एक किलो चावल, चीनी, आटा आदि का मूल्य कई गुणा बढ़ गया है। ऐसे मे गरीबों के पास दो वक्त की रोटी की विकट समस्या खड़ी हो गई हैं।
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रतगांव के ग्रामीण के मूल निवासी एवं पत्रकार प्रदीप फरस्वाण ने बताया कि क्षेत्र जनता लगातार ढाडरबगड़ के पास घटगाड़ गधेरे में वैकल्पिक पुल की व्यवस्था की मांग करते आ रहे हैं ताकि लोगों की ब्लाक मुख्यालय तक आवाजाही शुरू हो सके। लेकिन प्रशासन,लोनिवि व पीएमजीएसवाई बार-बार मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान का हवाला देकर व्यवस्थाएं बहाल करने से कनी काट रहे हैं। पिछले एक-दो दिन से मौसम का मिजाज सुधरा हुआ है।ऐसे मे विभागों को अधिक सक्रिय दिखाने की जरूरत है ताकि आपदा पीड़ितों के घावों पर मरहम लग सकें।
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13 व 17 अगस्त को हुई भारी बारिश के कारण ढाडर बगड़ में वैली ब्रिज बहने से रतगांव का संपर्क दूसरे क्षेत्रो से कटा है। मैने भी खुद ढाडर बगड़ पहुंचकर आपदा से हुए नुकसान का स्थलीय निरीक्षण किया है। नदी में पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण लकड़ी का वैकल्पिक पुल बनाने में दिक्कत हो रही है। गांव के लोगों से लगातार संपर्क बना हुआ है। लोक निर्माण विभाग, पीएमजीएसवाई, एसडीआरएफ व डीडीआरएफ को निर्देश दिए गए हैं कि ढाढर बगड़ में लकड़ी का पुल बनाकर लोगों की आवाजाही के लिए जल्द वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। मौसम ठीक होते ही लोनिवि द्वारा क्षतिग्रस्त मोटर मार्ग को ठीक कर घटगाड़ गदेरे में वैली ब्रिज बनाया जाएगा।’
-रविन्द्र जुवांठा, उप जिलाधिकारी थराली।
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थराली -डुंग्री मोटर सड़क जो कि किमी 5 में वाशआउट हैं। और पूरा मार्ग चट्टानी हैं इसके जल्द खुलने की संभावना कम होने के पूरे सोल क्षेत्र के लोगों के सामने 15 दिनों से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं।सभी ग्रामीण सड़क खुलने को लेकर विभागों की ओर टकटकी लगाए हुए हैं।