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ढह गयी भारत में भ्रष्टाचार की सबसे ऊंची इमारत: लेकिन भ्रष्ट तंत्र ढहे तो बात बने

-उत्तराखण्ड हिमालय ब्यूरो
नयी दिल्लीए 28 अगस्त। देश की सर्वोच्च अदालत के आदेश पर नोयडा के सेक्टर 93 स्थित भ्रटाचार की सबसे बड़ी इमारत धराशायी हो गयी। दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंची 100 मीटर की इन इमारतों को गिराने के लिए 37,00 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। इतनी ऊंची इमारत गिराने के लिये इतने बड़े विस्फोट का प्रयाग पहली बार हुआ।

किया जाएगा. नियमों को ताक पर रखकर इस गगनचुंबी इमारत का निर्माण किया गया था। इस बिल्डिंग को बनाने वाले सुपरटेक बिल्डर के खिलाफ एमराल्ड कोर्ट के खरीददारों ने अपने खर्च पर एक लंबी लड़ाई लड़ी। इसके बाद कोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने का फैसला सुनाया था।
नोएडा बेस्ड कंपनी ने 2000 के दशक के मध्य में एमरल्ड कोर्ट नाम परियोजना की शुरुआत की थी। नोएडा और ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे के समीप स्थित इस परियोजना के तहत 3, 4 और 5 बीएचके फ्लैट्स वाले इमारत बनाने की योजना थी। ट्विन टावर में सैकड़ों लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे। इनमें से अभी भी कुछ लोगों को रिफंड नहीं मिला है।

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न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तुत योजनाओं के अनुसार, इस परियोजना में 14 नौ मंजिला टावर होने चाहिए थे। हालांकि, परेशानी तब शुरू हुई जब कंपनी ने प्लान में बदलाव किया। साल 2012 तक परिसर में 14 के बजाय 15 मंजिला इमारत बनाए गए। वे भी नौ नहीं बल्कि 11 मंजिला थे। दिसंबर 2006 तक अदालत में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के अनुसार, यह उस योजना में था जिसे पहली बार जून 2005 में संशोधित किया गया था।

हालांकि, बाद में ’ग्रीन’ एरिया वह जमीन बन गया जिस पर सियेन और एपेक्स – ट्विन टावर्स बनाए जाने थे। भवन योजनाओं का तीसरा संशोधन मार्च 2012 में हुआ. एमराल्ड कोर्ट अब एक परियोजना थी, जिसमें 11 मंजिलों के 15 टावर शामिल थे। साथ ही सेयेन और एपेक्स की ऊंचाई 24 मंजिलों से 40 मंजिलों तक बढ़ा दी गई थी।
एमराल्ड कोर्ट में रहने वालों ने इसे संज्ञान में लिया और मांग की कि सेयेन और एपेक्स को ध्वस्त कर दिया जाए क्योंकि इसे अवैध रूप से बनाया जा रहा है। निवासियों ने नोएडा प्राधिकरण से उनके निर्माण के लिए दी गई मंजूरी को रद्द करने के लिए कहा।
इस इमारत के निवासियों ने तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की, जिस पर अदालत ने अप्रैल 2014 में टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया। हालांकि, सुपरटेक ने फैसले के खिलाफ अपील की और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।
सर्वोच्च न्यायालय ने 2021 में, इस तथ्य का हवाला देते हुए नोएडा ट्विन टावर्स को ध्वस्त करने का आदेश दिया कि टावरों का निर्माण अवैध रूप से किया गया था। इसके बाद सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट से अपने आदेश की समीक्षा करने की अपील की।
शीर्ष अदालत में मामले से संबंधित कई सुनवाई हुई। सुनवाई में एमराल्ड कोर्ट के निवासियों की सुरक्षा के बारे में चिंताएं भी शामिल थीं। हालांकि, कोर्ट ने अपना फैसला नहीं बदला।

 

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