आज ही के दिन संविधान सभा की पहली ऐतिहासिक बैठक हुयी थी
संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन हॉल, जिसे अब संसद भवन के केंद्रीय कक्ष के नाम से जाना जाता है, में हुई। इस अवसर के लिए कक्ष को मनोहारी रूप से सजाया गया था, ऊॅची छत से और दीवारगीरों से लटकती हुई चमकदार रोशनी की लड़ियाँ एक नक्षत्र के समान सुशोभित हो रही थीं। उत्साह और आनन्द से अभिभूत होकर माननीय सदस्यगण अध्यक्ष महोदय की आसंदी के सम्मुख अर्धवृत्ताकार पंक्तियों में विराजमान थे। विद्युत के द्वारा गरम रखी जा सकने वाली मेंजों को हरे कालीन से आवृत ढ़लवाँ चबूतरे पर लगाई गई थी। पहली पंक्ति में जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आज़्ााद, सरदार वल्लभभाई पटेल, आचार्य जे.बी.कृपलानी, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, श्रीमती सरोजिनी नायडू, श्री हरे कृष्ण महताब, पं. गोविन्द वल्लभ पंत, डॉ बी. आर. अम्बेडकर, श्री शरत चंद्र बोस, श्री सी. राजगोपालाचारी और श्री एम. आसफ अली शोभायमान थे। नौ महिलाओं समेत दो सौ सात सदस्य उपस्थित थे।
उद्घाटन सत्र पूर्वाह्न 11.00 बजे आचार्य कृपलानी द्वारा संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष डा. सच्चिदानंद सिन्हा का परिचय कराने से आरंभ हुआ। डा. सिन्हा और अन्य सदस्यों का अभिवादन करते हुए आचार्य जी ने कहा : “जिस प्रकार हम प्रत्येक कार्य ईश्वर के आशीर्वाद से प्रारंभ करते हैं, हम डॉ सिन्हा से इन आशीर्वादों का आह्वान करने की प्रार्थना करते हैं ताकि हमारा कार्य सुचारु रूप से आगे बढ़े। अब, आपकी ओर से मैं एक बार फिर डा. सिन्हा को पीठासीन होने के लिए आमंत्रित करता हूं।”
अभिनन्दन के बीच पीठासीन होते हुए डॉ. सिन्हा ने विभिन्न देशों से प्राप्त हुए शुभकामना संदेशों का वाचन किया। अध्यक्ष महोदय के उद्घाटन भाषण और उपाध्यक्ष के नाम-निर्देशन के पश्चात् सदस्यों से अपने परिचय-पत्रों को प्रस्तुत करने का औपचारिक निवेदन किया गया। समस्त 207 सदस्यों द्वारा अपने-अपने परिचय-पत्र प्रस्तुत करने और रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के पश्चात् पहले दिन की कार्यवाही समाप्त हो गई। कक्ष की सतह से लगभग 30 फुट ऊपर दीर्घाओं में बैठकर पत्रकारों और दर्शकों ने इस स्मरणीय कार्यक्रम को प्रत्यक्ष रूप से देखा। आकाशवाणी के दिल्ली केन्द्र ने संपूर्ण कार्यवाही का एक संयुक्त ध्वनि चित्र प्रसारित किया।
कतिपय तथ्य
संविधान सभा ने स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का प्रारुप तैयार करने के ऐतिहासिक कार्य को लगभग तीन वर्षों (दो वर्ष, ग्यारह माह और सत्रह दिन) में पूरा किया। इस अवधि के दौरान इसने ग्यारह सत्र आयोजित किए जो कुल 165 दिनों तक चले। इनमें से 114 दिन संवधिान के प्रारुप पर विचार-विमर्श में बीत गए। संविधान सभा का संघटन केबिनेट मिशन के द्वारा अनुशंसित योजना के आधार पर हुआ था जिसमें सदस्यों को प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुना गया था। व्यवस्था इस प्रकार थी – (i) 292 सदस्य प्रांतीय विधान सभाओं के माध्यम से निर्वाचित हुए; (ii) 93 सदस्यों ने भारतीय शाही रियासतों का प्रतिनिधित्व किया; (iii) चार सदस्यों ने मुख्य आयुक्त प्रांतों का प्रतिनिधित्व किया। इस प्रकार सभा के कुल सदस्य 389 हुए। तथापि, 3 जून, 1947 की माउन्टबेटेन योजना के परिणामस्वरूप विभाजन के पश्चात् पाकिस्तान के लिए एक पृथक संविधान सभा का गठन हुआ और कुछ प्रांतों के प्रतिनिधियों की संविधान सभा से सदस्यता समाप्त हो गई। जिसके फलस्वरूप सभा की सदस्य संख्या घटकर 299 हो गई। 13 दिसंबर, 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरु ने उद्देश्य संकल्प उपस्थित किया।
1. यह संविधान सभा भारतवर्ष को एक स्वतंत्र संप्रभु तंत्र घोषित करने और उसके भावी शासन के लिए एक संविधान बनाने का दृढ़ और गम्भीर संकल्प प्रकट करती है और निश्चय करती है।
2. जिसमें उन सभी प्रदेशों का एक संघ रहेगा जो आज ब्रिटिश भारत तथा भारतीय राज्यों के अंतर्गत आने वाले प्रदेश हैं तथा इनके बाहर भी हैं और राज्य और ऐसे अन्य प्रदेश जो आगे स्वतंत्र भारत में सम्मिलित होना चाहते हों; और
3. जिसमें उपर्युक्त सभी प्रदेशों को, जिनकी वर्तमान सीमा (चौहदी) चाहे कायम रहे या संविधान-सभा और बाद में संविधान के नियमानुसार बने या बदले, एक स्वाधीन इकाई या प्रदेश का दर्जा मिलेगा व रहेगा। उन्हें वे सब शेषाधिकार प्राप्त होंगे जो संघ को नहीं सौंपे जाएंगे और वे शासन तथा प्रबंध सम्बन्धी सभी अधिकारों का प्रयोग करेंगे और कार्य करेंगे सिवाय उन अधिकारों और कार्यों के जो संघ को सौंपे जाएंगे अथवा जो संघ में स्वभावत: निहित या समाविष्ट होंगे या जो उससे फलित होंगे; और
4. जिससे संप्रभु स्वतंत्र भारत तथा उसके अंगभूत प्रदेशों और शासन के सभी अंगों की सारी शक्ति और सत्ता (अधिकार) जनता द्वारा प्राप्त होगी; और
5. जिसमें भारत के सभी लोगों (जनता) को राजकीय नियमों और साधारण सदाचार के अध्यधीन सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक न्याय के अधिकार, वैयक्तिक स्थिति व अवसर की तथा कानून के समक्ष समानता के अधिकार और विचारों की, विचारों को प्रकट करने की, विश्वास व धर्म की, ईश्वरोपासना की, काम-धन्धे की, संघ बनाने व काम करने की स्वतंत्रता के अधिकार रहेंगे और माने जाएंगे; और
6. जिसमें सभी अल्प-संख्यकों के लिए, पिछड़े व आदिवासी प्रदेशों के लिए तथा दलित और अन्य पिछड़ें वर्गों के लिए पर्याप्त सुरक्षापाय रहेंगे; और 7. जिसके द्वारा इस गणतंत्र के क्षेत्र की अखंडता (आन्तरिक एकता) रक्षित रहेगी और जल, थल और हवा पर उसके सब अधिकार, न्याय और सभ्य राष्ट्रों के नियमों के अनुसार रक्षित होंगे; और
8. यह प्राचीन देश संसार में अपना उचित व सम्मानित स्थान प्राप्त करता है और संसार की शान्ति तथा मानव जाति का हित-साधन करने में अपनी इच्छा से पूर्ण योग देता है।
यह संकल्प संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी, 1947 को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था। 14 अगस्त, 1947 की देर रात सभा केन्द्रीय कक्ष में समवेत हुई और ठीक मध्यरात्रि में स्वतंत्र भारत की विधायी सभा के रूप में कार्यभार ग्रहण किया।
29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा ने भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की अध्यक्षता में प्रारुप समिति का गठन किया। संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श के दौरान सभा ने पटल पर रखे गए कुल 7,635 संशोधनों में से लगभग 2,473 संशोधनों को उपस्थित किया, परिचर्चा की एवं निपटारा किया।
26 नवंबर, 1949 को भारत का संविधान अंगीकृत किया गया और 24 जनवरी, 1950 को माननीय सदस्यों ने उस पर अपने हस्ताक्षर किए। कुल 284 सदस्यों ने वास्तविक रूप में संविधान पर हस्ताक्षर किए। जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे, बाहर हल्की-हल्की बारिश हो रही थी, इस संकेत को शुभ शगुन माना गया।
26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हो गया। उस दिन संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया और इसका रुपांतरण 1952 में नई संसद के गठन तक अस्थाई संसद के रूप में हो गया।
संविधान सभा के सत्र
पहला सत्र | : | 9-23 दिसंबर, 1946 |
दूसरा सत्र | : | 20-25 जनवरी, 1947 |
तीसरा सत्र | : | 28 अप्रैल – 2 मई, 1947 |
चौथा सत्र | : | 14-31 जुलाई, 1947 |
पाँचवां सत्र | : | 14-30 अगस्त, 1947 |
छठा सत्र | : | 27 जनवरी, 1948 |
सातवाँ सत्र | : | 4 नवंबर, 1948 – 8 जनवरी, 1949 |
आठवाँ सत्र | : | 16 मई-16 जून, 1949 |
नौवां सत्र | : | 30 जुलाई-18 सितंबर, 1949 |
दसवां सत्र | : | 6-17 अक्टूबर, 1949 |
ग्यारहवां सत्र | : | 14-26 नवंबर, 1949 |
[सभा 24 जनवरी, 1950 को पुन: समवेत हुई जब सदस्यों ने भारत के संविधान पर अपने हस्ताक्षर संलग्न किए]
संविधान सभा की महत्वपूर्ण समितियाँ और उनके अध्यक्ष
समिति का नाम |
अध्यक्ष |
प्रक्रिया विषयक नियमों संबंधी समिति |
राजेन्द्र प्रसाद |
संचालन समिति |
राजेन्द्र प्रसाद |
वित्त एवं स्टाफ समिति |
राजेन्द्र प्रसाद |
प्रत्यय-पत्र संबंधी समिति |
अलादि कृष्णास्वामी अय्यर |
आवास समिति |
बी. पट्टाभि सीतारमैय्या |
कार्य संचालन संबंधी समिति |
के.एम. मुन्शी |
राष्ट्रीय ध्वज संबंधी तदर्थ समिति |
राजेन्द्र प्रसाद |
संविधान सभा के कार्यकरण संबंधी समिति |
जी.वी. मावलंकर |
राज्यों संबंधी समिति |
जवाहरलाल नेहरू |
मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यकों एवं जनजातीय और अपवर्जित क्षेत्रों संबंधी सलाहकारी समिति |
वल्लभभाई पटेल |
मौलिक अधिकारों संबंधी उप-समिति |
जे.बी. कृपलानी |
पूर्वोत्तर सीमांत जनजातीय क्षेत्रों और आसाम के अपवर्जित और आंशिक रूप से अपवर्जित क्षेत्रों संबंधी उपसमिति |
गोपीनाथ बारदोलोई |
अपवर्जित और आंशिक रूप से अपवर्जित क्षेत्रों (असम के क्षेत्रों को छोड़कर) संबंधी उपसमिति |
ए.वी. ठक्कर |
संघीय शक्तियों संबंधी समिति |
जवाहरलाल नेहरु |
संघीय संविधान समिति |
जवाहरलाल नेहरु |
प्रारूप समिति |
बी.आर. अम्बेडकर |
31 दिसंबर, 1947 की स्थिति के अनुसार भारत की संविधान सभा के सदस्यों की राज्य वार संख्या प्रांत – 229
क्रम सं. |
राज्य |
सदस्यों की संख्या |
1. | मद्रास |
49 |
2. | बम्बई |
21 |
3. | पश्चिम बंगाल |
19 |
4. | संयुक्त प्रांत |
55 |
5. | पूर्वी पंजाब |
12 |
6. | बिहार |
36 |
7. | मध्य प्रांत एवं बरार |
17 |
8. | असम |
8 |
9. | उड़ीसा |
9 |
10. | दिल्ली |
1 |
11. | अजमेर-मारवाड़ |
1 |
12. | कूर्ग |
1 |
|
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भारतीय रियासतें-70 |
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1. | अलवर |
1 |
2. | बड़ौदा |
3 |
3. | भोपाल |
1 |
4. | बीकानेर |
1 |
5. | कोचीन |
1 |
6. | ग्वालियर |
4 |
7. | इंदौर |
1 |
8. | जयपुर |
3 |
9. | जोधपुर |
2 |
10. | कोल्हापुर |
1 |
11. | कोटा |
1 |
12. | मयूरभंज |
1 |
13. | मैसूर |
7 |
14. | पटियाला |
2 |
15. | रीवा |
2 |
16. | त्रावणकोर |
6 |
17. | उदयपुर |
2 |
18. | सिक्किम और कूचबिहार समूह |
1 |
19. | त्रिपुरा, मणिपुर और खासी रियासत समूह |
1 |
20. | यू.पी. रियासत समूह |
1 |
21. | पूर्वी राजपुताना/रियासत समूह |
3 |
22. | मध्य प्रांत रियासत समूह (बुंदेलखंड और मालवा समेत) |
3 |
23. | पश्चिमी भारत रियासत समूह |
4 |
24. | गुजरात रियासत समूह |
2 |
25. | दक्कन एवं मद्रास रियासत समूह |
2 |
26. | पंजाब रियासत समूह I |
3 |
27. | पूर्वी रियासत समूह I |
4 |
28. | पूर्वी रियासत समूह II |
3 |
29. | शेष रियासत समूह |
4 |
कुल |
299 |