इंसानी कारीगरी का बेजोड़ नमूना है दुनिया का सबसे ऊंचा चेनाव रेलवे पुल
—उषा रावत
शिवालिक की पहाड़ियों के बीच बने रहे इस पुल की ऊंचाई, इसकी डिजाइन और इसे बनाने में इस्तेमाल इंजीनियरिंग को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि तैयार होने के बाद ये पुल इंसानी कारीगरी का नायाब नमूना होगा, जिसकी मिसाल सदियों तक दुनिया भर में दी जाएगी। इस पुल का निर्माण भारतीय रेलवे की एक इकाई कोंकण रेल कॉर्पोरेशन द्वारा किया गया। स्टील से बने इस पुल की डिजाइनिंग और निर्माण के लिए दुनिया के बेहतरीन पुल विशेषज्ञों से सलाह-मशवरा किया गया और उनकी मदद ली गई। चेनाब नदी का ये इलाका दुर्गम पहाडियों के बीच का है। आड़ी-तिरछी पहाड़ियों के बीच पुल का निर्माण हमेशा से एक बड़ी चुनौती रहा है। कश्मीर घाटी के मौसम ने भी इस पुल के निर्माण में कम चुनौतियां नहीं खड़ी कीं। बर्फबारी और सर्द हवाओं ने इस पुल को बनाने में जुटे अफसरों और मजदूरों के लिए काफी कठिन परिस्थितियां उत्पन्न कीं। यही वजह है कि इस पुल को बनाने के लिए भारतीय रेलवे को फिनलैंड, जर्मनी और डेनमार्क जैसे देशों के पुल निर्माण विशेषज्ञों की मदद लेनी पड़ी।
पूरे इलाके के गहन सर्वे और जानकारों से सलाह-मशवरे के बाद इस पुल का अंतिम डिजाइन तैयार हुआ था। चेनाब पुल को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बहने वाली तेज हवाएं भी इसका बाल तक बांका नहीं कर सकती। पुल में हवा की तेज गति को भांपने वाले सेंसर भी लगे हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में खुद-ब-खुद ट्रेन का परिचालन बंद कर देंगे। शून्य से 20 डिग्री कम तापमान हो या तपती गर्मी में 45 डिग्री तक का तापमान, इस पुल में लगे स्टील को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते। इतना ही नहीं पुल को बनाते वक्त भूकंप के खतरे को भी ध्यान में रखा गया। भूकंप आने के लिहाज से देश को पांच हिस्सों में बांटा गया है और चेनाब नदी का ये इलाका भूंकप आने के लिहाज से सीस्मिक जोन-4 में आता है। लेकिन इस रेल पुल को बनाने के लिए सीस्मिक जोन-5 के आधार पर टेस्ट किए गए हैं। मतलब ये कि अगर रिक्टर पैमाने पर 8 की तीव्रता का भूकंप आया तो इस पुल को कोई नुकसान नहीं होगा। सबसे खास बात ये कि इस पुल की पुताई के लिए जिस पेंट का इस्तेमाल किया गया है वह कोई साधारण पेंट नहीं है। रेलवे के मुताबिक इस पेंट की औसत उम्र 15 से 20 साल है। इस पेंट को रिसर्च और डिजाइनिंग संस्था त्क्ैव् ने लंबे शोध के बाद तैयार किया है। इस पेंट पर धूप, बारिश और बर्फ का असर नहीं के बराबर होता है।
कश्मीर में बना यह बेमिसाल पुल जम्मू और श्रीनगर को जोड़ता है। ऐसे में इस पुल की अहमियत बहुत ज्यादा है, लिहाजा यह रेल पुल आंतकियों के निशाने पर भी हो सकता है। इस खतरे को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने इस पुल को ब्लास्ट प्रूफ बनाया है। रेलवे का दावा है कि इस पुल पर 40 टन विस्फोटक के दबाव से हमला किया जाए तो भी इसको कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। रेलवे अपने इस पुल की उम्र 120 साल बता रहा है, लेकिन अगर इसका रखरखाव सही से किया गया तो ये पुल 120 साल से भी अधिक कार्य करेगा।
चेनाब पुल के फायदे
रेलवे के इस पुल के बन जाने से जम्मू-कश्मीर देश के बाकी हिस्सों से हर मौसम में 12 महीने जुड़ा रहता है, क्योंकि सर्दियों में भारी बर्फबारी की वजह से अक्सर सड़क मार्ग बंद हो जाता है और श्रीनगर समेत कश्मीर के कई इलाके देश से कट जाते हैं। साथ ही चेनाब पुल के बनने के बाद जम्मू से श्रीनगर आने-जाने में 4 से 5 घंटे का वक्त कम लगता है।
चिनाब रेल पुल की की खास विशेषताएं
- चिनाब नदी पर बना रेलवे ब्रिज 3 किलोमीटर लंबा और 1,178 मीटर ऊंचा है.
- जम्मू कश्मीर के दो हिस्सों को जोड़ते इस पुल का एक हिस्सा रेयासी (Reasi) और दूसरा हिस्सा बक्कल, उधमपुर में है.
- यह पुल पेरिस के एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा है. वर्तमान में चीन ते शुईपई नदी पर बना पुल 275 मीटर ऊंचा है. लेकिन चेनाब रेल पुल नदी तल से 359 मीटर ऊंचा है.
- बादलों के ऊपर और ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच शान से खड़ा यह पुल 260 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बहने वाले हवा का भी मुकाबला कर सकता है.
- यही नहीं, इस पुल को इस तरह बनाया गया है कि अगर रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता से भी भूकंप आए तो इसका बाल भी बांका नहीं होने वाला.
- कंक्रीट और स्टील से बने इस पुल को ब्लास्ट-प्रूफ बनाने में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) से परामर्श लिया गया.
- निर्माण कंपनी का दावा है कि यह पुल करीब 120 साल तक खड़ा रह सकता है.
- इस पुल पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ सकती है.
- चिनाब रेलवे पुल में कुल 17 पिलर हैं. इसमें 28,660 मिट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है.
- चिनाब रेलवे पुल को उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (Udhampur Srinagar Baramula Railway Link) प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है. इस पुल को 28,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है.
- इस पुल का निर्माण कार्य साल 2004 में शुरू हुआ और साल 2009 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया. लेकिन सुरक्षा सुरक्षा के लिहाज से कई बार प्रोजेक्ट साइट पर काम रोका गया. साल 2022 में जब देश आजादी का 75वां उत्सव मना रहा है, देश को इस रेल पुल के रूप में सौगात मिली है.