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विश्व एड्स दिवस पर विशेष : भारत में 25 लाख से ज्यादा लोग एचआईवी से पीड़ित

 

As per the Global AIDS Update 2023 released by The Joint United Nations Programme on HIV/AIDS (UNAIDS), significant strides have been made globally in combating HIV/AIDS. New HIV infections have declined in countries like India, where a robust legal framework and increased financial investments have facilitated progress toward the goal of ending AIDS as a public health threat by 2030. India, in particular, has been acknowledged for strengthening laws to protect the rights of vulnerable populations. On the national front, the India HIV Estimations 2023 report highlights that over 2.5 million people are living with HIV in India. Despite this, the country has made notable progress, with adult HIV prevalence recorded at 0.2% and annual new HIV infections estimated at 66,400, a 44% reduction since 2010. India has outperformed the global reduction rate of 39%, demonstrating the success of sustained interventions. The availability of free high-quality lifelong treatment for over 16.06 lakh people living with HIV (PLHIV) through 725 ART (Antiretroviral Therapy) centers (as on June 2023) and 12.30 lakh viral load tests conducted between 2022–2023 reflect India’s commitment to ensuring care for affected populations.

 

-A PIB FEATURE-

विश्व एड्स दिवस, 1988 से प्रति वर्ष 01 दिसंबर को मनाया जा रहा है। यह एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस)/एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए लोगों को एकजुट करने तथा महामारी के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है। यह सरकारों, संगठनों और समुदायों के लिए इस रोग की वर्तमान चुनौतियों पर प्रकाश डालने तथा इसके रोकथाम, उपचार एवं देखभाल में की गई प्रगति को दर्शाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन को वैश्विक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अवलोकनों में से एक के रूप में मान्यता प्रदान की गई है, जो न केवल जागरूकता फैलाता है बल्कि उन लोगों को भी याद भी करता है जिनकी मौत एचआईवी/एड्स के कारण हुई है। यह स्वास्थ्य सेवाओं तक विस्तारित पहुंच जैसे मील के पत्थर का भी उत्सव मनाता है। एचआईवी जैसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे के बारे में ज्ञान को बढ़ावा देकर, विश्व एड्स दिवस एचआईवी से लड़ने तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एवं स्वास्थ्य अधिकार प्राप्त करने के बीच के अभिन्न संबंधों पर प्रकाश डालता है।

2024 का विषय: “सही रास्ता अपनाएं: मेरी सेहतमेरा अधिकार!”

विश्व एड्स दिवस 2024 का विषय, “सही रास्ता अपनाएं: मेरी स्वास्थ्य, मेरा अधिकार!” है, जो स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और लोगों को अपने स्वास्थ्य प्रबंधन में सशक्त बनने के महत्व पर बल देता है। यह उन प्रणालीगत असमानताओं को संबोधित करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है जो कमजोर आबादी को एचआईवी के आवश्यक रोकथाम एवं उपचार सेवाएं प्राप्त करने से वंचित करती है। वर्ष 2024 का विषय मानवाधिकारों की भूमिका को उजागर करता है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी लोगों को, उनकी पृष्ठभूमि या परिस्थितियों पर ध्यान दिए बिना, स्वास्थ्य अधिकार प्राप्त हो सके। अधिकार-आधारित दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करके, 2024 का अभियान समावेशिता को बढ़ावा देने, कलंक को कम करने और एचआईवी/एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करने के लिए वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करने की कोशिश करता है।

एचआईवी/एड्स की वर्तमान स्थिति: एक वैश्विक एवं राष्ट्रीय दृष्टिकोण

एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम (यूएनएड्स) द्वारा जारी वैश्विक एड्स अपडेट 2023 के अनुसार, वैश्विक स्तर पर एचआईवी/एड्स से लड़ने में महत्वपूर्ण प्रगति प्राप्त की गई है। भारत जैसे देशों में नए एचआईवी संक्रमण मामलों में कमी आई है, जहां एक मजबूत कानूनी संरचना और बढ़े हुई वित्तीय निवेशों ने 2030 तक एड्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप में समाप्त करने के लक्ष्य की प्राप्ति करने की दिशा में प्रगति की है। विशेष रूप से, भारत की पहचान कमजोर आबादी के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कानूनों को मजबूत बनाने के रूप हुई है।

राष्ट्रीय स्तर पर, भारत एचआईवी अनुमान 2023 रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में 25 लाख से ज्यादा लोग एचआईवी से पीड़ित हैं। इसके बावजूद, देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसमें वयस्क एचआईवी प्रसार 0.2% दर्ज किया गया है और अनुमान है कि वार्षिक रूप से नए एचआईवी संक्रमणों की संख्या 66,400 है, जिसमें 2010 के बाद से 44% की कमी आयी है। भारत ने 39% की वैश्विक कमी दर को पीछे छोड़ दिया है, जो निरंतर किए गए मध्यवर्तनों की सफलता को दर्शाता है। 16.06 लाख एचआईवी (पीएलएचआईवी) से पीड़ित लोगों के लिए 725 एआरटी (एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी) केंद्रों के माध्यम से मुफ्त उच्च गुणवत्ता वाले आजीवन उपचार की उपलब्धता (जून 2023 के अनुसार) और 2022-2023 में किए गए 12.30 लाख वायरल परीक्षण भारत द्वारा प्रभावित जनसंख्या के लिए देखभाल सुविधा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

भारत की एचआईवी/एड्स महामारी पर प्रतिक्रिया: एक व्यापक दृष्टिकोण

भारत में एचआईवी/एड्स महामारी के खिलाफ लड़ाई 1985 में शुरू हुई। इसे विभिन्न जनसंख्या समूहों एवं भौगोलिक स्थानों में वायरस का पता लगाने के लिए सीरो-सर्वेक्षण के साथ शुरू किया गया। अभियान का प्रारंभिक चरण (1985-1991) एचआईवी मामलों की पहचान, ट्रांसफ्यूजन से पहले रक्त सुरक्षा सुनिश्चित करना और लक्षित जागरूकता उत्पन्न करने पर केंद्रित था। इस अभियान में 1992 में राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) की शुरूआत के साथ तेजी आई। यह देश में एचआईवी/एड्स से निपटने के लिए एक व्यवस्थित एवं व्यापक दृष्टिकोण की शुरुआत थी। 35 वर्षों में, एनएसीपी विश्व के सबसे बड़े एचआईवी/एड्स नियंत्रण कार्यक्रमों में से एक बन चुका है।

एनएसीपी चरणों का विकास

एनएसीपी के पहले चरण (1992-1999) में जागरूकता फैलाने और रक्त सुरक्षा सुनिश्चित करने को प्राथमिकता दी गई। दूसरे चरण (1999-2007) की शुरुआत के साथ, रोकथाम, पहचान और उपचार के लिए सीधे मध्यवर्तन प्रस्तुत किए गए। राज्यों को प्रभावी कार्यक्रम प्रबंधन क्षमता से युक्त किया गया। तीसरे चरण (2007-2012) में गतिविधियों का प्रमुख विस्तार हुआ, जिसमें विकेंद्रीकृत कार्यक्रम प्रबंधन जिला स्तर तक पहुंचा। चौथे चरण (2012-2017) में पहले के प्रयासों को एकीकृत किया गया, जिसमें सरकारी वित्तपोषण में वृद्धि हुई और कार्यक्रम की स्थिरता सुनिश्चित की गई।

विस्तारित एनएसीपी के चौथे चरण (2017-2021) में कई ऐतिहासिक पहलों को शुरू किया गया, जिसमें एचआईवी और एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 2017 को पारित करना शामिल है, जो एचआईवी-पॉजिटिव लोगों को समान अधिकारों की गारंटी प्रदान करता है और उनके खिलाफ भेदभाव को रोकता है। यह अधिनियम सितंबर 2018 में प्रभावी हुआ और इसने एचआईवी (पीएलएचआईवी) से ग्रसित लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए भारत की कानूनी संरचना को मजबूत किया।

इस चरण के दौरान, सरकार ने 2017 में ‘टेस्ट और ट्रीट’ नीति की शुरुआत की, यह सुनिश्चित करते हुए कि एचआईवी से निदान प्राप्त प्रत्येक व्यक्ति को उनके नैदानिक चरण की परवाह किए बिना मुफ्त एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) प्राप्त हो। पीएलएचआईवी लोग, जिन्होंने उपचार बंद कर दिया, उन्हें फिर से जोड़ने के लिए 2017 में ‘मिशन संपर्क’ पहल की शुरुआत की गई। 2020-2021 के दौरान, कोविड-19 महामारी ने कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां सामने आई। हालांकि, एनएपीसी ने कार्यक्रम की समीक्षा, समन्वय और क्षमता निर्माण के प्रयासों को बढ़ाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया। कई महीनों की दवाओं का एकसाथ वितरण करके और सामुदाय-आधारित एआरटी रिफिल जैसी नवाचारों के माध्यम से महामारी के दौरान उपचार सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित की गई।

एनएसीपी का पांचवां चरणएचआईवी/एड्स की समाप्ति पर नये सिरे से ध्यान केंद्रित करना

एनएसीपी का पांचवां चरण केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में 2021-26 के लिए 15,471.94 करोड़ रुपये की लागत के साथ शुरू किया गया। एनएसीपी के पांचवे चरण का उद्देश्य पिछली उपलब्धियों को आगे बढ़ाना और लगातार चुनौतियों का समाधान करना, साथ ही 2010 के आधारभूत मूल्य से 2025-26 तक वार्षिक नए एचआईवी संक्रमण एवं एड्स संबंधित मृत्यु दर में 80% तक कमी लाना है। इसके अतिरिक्त, एनएसीपी के पांचवें चरण का उद्देश्य जोखिम और असुरक्षित आबादी के लिए गुणवत्तापूर्ण एसटीआई/आरटीआई सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच को बढ़ावा देते हुए ऊर्ध्वाधर ट्रांसमिशन का दोहरा उन्मूलन, एचआईवी/एड्स से संबंधित कलंक को समाप्त करना है।

एनएसीपी के पांचवें चरण को आठ मार्गदर्शक सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करके विशिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें समुदाय-केंद्रित दृष्टिकोण, तालमेल निर्माण, प्रौद्योगिकी एकीकरण, लिंग-संवेदनशील प्रतिक्रियाएं और साझेदारी को बढ़ावा देना शामिल है। इस चरण में लागत प्रभावी सेवा वितरण के लिए मौजूदा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए, सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के साथ प्रमुख सहयोग की योजना बनाई गई है।

एनएसीपी के पांचवें चरण का मुख्य उद्देश्य

  1. एचआईवी/एड्स का रोकथाम एवं नियंत्रण:

95% उच्च जोखिम वाले व्यक्ति तक व्यापक रोकथाम सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना।

95-95-95 लक्ष्य की प्राप्ति: एचआईवी पॉजिटिव 95% लोग अपनी स्थिति से अवगत हों, निदान किए गए 95% लोगों का उपचार होता रहे और उन रोगियों में से 95% वायरल दमन प्राप्त करें।

यह सुनिश्चित करके ऊर्ध्वाधर ट्रांसमिशन का समाप्त करना कि एचआईवी ग्रसित 95% गर्भवती महिलाओं ने वायरल लोड का दमन किया है।

एचआईवी और प्रमुख आबादी के साथ रहने वाले 10% से कम लोग कलंक एवं भेदभाव का अनुभव करें।

  1. एसटीआई (यौन संचारित संक्रमण)/आरटीआई (प्रजनन प्रणाली संक्रमण) रोकथाम एवं नियंत्रण:

जोखिम वाली आबादी को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करना।

सिफलिस के ऊर्ध्वाधर ट्रांसमिशन को समाप्त करना।

निष्कर्ष

विश्व एड्स दिवस 2024 एचआईवी/एड्स की समाप्ति की दिशा में किए जाने वाले कार्यों की याद दिलाता है। एनएसीपी का पांचवां चरण और इसके अधिकार-आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से, भारत ने रोकथाम, उपचार एवं देखभाल में महत्वपूर्ण प्रगति प्राप्त की है। हालांकि, प्रणालीगत असमानताओं और सामाजिक कलंक जैसी चुनौतियों पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। इसका विषय “सही रास्ता अपनाएं: मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार!” जिसमें समावेशिता को बढ़ावा देने, मानवाधिकारों को बनाए रखने और समान स्वास्थ्य देखभाल पहुंच सुनिश्चित करने का सामूहिक अभियान शामिल है। जैसे-जैसे दुनिया 2030 तक एड्स को समाप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के नजदीक पहुंच रही है, भारत सहयोगात्मक कार्रवाई, नवीन रणनीतियों और स्वास्थ्य समानता के प्रति एक अटूट प्रतिबद्धता का उदाहरण प्रस्तुत करता है। संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान करके एवं सफल मध्यवर्तनों को बढ़ावा देकर, भारत एचआईवी/एड्स के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का नेतृत्व करने के लिए तैयार है, जो सभी के लिए एक स्वस्थ, कलंक मुक्त भविष्य सुनिश्चित करता है।

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