नहीं रहे हर दिल अजीज सुरेन्द्र सिंह भिलंगवाल
-जयसिंह रावत
बहुत ही दुखद ! वरिष्ठ पत्रकार एवं हम सभी पत्रकारों के अग्रज भाई सुरेन्द्र सिंह भिलंगवाल अब हमारे बीच नहीं रहे। वह अपने पीछे एक भरा पूरा सम्पन्न परिवार छोड़ गये। बहुत ही मिलनसार एवं दोस्तों के दोस्त, भिलंगवाल जी आज सुबह ही परलोक सिधार गये। वह काफी समय से कैंसर से पीड़ित थे। मगर उनकी जिन्दादिली और हालात से लड़ने की ताकत इतनी कि हर दम अपने प्रिय खटारा स्कूटर पर चलते ही रहते थे। दिन रात किसी भी वक्त अगर कोई परिचित परेशानी में हो तो साथ खडे़ नजर आते थे। समाधान के लिये मैं सदैव अपनी व्यक्तिगत उलझनें उनसे शेयर करता था। हम चमोली गढ़वाल के लोगों के लिये भिलंगवाल जी का निधन अपूरणीय क्षति है ही। लेकिन उनका दायरा इतना विस्तृत कि टौंस से लेकर काली और शारदा के बीच के लोगों से उनका व्यक्तिगत सम्पर्क था।
उत्तर प्रदेश के जमाने में भी लखनऊ या किसी भी अन्य शहर में बसे उत्तराखण्डियों से उनका व्यापक सम्पर्क रहता था। स्वर्गीय नरेन्द्र सिंह भण्डारी के अखबार सरहदी से उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत की और बीमारी की स्थिति तक वह अपना अखबार ’’शैलजा दर्शन’’ चलाते रहे। उत्तरांचल राज्य के गठन के समय निकला शैलजा दर्शन का विशेषांक मैंने संभाल कर रखा है।
मूलतः चमोली गढ़वाल के निवासी सुरेन्द्र भिलंगवाल जी पहले पुलिस में उपनिरीक्षक के तौर पर भर्ती हुये। अगर पुलिस में ही रहते तो डीएसपी रिटायर होते। लेकिन उनको सार्वजनिक जीवन और हालातों से लड़ना पसन्द था और लखनऊ में राजनेता नरेन्द्र सिंह भण्डारी की शागिर्दी में चले गये और उनके साप्ताहिक पत्र ‘‘सरहदी’’ में सहयोग करने लगे। वहीं से उन्होंने सामाजिक जीवन में प्रवेश किया। भण्डारी जी हमारे चमोली जिले के पोखरी ब्लाक के जौरासी गांव के मूल निवासी थे, इसलिये जिले के युवाओं के लिये लखनऊ के दारुलसफा स्थित भण्डारी जी का निवास स्थाई अड्डा हुआ करता था। भिलंगवाल जी गढ़वाल मण्डल विकास निगम के संचालक मण्डल के सदस्य भी रहे। भिलंगवाल जी की राजनीति में अच्छी पैठ थी। वह बदरीकेदार से चुनाव भी लड़े थे। उन्होंने पैनखण्डा पट्टी (जोशीमठ ब्लाक) के विकास के लिये एक संस्था भी बनायी थी। उत्तराखण्ड में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसको प्रदेश के हजारों परिवारों की व्यक्तिगत जानकारी एवं सम्पर्क रहा हो। उनको चमोली ही नहीं उत्तराखण्ड के एक-एक गांव के इतिहास और भूगोल की जानकारी थी। वास्तव में भाई सुरेन्द्र विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। ईश्वर स्वर्ग में उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।