राजनीति

उत्तराखंड विधान सभा के चुनाव में पियकड़ों की मौज

-गौचर से दिग्पाल गुसाईं-
चुनाव का पर्व क्या आया कि पियक्कड़ों की पौ-बारह हो गई है।हो भी क्यों नहीं जीतने के बाद महानुभावों ने लौटकर देखना नहीं है। इसलिए जो मिल गया पियक्कड़ उसी को गटकने में अपनी भलाई समझ रहे हैं।
जैसे जैसे मतदान का दिन नजदीक आ रहा है पियक्कड़ों के लिए घर गांवों व शहरों में बार सजने लगे हैं।शाम होते ही चुनाव के उम्मीदवार अथवा उनके समर्थक पियक्कड़ों की खिदमत कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।छोड़े भी कैसे चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न जो बना दिया है। महिला वोटरों को कोई घास तक नहीं डाल रहा है। उन्हें इस बात का पता है कि घर का मुखिया खुश हो गया है तो उनके पूरे परिवार की वोट पक्की हो गई है। विधानसभा चुनाव की घंटी क्या बजी कि पियक्कड़ों ने भी ठान ली है कि मानो तभी दम लेंगे जब तक प्रत्याशी हाथ खड़े नहीं कर लेते हैं। लेकिन उम्मीदवार पीछे हटने को तैयार नहीं है। किसी ने होटलों में इंतजाम करा दिया है तो कोई अद्धे पव्वे घर घर पहुंचाने का काम कर रहे हैं। मजेदार बात यह है कि पियक्कड़ किसी को भी नाराज नहीं कर रहा है। पियक्कड़ इतने चालाक है वे दिन में वे किसी साथ घूम रहे हैं तो शाम को दूसरे की महफ़िल की शोभा बढ़ा रहे हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने शराब व धन परोसने पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखी है लेकिन जिस प्रकार से जगह जगह शराब व नगदी पकड़ी जा रही है इससे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि चुनाव को धनबल व शराब से खरीदने के प्रचलन पर रोक लग गई हो।इसे नवोदित उत्तराखंड राज्य का दुर्भाग्य समझें ही समझा जाएगा कि पहाड़ों से शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात, रोजगार, जंगली जानवरों की समस्या से हो रहे पलायन की बात इस बार के चुनाव में गायब होती दिखाई दे रही। भाजपा सरकार में वन मंत्री रहे हरक सिंह रावत के उस बयान को यहां इसलिए कोड करना भी जरूरी हो गया है कि चुनाव कोई विकास से नहीं जीता जाता है। चुनाव के लिए मात्र 15 दिन का समय मिलना चाहिए। तिकड़मों से चुनाव जीता जाता है।इस बार के चुनाव में उनका कथन सत्य होता दिखाई दे रहा है। चुनाव जीतने के वायदे पूरे हों या ना हों प्रलोभनों की भरमार दिखाई दे रही है। बहरहाल चुनाव के अंतिम दिनों में सभी प्रत्यासियों ने साम दाम दण्ड भेद की नीति अपना कर वोटरों को अपने पाले में खींचने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!