पर्वतीय पत्रकार एसोसिएशन का छठा अधिवेशन ग्वालदम में 31 से
-गौचर से दिग्पाल गुसांई–
पिछले 25 सालों से सामाजिक क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहे पर्वतीय पत्रकार एसोसिएशन कर्णप्रयाग इस वार 31 मई से दो दिवसीय अपना 6 वां अधिवेशन ग्वालदम में मनाने जा रहा है। अधिवेशन को लेकर प्रदेशभर के पत्रकारों ही नहीं बल्कि सामाजिक क्षेत्र में दखल रखने वाले लोगों में भी भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।
पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार पत्रकारों के साथ हो रही अप्रिय घटनाओं को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1997 में क्षेत्र के पत्रकारों ने वयोवृद्ध पत्रकार विशंभर दत् खंडूड़ी के नेतृत्व में पर्वतीय पत्रकार एसोसिएशन का गठन किया।वर्ष 1999 में इस संगठन को पंजीकृत किया गया।इसका प्रधान कार्यालय कर्णप्रयाग में बनाया गया। दूसरी बार भी विशंभर दत् खंडूड़ी की अध्यक्षता वाली कार्यकारिणी को ही रिपीट किया गया । इसके पश्चात तीसरे अधिवेशन में स्वर्गीय पुरुषोत्तम असनोड़ा को अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद जोधसिंह रावत को कार्यकारिणी की कमान सौंपी गई। पांचवीं बार गौचर में हुए अधिवेशन में सुभाष पिमोली को अध्यक्ष बनाया गया।इन 25 सालों से संगठन ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं लेकिन संगठन से जुड़े पत्रकारों ने संगठन की प्रतिष्ठा पर आंच नहीं आने दी।इन पिछले कालखंडों में कई पत्रकारों ने राजनीति का रुख किया तो कई पत्रकार दिवंगत भी हुए हैं।कई नवोदित पत्रकारों ने संगठन की सदस्यता ग्रहण की।वर्ष 2013 की त्रासदी हो या 2020, 21 की कोरोना बीमारी में संगठन के सदस्यों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर जन-सरोकारों से जुड़े मुद्दों को उठकर असहाय लोगों की मदद करने का कार्य किया है। ऐसे अनगिनत मुद्दे हैं जिनमें संगठन ने अपनी अहम भूमिका निभाई है।अलग राज्य बनने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि पत्रकारों की समस्याओं का भी समाधान हो पाएगा लेकिन दुख इस बात का है प्रदेश में सरकार किसी भी दल की रही हो किसी ने भी पहाड़ों क्षेत्रों की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में काम कर रहे पत्रकारों की समस्याओं को किसी ने भी गंभीरता से नहीं लिया है। हांलांकि सरकार पत्रकार कल्याण कोष की बात तो करती है लेकिन इस कल्णाण कोष के नियमों को इतना जटिल बना दिया गया है कि इससे पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षों से काम कर रहे पत्रकारों को आज तक इसका लाभ नहीं मिल पाया है। संगठन लंबे समय से तहसील स्तर पर मान्यता,60 साल की उम्र पार करने वाले पत्रकारों को सम्मान जनक पेंशन, के अलावा दिवंगत व गंभीर बीमारी से जूझ रहे पत्रकारों को कल्याण कोष से आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग करते आ रहे हैं लेकिन राज्य बने 22 बीतने को हैं अभी तक किसी भी दल ने पत्रकारों की जायज मांगों को गंभीरता से लेने जरुरत नहीं समझी है।