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समान नागरिकता कानून बनाने वाली समिति के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

नई दिल्ली, 9 जनवरी ( उ हि)। उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड और गुजरात सरकार के अपने-अपने राज्यों में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने के लिए समितियों के गठन के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि अनूप बरनवाल और अन्य द्वारा दायर याचिका योग्यता से रहित है और इस पर विचार करने का योग्य नहीं है।

पीठ ने कहा कि राज्यों द्वारा ऐसी समितियों के गठन को संविधान के अधिकारातीत होने के कारण चुनौती नहीं दी जा सकती।
अदालत ने कहा, ‘‘राज्यों के लिए संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत समितियों का गठन करने में कुछ भी गलत नहीं है, जो कार्यपालिका को ऐसा करने की शक्ति देता है।’’

इसने कहा, ‘‘राज्य सरकारों द्वारा गठित समितियों के गठन को इस जनहित याचिका में चुनौती दी गई है। संविधान का अनुच्छेद 162 राज्य को ऐसी समितियां गठित करने का अधिकार देता है। इसमें गलत क्या है? संविधान की 7वीं अनुसूची की प्रविष्टि 5 ऐसा अधिकार देती है। एक समिति बनाने के लिए राज्यों को शक्ति प्राप्त है। ऐसी समितियों के गठन को संविधानेत्तर नहीं कहा जा सकता है।’’
संविधान के अनुच्छेद 162 में कहा गया है कि राज्य की कार्यकारी शक्ति उन मामलों तक विस्तारित होगी जिनके संबंध में राज्य की विधायिका को कानून बनाने की शक्ति है।

उत्तराखंड और गुजरात दोनों सरकारों ने एक समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के मुद्दे पर गौर करने के लिए समितियों का गठन किया है, जो सभी नागरिकों के धर्म, लिंग और यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना समान रूप से तलाक, गोद लेने, विरासत, संरक्षकता और उत्तराधिकार के मामलों को नियंत्रित करेगी।

राज्य सरकार के अनुसार, ‘‘राज्यपाल ने उत्तराखंड में रहने वाले लोगों के व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच करने और वर्तमान कानूनों में संशोधन पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति की स्थापना करने की अनुमति दी है।’’ देश भर में सभी समुदायों के लिए तलाक, गोद लेने और संरक्षकता की समान आधार और प्रक्रियाओं की मांग करने वाली कई अन्य याचिकाएं भी शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं। केंद्र का कहना है कि समान नागरिक संहिता का मुद्दा विधायिका के दायरे में आता है।

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