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भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों की संख्या 705 से अधिक

वर्षांत समीक्षा 2020: जनजातीय कार्य मंत्रालय

अनुसूचित जनजातियां (एसटी) भारत की आबादी का लगभग 8.6 प्रतिशत है, जो संख्या में लगभग 10.4 करोड़ है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों की संख्या 705 से अधिक हैं।  भारत सरकार का जनजातियों के विकास और उनकी विरासत और संस्कृति के संरक्षण पर प्राथमिकता के साथ ध्यान केंद्रित है।

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने इस सोच के साथ और आदिवासियों के कल्याण के लिये अपनी स्थायी प्रतिबद्धता के अनुरूप वित्तीय संसाधनों के बढ़े हुए आवंटन, प्रयासों को एक साथ लाने, योजनाओं को फिर से तैयार करने और मंत्रालय के कार्यान्वयन तंत्र के माध्यम से क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करने के लिए खुद को तैयार किया।

एमओटीए  का बजट भी 2014-15 के 3850 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 7484 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। संसाधनों की इस बढ़ी हुई उपलब्धता ने मंत्रालय को जनजातीय समुदायों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिये अधिक प्रतिबद्धता के साथ एक नया प्रगति पथ तैयार करने में सक्षम बनाया है।

वर्ष 2021 के लिये जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:

  • मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित करने की मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित करने की मंजूरी दे दी, जो वीर आदिवासी स्‍वतंत्रता सेनानियों की स्‍मृति को समर्पित है, ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के प्रति उनके बलिदानों के बारे में जान सकें।

 

यह तारीख श्री बिरसा मुंडा की जयंती है, जिन्हें देश भर के आदिवासी समुदायों द्वारा भगवान के रूप में सम्मानित किया जाता है। 2016 के स्वतंत्रता दिवस पर माननीय प्रधानमंत्री के भाषण के अनुसार, भारत सरकार ने देश भर में 10 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों को मंजूरी दी है।

 

 

  • मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और राज्य मंत्री श्री विश्वेश्वर टुडु ने झारखंड और ओडिशा में 11 ईएमआरएस की आधारशिला रखी

श्री अर्जुन मुंडा और राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडु ने जुलाई और सितंबर 2021 के बीच झारखंड और ओडिशा में 11 ईएमआरएस की आधारशिला रखी। 2021 के दौरान कुल 84 ईएमआरएस की नींव रखी गई; जिसमें से 50 ईएमआरएस की आधारशिला प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रखी थी, कुल 27 ईएमआरएस की आधारशिला केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और राज्य मंत्री श्री विश्वेश्वर टुडु ने रखी थी। इनके अलावा 7 ईएमआरएस की आधारशिला राज्य के मंत्रियों ने रखी।

639 ईएमआरएस मंजूर किये गये हैं, जिनमें पिछली योजना के तहत 288 और नयी योजना में 351 शामिल हैं। देश भर में 367 ईएमआरएस खुल चुके हैं, जिनमें लगभग 85,232 छात्र वर्तमान में नामांकित हैं। 173 ईएमआरएस में निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसमें से 66 पिछली योजना से हैं और 107 नई योजना के तहत हैं।

इन विद्यालयों को नवोदय विद्यालयों के समकक्ष लाने की परिकल्पना की गयी है। मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में नेशनल एजुकेशन सोसाइटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स (एनईएसटीएस) की स्थापना स्कूलों के काम करने के तरीकों में एकरूपता लाने के लिये, स्कूलों को समग्र समर्थन और नीति निर्देश प्रदान करने के लिए की गयी है। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र स्तर पर राज्य/संघ राज्य क्षेत्र ईएमआरएस समितियों की स्थापना स्कूलों के दैनिक प्रशासन और प्रबंधन के लिए की गयी है।

  • जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जनजातीय गौरव सप्ताह का आयोजन किया

भारत सरकार ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और योगदान को श्रद्धांजलि देने और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और वीरता, आतिथ्य और राष्ट्रीय गौरव के भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए 15 नवंबर, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में घोषित किया है।

देश के विभिन्न हिस्सों में 15 से 22 नवंबर तक सप्ताह भर चलने वाले आज़ादी का अमृत महोत्सव समारोह के दौरान 125 से अधिक कार्यक्रम / गतिविधियाँ आयोजित की गयीं, ताकि गुमनाम रहे महान आदिवासी नायकों को याद किया जा सके जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया और राष्ट्र निर्माण के लिए योगदान दिया।

  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय और माइक्रोसॉफ्ट ने जनजातीय स्कूलों में डिजिटल बदलावों के लिये संयुक्त पहल पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये

यह गठजोड़ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित अगली पीढ़ी की डिजिटल तकनीकों में शिक्षकों और छात्रों को कौशल प्रदान करना चाहता है। एक ऑनलाइन कार्यक्रम ‘सफलता के लिए युवाओं में सामर्थ्य निर्माण’ में समावेशी, कौशल-आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण की दृष्टि से, जनजातीय मामलों के मंत्रालय (एमओटीए) ने मंत्रालय के तहत अन्य के अलावा एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) और आश्रम स्कूलों जैसे स्कूलों में डिजिटल बदलावों को बढ़ावा देने के लिये माइक्रोसॉफ्ट के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया।  सकारात्मक कार्रवाई पहल के तहत, माइक्रोसॉफ्ट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों में शिक्षकों और छात्रों को कुशल बनाने के लिये मंत्रालय के तहत आने वाले सभी ईएमआरएस स्कूलों में अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में आदिवासी छात्रों के लिए एआई पाठ्यक्रम उपलब्ध करायेगा।

इस कार्यक्रम के तहत पहले चरण में 250 ईएमआरएस स्कूलों को माइक्रोसॉफ्ट द्वारा अपनाया गया, जिनमें से 50 ईएमआरएस स्कूलों को गहन प्रशिक्षण दिया गया और 500 मुख्य प्रशिक्षकों को पहले चरण में प्रशिक्षित किया गया।

  • जनजातीय कार्य मंत्रालय और सीबीएसई ने संयुक्त रूप से ईएमआरएस और सीबीएसई शिक्षकों के लिए 21वीं सदी के लिये प्रायोगिक शिक्षा पर एक ऑनलाइन प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू किया

आजादी का अमृत महोत्सव के समारोह के हिस्से के रूप में, जनजातीय कार्य मंत्रालय सचिव, श्री अनिल कुमार झा और अध्यक्ष, सीबीएसई, श्री मनोज आहूजा ने संयुक्त रूप से सीबीएसई और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) के शिक्षकों के लिये टाटा ट्रस्ट, सीईटीई, टीआईएसएस (सेंटर ऑफ एक्सलेंस इन टीचर एजुकेशन, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस), मुंबई और एमजीआईएस (महात्मा गांधी इंटरनेशनल स्कूल), अहमदाबाद के सहयोग में 21वीं सदी के लिए प्रायोगिक शिक्षा पर एक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू किया।

इस कार्यक्रम में 6 राज्यों के 350 शिक्षक शामिल किये गये थे और इस कार्यक्रम में जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन, नेशनल एजुकेशन सोसाइटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स (एनईएसटीएस) के आयुक्त श्री असित गोपाल ने भाग लिया था। जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. नवल जीत कपूर और टाटा ट्रस्ट के श्री आर पवित्रा कुमार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

  • जनजातीय कार्य मंत्रालय और एनसीईआरटी ईएमआरएस शिक्षकों और प्राचार्यों के लिये एनआईएसएचटीएचए क्षमता निर्माण कार्यक्रम के लिए साथ आये

जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को पूरा करने और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) में शैक्षणिक उत्कृष्टता हासिल करने के लिए, 3 राज्यों के 120 ईएमआरएस शिक्षकों और प्रधानाचार्यों ने 40 दिनों की एनआईएसएचटीएचए-  नेशनल इनीशिएटिव फॉर स्कूल हेड्स एंड टीचर्स होलिस्टिक ए़डवांसमेंट प्रोग्राम पूरा किया। यह 19 जून 2021 को एनसीईआरटी का एक प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम था। क्षमता निर्माण के इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों और स्कूल के प्रधानाचार्यों के बीच दक्षता का निर्माण करना है, साथ ही एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।

एमओटीए ने हाल ही में नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) के साथ सहयोग किया, जो कई कार्यक्रमों पर आधारित पहलों और कदमों का एक शीर्ष राष्ट्रीय शिक्षा निकाय है और पूरे भारत में चल रहे 350 ईएमआरएस स्कूलों में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित करता है।

  • श्री प्रमोद कुमार शुक्लअंग्रेजी लेक्चररएकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय छत्तीसगढ़ ने शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद से राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार-2021 प्राप्त किया

माननीय राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने 5 सितंबर 2021 को शिक्षक दिवस के अवसर पर देश भर से चयनित 44 प्रतिभाशाली शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान किया।

श्री प्रमोद कुमार शुक्ल अंग्रेजी लेक्चरर, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस)करपावंडबस्तर छत्तीसगढ़ को भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया। यह ईएमआरएस शिक्षकों के मिला लगातार दूसरा पुरस्कार है और जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत स्थापित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के लिए विशेष महत्व रखता है। साल 2020 में श्रीमती सुधा पेन्युली उप- प्रधानाचार्या ईएमआरएस-कलसी, देहरादून, उत्तराखंड को पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के कार्यान्वयन के साथ, यह माना जाता है कि एनईपी की सिफारिशों को लागू करने के लिए शिक्षकों को सशक्त बनाने पर और ज्यादा जोर दिया जायेगा क्योंकि वो मुख्य भूमिका में आ रहे हैं। यह प्रतिभाशाली और प्रतिबद्ध शिक्षकों के निर्देशों पर आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए स्थापित ईएमआरएस में बदलावों का प्रत्यक्ष रूप से संकेत देता है।

  • 2020-21 के दौरान 35.2 लाख आदिवासी छात्रों में डीबीटी के माध्यम से मैट्रिक पूर्व और पश्चात की छात्रवृत्ति वितरित

मंत्रालय ने कोरोनावायरस महामारी की स्थिति के बीच शिक्षा की निरंतरता में आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिये 2021 के दौरान प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से प्री और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत 2500 करोड़ रुपये की राशि 35.2 लाख आदिवासी छात्रों को वितरित की। इस संबंध में, राज्य के प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक योजनाओं के पोर्टलों को डीबीटी जनजातीय पोर्टल और डीबीटी भारत पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है। इसके अलावा, इस योजना में 331 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है, जबकि छात्र के विवरण की पहचान और सत्यापन के लिये एक ऑनलाइन छात्र सत्यापन प्रक्रिया शुरू की गयी है।

प्री/पोस्ट मैट्रिक, नेशनल फेलोशिप और स्कॉलरशिप और नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप के लिये कुल बजट परिव्यय को 2013 के पिछले बजट परिव्यय से बढ़ाकर 2021 में 2546 करोड़ रुपये कर दिया गया है। 32,08,154 छात्र इन छात्रवृत्तियों से लाभान्वित हुए और कागज-आधारित आवेदन से डेटा-आधारित आवेदन में स्थानांतरित करने के साथ-साथ छात्रवृत्ति जारी करने का समय कम करने के लिए इस योजना के कार्यान्वयन का तरीका पूरी तरह से ऑनलाइन रहा।

  • केंद्रीय शिक्षा मंत्री और केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री ने संयुक्त रूप से स्कूल इनोवेशन एंबेसडर ट्रेनिंग प्रोग्राम लॉन्च किया

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने संयुक्त रूप से 50,000 स्कूल शिक्षकों के लिए ‘स्कूल इनोवेशन एंबेसडर ट्रेनिंग प्रोग्राम’ का शुभारंभ किया। इसका उद्देश्य 50,000 स्कूल शिक्षकों को इनोवेशन, एंटरप्रेन्योरशिप, आईपीआर, डिजाइन थिंकिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, आइडिया जनरेशन आदि पर प्रशिक्षण देना है।

  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने “ई-गवर्नेंस में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन” के लिए प्रतिष्ठित स्कॉच चैलेंजर पुरस्कार और अपनी पहल के लिये स्वर्ण पुरस्कार प्राप्त किये

जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) ने अपने 20 से ज्यादा ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी कार्यान्वित योजनाओं की नवीनतम जानकारी के साथ डिजिटल डैशबोर्ड और डिजिटल पारदर्शिता जैसी पिछले साल में उठाई गयी विभिन्न पहलों के लिए प्रतिष्ठित “स्कॉच  चैलेंजर अवार्ड” – “ई-गवर्नेंस में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन” प्राप्त किया। वर्चुअल स्कॉच समिट में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने पुरस्कार प्राप्त किया।

मंत्रालय ने अपनी पहल के लिए स्वर्ण पुरस्कार भी प्राप्त किये, जो “हिम-स्तूपों का उपयोग करके जल प्रबंधन में अभिनव डिजाइन के माध्यम से आदिवासी गांवों का पर्यावरण-पुनर्वास”, स्वास्थ्य: जनजातीय स्वास्थ्य और पोषण पोर्टल और प्रदर्शन डैशबोर्ड “आदिवासियों का सशक्तिकरण भारत का रूपांतर” के लिये प्राप्त हुए थे। इन पुरस्कारों को मंत्रालय की ओर से संयुक्त सचिव डॉ. नवल जीत कपूर द्वारा ग्रहण किया गया।

  • जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 18वें सीएसआई एसआईजी ई-गवर्नेंस अवार्ड्स 2020 में अवॉर्ड ऑफ अप्रीशिएशन जीता

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 18वें सीएसआई एसआईजी ई-गॉव अवार्ड्स 2020 में प्रोजेक्ट कैटेगरी-केंद्र सरकार की इकाई में प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किया है, जो उनके ‘विभिन्न आईसीटी पहलों के माध्यम से भारत में बदलाव के लिये आदिवासियों को सशक्त बनाने वाले प्रदर्शन डैशबोर्ड’ के लिए है। जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. नवल जीत कपूर ने लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से पुरस्कार ग्रहण किया।

  • वृक्षा बंधन योजना के तहत आदिवासी महिलाओं के द्वारा स्वदेशी वृक्षों के बीजों से राखी का निर्माण

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने एक अनूठी पहल में आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन, औरंगाबाद और महाराष्ट्र के साथ साझेदारी में वृक्षा बंधन योजना शुरू की, जहां 1100 आदिवासी महिलाओं ने स्वदेशी पेड़ों के बीजों से रक्षा बंधन के लिए राखियां बनाईं, जो वन क्षेत्र बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने में अनूठा योगदान देता है।

राखी प्राकृतिक रूप से रंगे हुए, नरम स्वदेशी, गैर विषैले, बायोडिग्रेडेबल कपास पर चिपके स्वदेशी बीजों से बनी होती थी। एक बार उपयोग करने के बाद, बीजों को मिट्टी में बोया जा सकता है, जिससे पर्यावरण को लाभ होता है। उम्मीद है कि इस परियोजना के तहत हजारों पेड़ लगाये जायेंगे और परियोजना से जुड़ी आदिवासी महिलाओं को रोजगार मिलेगा।

  • जनजातीय कार्य मंत्रालय और एम्स ने पोषण माह के हिस्से के रूप में सही पोषण-देश रोशन के मिशन के लिए गैर सरकारी संगठनों के लिये कार्यशाला का आयोजन किया

जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा पोषण माह गतिविधियों के हिस्से के रूप में 09 सितंबर, 2021 को पोषण और स्वास्थ्य पर गैर-सरकारी संगठनों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। कार्यशाला का उद्देश्य जनजातीय कार्य मंत्रालय के साथ काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को सही पोषण-देश रोशन के मिशन में निकटता से जोड़ना था। कार्यशाला में 70 से अधिक गैर सरकारी संगठनों ने भाग लिया जो जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे हैं।

  • जनजातीय कार्य मंत्रालय के आजादी का अमृत महोत्सव सप्ताह समारोह के हिस्से के रूप में दक्षिणी राज्यों के 86 एसटी उद्यमियों को सम्मानित किया गया

जनजातीय समुदाय के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और सफल उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एनएसटीएफडीसी) और जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा 22 नवंबर 2021 को विशाखापत्तनम में टीआरआईसीओआर-आंध्र प्रदेश के सहयोग से एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

  • जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जनजातीय युवाओं में नेतृत्व गुणों और प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिये कई पहलें की हैं

गोल (गोइंग ऑनलाइन एज़ लीडर्स) डिजिटल रूप से सक्षम मेंटरशिप और आदिवासी युवाओं को उनके हित के क्षेत्र में अग्रणी बनने के लिये सशक्त बनाने में फेसबुक के साथ मंत्रालय की एक संयुक्त पहल है। गोल पहल के माध्यम से, उद्योग, कला, राजनीति, व्यवसाय आदि के प्रसिद्ध लोग, जो अपने नेतृत्व कौशल या भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं, को एक साथ लाया जाता है जिससे वो एक डिजिटल माध्यम से आदिवासी युवाओं के व्यक्तिगत सलाहकार बन सकें। गोल कार्यक्रम में अब तक 23 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है।

जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातियों के कल्याण के लिये काम करने वाले प्रतिष्ठित संगठनों जैसे माइक्रोसॉफ्ट, आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन, टाटा फाउंडेशन और एसईसीएमओएल के साथ साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास करता है, इसका लक्ष्य परियोजनाओं में समाज की भागीदारी बढ़ाना और जनजातीय युवाओं के बीच नेतृत्व को लेकर जागरूकता पैदा करना है।

  • पीईएसए के 25 वर्ष पूरा होने के समारोह को मनाने के लिये पंचायतों के प्रावधानों (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 (पीईएसए) पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया

अमृत ​​महोत्सव के विषयों में से एक ‘संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ और ‘जनभागीदारी’ है। इसे ध्यान में रखते हुए, जनजातीय कार्य मंत्रालय ने इस अवधि के दौरान राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर कई गतिविधियों की योजना बनाई है।

पीईएसए जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। राज्य के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को आदिवासी क्षेत्रों का दौरा करने और जमीनी स्तर पर आदिवासियों के मुद्दों को समझने के लिए कहा गया। सभा के दौरान, इस बात पर जोर दिया गया कि जनजातीय समुदायों की संस्कृति की रक्षा करना उनके साथ पारदर्शी होने और तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्यों के तहत उन्हें विकास की किरण दिखाने के लिए एक आवश्यक उपाय है। कई राज्यों में इस दिशा की ओर प्रयास किये गये; महाराष्ट्र में पीईएसए के तहत विभिन्न कार्य प्रणालियों को अपनाया गया जिसके परिणामस्वरूप आदिवासियों का आर्थिक सशक्तिकरण हुआ।

  • दिल्ली हाटआईएनएनई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय आदि महोत्सव- जनजातीय संस्कृतिशिल्प और वाणिज्य का एक उत्सव

राष्ट्रीय आदि महोत्सव 1 से 15 फरवरी 2021 तक दिल्ली हाट, आईएनए, नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। इसने आदिवासी संस्कृति के कई पहलुओं का जश्न मनाया, जिसमें लोगों ने बहुत रुचि दिखाई और महोत्सव में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। यह उत्सव एक ही स्थान पर देश भर के आदिवासी समुदायों की समृद्ध और विविध शिल्प, संस्कृति से लोगों को परिचित कराने का एक प्रयास था।

एक पखवाड़े तक चलने वाले राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव में देश भर के 25 राज्यों के हजारों आदिवासी कारीगरों, रसोइयों, कलाकारों और सांस्कृतिक मंडलों ने भाग लिया। लगभग 200 स्टाल में प्रदर्शित दुर्लभ जनजातीय हस्तशिल्प, हथकरघा और प्राकृतिक उत्पाद, जनजातीय व्यंजनों के रूप में समृद्ध जनजातीय संस्कृति स्पष्ट रूप से देखने को मिली। आदि महोत्सव दिल्ली के निवासियों का दिल जीतने में सफल रहा और 15 दिनों में भारी भीड़ देखी गई और ऊंची बिक्री दर्ज की गयी। एक पखवाड़े में आदिवासी कारीगरों के द्वारा 4 करोड़ रुपये की सीधी बिक्री हुई: इसके अलावा, ट्राइफेड के द्वारा 8 करोड़ रुपये का खरीद आदेश दिया गया था; जिससे इस उत्सव में भाग लेने वाले आदिवासियों के लिए लगभग 12 करोड़ रुपये का व्यापारिक लेनदेन हुआ। आदि महोत्सव आदिवासी जीवन की भावना- शिल्प, संस्कृति और व्यंजन की संपूर्णता का उत्सव था।

  • ट्राइब्स इंडिया – आदि महोत्सव

चूंकि भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, इसलिए दिल्ली हाट में 16 नवंबर से 30 नवंबर तक आदि महोत्सव का आयोजन किया गया।

200 से अधिक स्टालों और देश भर के लगभग 1000 कारीगरों और कलाकारों जिनके पास अपनी अपनी अनूठी कहानियों थी, के साथ आदिमहोत्सव आदिवासियों को मुख्यधारा में लाने का एक प्रयास है। पारंपरिक कला और हस्तशिल्प, और देश की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हुए, यह फेस्टिवल आदिवासी कारीगरों को बड़े बाजारों से जोड़ता है और भारत की जनजातियों की विविधता और समृद्धि पर ध्यान केंद्रित करता है।

आदि महोत्सव एक लघु भारत है जहां आदिवासी कारीगरों – बुनकर, कुम्हार, कठपुतली बनाने वाले और कढ़ाई करने वालों की उत्कृष्ट शिल्प परंपराएं सभी एक ही स्थान पर हैं। कलाकृतियों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ जैसे पेंटिंग चाहे वो वर्ली शैली या पट्टचित्र हो; डोकरा शैली के आभूषण हों या वांचो और कोन्याक जनजातियों के मनके के हार या दक्षिण की प्रसिद्ध टोडा कढ़ाई, निकोबार द्वीप समूह के वर्जिन नारियल तेल से लेकर उत्तर-पूर्व के कई-स्वाद वाले पोषक-पेय पदार्थों तक; रंगीन कठपुतलियों और बच्चों के खिलौनों से लेकर पारंपरिक बुनाई जैसे डोंगरी शॉल, बोडो बुनाई, राजस्थान से कोटा डोरिया; बस्तर से लोहे के शिल्प से लेकर बांस के शिल्प और बेंत के फर्नीचर तक; मिट्टी के बर्तन जैसे मणिपुर से ब्लू पॉटरी और लोंगपी पॉटरी, ये आदि महोत्सव देखने वालों के लिये उत्सव के समान है।

  • जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने भारत में आदिवासियों के बीच कोविड टीकाकरण की गति में तेजी लाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान “कोविड टीका संग सुरक्षित वनधन और उद्यम” की वर्चुअली शुरुआत की

जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था, भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ (ट्राइफेड) के 45,000 वन धन विकास केंद्रों (वीडीवीके) का लाभ उठाने के लिए अभियान शुरू किया गया था।

  • जनजातीय कार्य मंत्रालय और गोवा सरकार ने संयुक्त रूप से प्रवासी कामगारों और जनजातीय प्रवासी प्रकोष्ठ के लिए श्रमशक्ति डिजिटल डेटा समाधान लॉन्च किया

एक ऐसे कदम के रूप में जो प्रवासी श्रमिकों के लिये राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों को सुचारू रूप से तैयार करने में प्रभावी रूप से मदद करेगा, केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय (एमओटीए) ने गोवा में प्रवासी श्रमिकों के लिये एक राष्ट्रीय माइग्रेशन सपोर्ट पोर्टल “श्रम शक्ति” और एक प्रशिक्षण मैनुअल श्रम-साथी, लॉन्च किया। विभिन्न राज्यों से गोवा आने वाले लगभग 4 लाख प्रवासियों की सुविधा और मदद के लिये, गोवा के मुख्यमंत्री गोवा में एक समर्पित प्रवासन प्रकोष्ठ का भी शुभारंभ करेंगे। एमओटीए ने गोवा में जनजातीय अनुसंधान संस्थान, जनजातीय संग्रहालय, वन धन केंद्र और जनजातीय लोक उत्सव को भी मंजूरी दी है।

  • जनजातीय मामलों के मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने एसटी पीआरआई सदस्यों के लिए आदि प्रशिक्षण पोर्टल‘ और दिवसीय ऑनलाइन क्षमता निर्माण कार्यक्रम का शुभारंभ किया

माननीय केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री, श्री अर्जुन मुंडा ने ‘आदि प्रशिक्षण’ पोर्टल का शुभारंभ किया और नई दिल्ली में आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में “एसटी पीआरआई सदस्यों के लिए मुख्य प्रशिक्षकों की क्षमता निर्माण प्रशिक्षण” पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

माननीय केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री, श्री अर्जुन मुंडा ने ‘आदि प्रशिक्षण’ पोर्टल का शुभारंभ किया और नई दिल्ली में आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में “एसटी पीआरआई सदस्यों के लिए मुख्य प्रशिक्षकों की क्षमता निर्माण प्रशिक्षण” पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने 19 जून, 2021 को विश्व सिकल सेल रोग दिवस के अवसर पर भारत में सिकल रोग पर दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कियासिकल सेल रोग को खत्म करने के लिए उन्मुक्त परियोजना शुरू की गयी

19 जून 2021 को विश्व सिकल सेल रोग दिवस मनाने के लिए, जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) ने फिक्की, नोवार्टिस, पिरामल फाउंडेशन, अपोलो अस्पताल, एनएएससीओ और जीएएससीडीओ की साझेदारी में भारत में सिकल सेल रोग‘ पर दूसरा ऑनलाइन राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। यह कार्यक्रम रोग के प्रारंभिक स्तर पर पहचान से लेकर नवीनतम दवाओं और रोग के उपचार तक सिकल सेल रोग प्रबंधन में हाल में हुई प्रगति पर विचार-विमर्श करने के लिये पूरे भारत में मौजूद सिकल सेल रोग के विशेषज्ञों को एक साथ लाया।

 

केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, और रेणुका सिंह सरुता ने सिकल सेल रोग के उच्च प्रसार वाले दो आदिवासी जिलों झारखंड के खूंटी जिले और छत्तीसगढ़ के कांकेर में आदिवासियों के बीच एससीडी की स्क्रीनिंग और समय पर इलाज को बेहतर बनाने के लिये उन्मुक्त परियोजना के तहत मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाई।

  • जनजातीय स्वास्थ्य सहयोग अनामय‘: जनजातीय स्वास्थ्य और पोषण को बढ़ाने के लिए एक बहु हितधारक पहल शुरू

जनजातीय स्वास्थ्य सहयोग अनामय को केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने नई दिल्ली में एक समारोह में लॉन्च किया। यह सहयोग जनजातीय मामलों के मंत्रालय की एक बहु-हितधारक पहल है जो पीरामल फाउंडेशन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) द्वारा समर्थित है। यह भारत के जनजातीय समुदायों के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति को बेहतर बनाने के लिये विभिन्न सरकारी एजेंसियों और संगठनों के प्रयासों को एकजुट करेगा।

  • पर्यावरण और जनजातीय कार्य मंत्रालयों द्वारा हस्ताक्षरित वन अधिकार अधिनियम के अधिक प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संयुक्त संचार

वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) 2006 वन में रहने वाले आदिवासी समुदायों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के अधिकारों को मान्यता देता है। ये समुदाय आजीविका, आवास और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक जरूरतों सहित विभिन्न जरूरतों के लिए वन संसाधनों पर निर्भर हैं।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के सचिव श्री आरपी गुप्ता और जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) के सचिव श्री अनिल कुमार झा ने पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर और जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा की उपस्थिति में एक “ज्वाइंट कम्युनिकेशन” पर हस्ताक्षर किये।

राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सभी मुख्य सचिवों को संबोधित ज्वाइंट कम्युनिकेशन, वन अधिकार अधिनियम (एफआरए), 2006 के अधिक प्रभावी कार्यान्वयन और वनों में रहने वाली अनुसूचित जनजातियों (एफडीएसटी) और वनों में रहने वाले अन्य पारंपरिक निवासियों (ओटीएफडी) की आजीविका क्षमता में सुधार से संबंधित है।

  • जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आजादी का अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में आदिवासी सांस्कृतिक अनुसंधान और प्रशिक्षण मिशन (टीआरआई)आंध्र प्रदेश के लिये नये भवन परिसर का उद्घाटन किया

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री, श्री अर्जुन मुंडा; जनजातीय कार्य राज्य मंत्री, रेणुका सिंह सरुता, और उप मुख्यमंत्री एवं आदिवासी कल्याण मंत्री, आंध्र प्रदेश, श्रीमती पामुला पुष्पा श्रीवाणीजी ने आजादी का अमृत महोत्सव इंडिया @75 के एक भाग के रूप में 15 अगस्त 2021 को आंध्र प्रदेश में जनजातीय सांस्कृतिक अनुसंधान और प्रशिक्षण मिशन (टीआरआई) के लिए नये भवन परिसर का उद्घाटन किया।

  • कोविड की स्थितियों के दौरान आदिवासियों की आजीविका में सुधार के लिये सरकार द्वारा किये गये उपाय

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 2020-21 के दौरान स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंस टू ट्राइबल सब स्कीम (एससीए टू टीएसएस), ‘विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) का विकास’ और ‘अनुच्छेद 275 (1) के तहत अनुदान’ के तहत योजनाओं में राज्य सरकारों को कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन और अन्य गैर-कृषि आधारित आजीविका गतिविधियों को शुरू करने के प्रस्तावों के आधार पर राज्य सरकारों को धन उपलब्ध कराया। विभिन्न आजीविका गतिविधियों को शुरू करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा 587.47 करोड़ रुपये स्वीकृत/जारी किये गये थे।

इसके अलावा 2020-21 और 2021-22 के दौरान आजीविका संबंधी योजनाओं के तहत अन्य केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा अनुसूचित जनजाति घटक (एसटीसी) के रूप में 12355.43 करोड़ रुपये के बराबर राशि प्रदान की गयी है।

जनजातीय उत्पादों/उपज के विकास और विपणन के लिए संस्थागत सहायता:

  • इस योजना के तहत, ट्राइफेड अपने स्वयं के पोर्टल www.tribesindia.com से आदिवासी उत्पादों की ई-कॉमर्स बिक्री को बढ़ावा दे रहा है साथ ही ये उत्पाद अमेजन, स्नेपडील, फ्लिपकार्ट पेटीएम, और जीईएम जैसे सभी प्रमुख ई-कॉमर्स पोर्टल पर भी मौजूद है।
  • ट्राइफेड ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 99.74 लाख रुपये की ऑनलाइन बिक्री की। चालू वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान ट्राइफेड ने 127.54 लाख रुपये (30.11.221 तक) की बिक्री की है।
  • ट्राइफेड ने 30.10.2021 तक देश भर में स्थित 145 आउटलेट्स का एक नेटवर्क स्थापित किया है जिसमें 97 खुद के सेल्स आउटलेट, कंसाइनमेंट सेल पर 33 आउटलेट और 15 फ्रैंचाइज़ी आउटलेट्स शामिल हैं।
  • 31.10.2021 तक ट्राइफेड के पैनल में शामिल आपूर्तिकर्ताओं/उत्पादकों की कुल संख्या 2915 है।
  • ट्राइफेड द्वारा आदिवासी उत्पादों की बिक्री 2019-20 के दौरान – 40.30 करोड़ रुपए, 2020-21 –  29.63 करोड़ रुपये और 2021-22 (30.10.2021 तक) – 18.43 करोड़ रुपये।

गौण वन उपज (एमएफपी) योजना के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी):

  • अधिकांश गौण वन उपज की एमएसपी में वृद्धि की गयी है।
  • 2020-21 से एमएफपी के लिये एमएसपी योजना के तहत 37 नए आइटम।
  • एमएसपी योजना के तहत एमएफपी की संख्या 2020-21 के दौरान 50 से बढ़कर 87 हो गयी।
  • एमएफपी के लिये एमएसपी योजना के लागू होने के बाद से भारत सरकार की राशि से राज्यों द्वारा 317.89 करोड़ रुपये के एमएफपी की खरीद।

वन धन विकास कार्यक्रम:

  • ‘एमएफपी के लिए एमएसपी’  योजना के तहत वन धन विकास केंद्र क्लस्टर (वीडीवीकेसी) स्थानीय रूप से उपलब्ध गौण वन उपज की खरीद सह मूल्य वर्धन के लिए सामान्य सुविधा केंद्रों के रूप में कार्य करते हैं।
  • वन धन विकास केंद्र क्लस्टर (वीडीवीकेसी) स्थापित करने के लिये पिछले तीन वर्षों में ट्राइफेड को 254.64 करोड़ रुपये जारी किया गया।
  • 2019-20 में अपनी स्थापना के बाद से अब तक 3110 वीडीवीकेसी को मंजूरी दी गयी है, जिससे 52,000 से अधिक एसएचजी के 9.28 लाख एमएफपी संग्रहकर्ता लाभान्वित हुए हैं।

एनएसटीएफडीसी/एसटीएफडीसी को इक्विटी सहायता:

  • एनएसटीएफडीसी अपनी कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से किसी भी आय सृजन गतिविधियों/स्वरोजगार के लिए पात्र अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को रियायती ऋण प्रदान करता है।
  • एनएसटीएफडीसी के द्वारा पिछले तीन वर्षों (2019-20 से 30.11.2021) में अपनी पांच योजनाओं के तहत 4.04 लाख आदिवासी लाभार्थियों को 748.75 करोड़ रुपये वितरित किये गये हैं।
  • एनएसटीएफडीसी ने पीएमईजीपी योजना के तहत कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करने के लिये केवीआईसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। एमओयू का उद्देश्य बैंकों और एससीए के माध्यम से वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले आदिवासी उद्यमियों को रियायती ऋण प्रदान करना है और एसटी लाभार्थियों को यूनिट लागत का 35% तक बैक एंडेड सब्सिडी मिलेगी।

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