नाक में दम कर रखा है बंदरों ने कास्तकारों का : साग सब्जी व खेतों में खड़ी फसल कर रहे तहस नहस
गौचर, 27 जुलाई ( उ ही)। इन दिनों बंदरों ने कास्तकारों के नाक में दम कर रखा है। बरसाती साग सब्जी व खेतों में खड़ी फसल बंदरों ने तहस नहस कर दी है। चिलचिलाती धूप व बारिश में पूरे दिन खेतों में चौकीदारी करने को मजबूर हो गए हैं।
कमर तोड़ महंगाई में कास्तकारों ने जहां घरों में बड़े पैमाने पर सब्जी की बेल लगा रखी हैं वहीं खेतों में मक्का उगाई है ताकि वे आसानी से अपने परिवार का जीवन यापन कर सकें लेकिन बंदऱों ने फल पकने से पहले ही फसलों को तहस नहस कर कास्तकारों के अरमानों में पानी फेर दिया है।अलग राज्य बने 22 साल बीतने को है कभी कोई सरकार बंदरबाड़ा बनाने की बात करती रही तो कोई कास्तकारों की आमदनी दोगुनी करने की बात को जोर शोर से प्रचारित करती रही लेकिन आज तक किसी ने भी पहाड़ की जनता को बंदरों से निजात दिलाने के लिए कारगर कदम नहीं उठाया है। जिसका खामियाजा आज भी कास्तकार भुगतने को मजबूर हैं नौबत यहां तक आ गई है कि कास्तकारों को खेती महंगा सौदा बनती जा रही है।बीज के लिए भी लोगों को पूरी तरह सरकारी विभागों के भरोसे रहना पड़ रहा है।बीज उपलब्ध न होने की दशा में खेत बंजर छूट जा रहे हैं। प्रगतिशील कास्तकारों का कहना है कि कमरतोड़ मंहगाई के इस दौर में वे नगदी फसलों की खेती पर जोर दे रहे हैं लेकिन फल मिलने से पहले ही बंदर उनके अरमानों में पानी फेर दे रहे हैं। नतीजतन सभी को मैदानी भागों से आने वाले महंगे फल सब्जियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है