आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण के लिए भी याद किया जायेगा वर्ष 2023
–उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो –
सरकार की कोशिशों के कारण, संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम 2019 के माध्यम से संविधान में नए अनुच्छेद 15(6) और 16(6) को शामिल किया गया। ये अनुच्छेद राज्यों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शैक्षिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत तक का आरक्षण प्रदान करने में सक्षम बनाते हैं। इसके आधार पर सरकार द्वारा ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की योजना जनवरी 2019 में लागू की गई। संविधान 103वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में कई रिट याचिकाएं दायर की गई थीं। प्रमुख मामला 2019 का रिट याचिका 55 है – जनहित अभियान बनाम भारत संघ। इन सभी मामलों को सर्वोच्च न्यायालय ने 5.8.2020 को संविधान पीठ के पास विचार के लिए भेजा था। लेकिन संविधान पीठ ने दिनांक 7.11.2022 बहुमत के फैसले से संविधान 103वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखा है और सभी रिटों को खारिज कर दिया।
- नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए)
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 15 अगस्त 2020 को एनएमबीए की शुरुआत की थी और व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के निष्कर्षों और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) से प्राप्त इनपुट के आधार पर सबसे पहले 372 कमजोर जिलों में लागू किया जा रहा है। एनएमबीए का उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों और स्कूलों पर ध्यान केंद्रित करने, आश्रित आबादी तक पहुंचने और उनकी पहचान करने, अस्पतालों और पुनर्वास केंद्रों में परामर्श और उपचार सुविधाओं और सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ जनता तक पहुंचने और मादक पदार्थों के उपयोग से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना है।
- नशा मुक्त भारत अभियान एक निरंतर चलने वाली गतिविधि है जिसे युवाओं, महिलाओं, शैक्षणिक संस्थानों और समुदाय के अन्य सभी वर्गों से अपार समर्थन प्राप्त हो रहा है।
- एनएमबीए की उपलब्धियां
- अब तक, जमीनी स्तर पर आयोजित विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से 3 करोड़ से अधिक युवाओं और 2 करोड़ से अधिक महिलाओं सहित 9.3 करोड़ से अधिक लोगों को मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूक किया गया है।
- एनएमबीए में 2.7 लाख से ज्यादा शैक्षिक संस्थानों की भागीदारी।
- 8,000 से ज्यादा मास्टर स्वयंसेवकों (एमवी) की पहचान की गई और उन्हें एनएमबीए का नेतृत्व करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया।
- एनएमबीए के आधिकारिक ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया एकाउंट्स के माध्यम से जागरूकता फैलाना।
- एनएमबीए मोबाइल एप्लिकेशन एनएमबीए गतिविधियों के डेटा और एनएमबीए डैशबोर्ड को एनएमबीए वेबसाइट (http://nmba.dosje.gov.in) पर प्रदर्शित करने के लिए विकसित किया गया है।
- 99,595 शैक्षणिक संस्थानों के 1.67 करोड़ से ज्यादा छात्रों ने राष्ट्रीय नशा मुक्त प्रतिज्ञा में हिस्सा लिया।
- एनसीसी’ युवाओं और अन्य हितधारकों के साथ जुड़ने और उन्हें शामिल करने के लिए ‘नशे से आज़ादी- एक राष्ट्रीय युवा और छात्र संवाद’ कार्यक्रम ‘नया भारत, नशा मुक्त भारत’, ‘एमएमबीए द्वारा एनसीसी के साथ बातचीत जैसे कार्यक्रमों का नियमित आयोजन किया जाता है।
- आध्यात्मिक/समाजसेवी संगठन जैसे चिन्मय मिशन, आरके मिशन, आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन, ब्रह्माकुमारी और संत निरंकारी मिशन जैसे संगठन सक्रिय रूप से एनएमबीए को समर्थन देते है।
- नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीडीडीआर)- यह एक ऐसी योजना है जिसके अंतर्गत जागरूकता निर्माण, क्षमता निर्माण, परामर्श, उपचार और पुनर्वास के माध्यम से नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के विभिन्न कार्यक्रमों के लिए राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों, गैर-सरकारी संगठनों/वीओ और सरकारी अस्पतालों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
एनएपीडीडीआर योजना के अंतर्गत शुरू की गई गतिविधियां निम्नलिखित हैं
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा समर्थित उपचार और परामर्श
- नशे के आदी लोगों के लिए 341 एकीकृत पुनर्वास केंद्र (आईआरसीए)
- 72 आउटरीच और ड्रॉप इन केंद्र (ओडीआईसी)
- 49 समुदाय आधारित पीयर लीड इंटरवेंशन (सीपीएलआई)
- 41 व्यसन उपचार सुविधाएं (एटीएफ)
- 14 जिला नशामुक्ति केंद्र (डीडीएसी)
- सभी सुविधाओं का जियो-टैग, जिससे जरूरतमंद लोग इस तक आसानी से पहुंच सकें
- राष्ट्रीय टोल फ्री नशा मुक्ति हेल्पलाइन ‘14446’
- नशामुक्ति और परामर्श से 2,86,402 लोग लाभान्वित हुए
- 2021-22 में एमओएसजेई द्वारा समर्थित केंद्रों में प्रदत्त सेवाएं
- जागरूकता
- नवचेतना मॉड्यूल: एमओएसजेई द्वारा विकसित शिक्षक प्रशिक्षण मॉड्यूल ‘नवचेतना मॉड्यूल’ के माध्यम से 10 लाख से ज्यादा शिक्षकों और 2.4 करोड़ से ज्यादा छात्रों को प्रशिक्षित किया जाएगा जिससे छात्रों (6ठी से 11वीं कक्षा), शिक्षकों और माता-पिता को नशीली दवाओं की लत, इससे मुकाबला करने की रणनीतियां और जीवन कौशल के बारे में संवेदनशील बनाया जा सके।
- 2017-22 में, एससीईआरटी, स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों, एनएसएस और एनवाईके, केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) संस्थानों, सरकारी विभागों और जीआईए में 5,523 जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से 2,66,817 लोगों को नशा के प्रति संवेदनशील बनाया गया।
व्यसन उपचार सुविधाएं (एटीएफ):
- नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में औषध निर्भरता उपचार केन्द्र को 125 चिन्हित किए गए संवेदनशील जिलों/क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में 125 व्यसन उपचार सुविधाओं (एटीएफ) की स्थापना करने का कार्य सौंपा गया, जहां पर कोई आईआरसीए कार्य नहीं कर रहा था।
- 41 एटीएफ को मंजूरी प्रदान की गई और 29 एटीएफ में सेवाएं शुरू हो चुकी हैं।
अगले वर्ष के लिए आगे की योजनाएं
- सीमावर्ती गांवों में एनएमबीए: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग के साथ मिलकर मई 2023 में 18 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में 17,000 सीमावर्ती गांवों में ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ की शुरूआत करेगा।
- जेलों में नशा मुक्ति केंद्र: अब तक हरियाणा के विभिन्न जिलों के जेल परिसरों में 15 नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए गए हैं और त्रिपुरा राज्य के जेल परिसर में एक नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किया गया है।
- परामर्श और नशा मुक्ति सुविधाओं को मजबूत करना: परामर्श, उपचार और पुनर्वास सेवाओं को व्यापक पहुंच प्रदान करने के लिए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय गैप जिलों में जिला नशा मुक्ति केंद्र (डीएसी) और सरकारी अस्पतालों में व्यसन उपचार सुविधाओं (एटीएफ) की स्थापना करेगा।
- अनुसूचित जातियों के लिए प्री और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति
- 2022-23 से, अनुसूचित जातियों और अन्य लोगों के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति योजनाओं का संचालन ऑनलाइन किया जाएगा और एपीबीएस के माध्यम केंद्रीय सहायता राशि का भुगतान सीधे प्रत्यक्ष लाभार्थी हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में किया जाएगा।
- वित्त वर्ष 2022-23 से, अनुसूचित जातियों के लिए पोस्ट और प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत, छात्रों के सत्यापन की सभी प्रक्रिया बिना किसी मैनुअल प्रक्रिया के डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हुए स्वचालित रूप से प्रमाणित डेटाबेस का उपयोग करके की जाएगी।
- वित्त वर्ष 2022-23 से प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत, ऑनलाइन एंड टू एंड प्रोसेसिंग, ऑनलाइन लेनदेन के माध्यम से पात्रता के सत्यापन में ज्यादा पारदर्शिता सुनिश्चित करने, संस्थानों द्वारा दोहरेपन और गलत दावों को नियंत्रित करने का काम शुरू किया गया है।
- वित्तीय वर्ष 2022-23 से, योजनाओं का सुचारू और प्रभावी कार्यान्वयन करने के लिए उपर्युक्त दोनों योजनाओं के लिए लाभार्थियों की प्रमाणिकता का सत्यापन करने के लिए राज्य के छात्रवृत्ति पोर्टलों पर छात्रवृत्ति आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं।
वर्ष 2022 में इस विभाग द्वारा प्राप्त भौतिक और वित्तीय उपलब्धियां निम्नानुसार हैं:
वर्ष | पीएमएस-एससी | एससी और अन्य के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति (कॉम्प 1) | अनुसूचित जातियों और अन्य के लिए मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति (कॉम्प II) | |||
लाभार्थियों की संख्या (लाख में) | केंद्रीय सहायता (करोड़ रुपये में) | लाभार्थियों की संख्या (लाख में) | केंद्रीय सहायता (करोड़ रुपये में) | लाभार्थियों की संख्या (लाख में) | केंद्रीय सहायता (करोड़ रुपये में) | |
2021-22 | 48.89* | 4111.53* | 34.79 | 509.34 | 332969 | 60.84 |
*लाभार्थियों की संख्या और राशि में बढ़ोत्तरी हो सकती है क्योंकि लंबित आवेदनों को निपटाने की प्रक्रिया अभी भी चल रही है।
- राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग (डीओएसजेई) अनुसूचित जाति आदि के लिए राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति (एनओएस) लागू कर रहा है जिसके अंतर्गत अनुसूचित जातियों के चयनित छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है; गैर अधिसूचित, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियां; भूमिहीन कृषि मजदूर और पारंपरिक कारीगर श्रेणियों को विदेशों में परास्नातक और पीएचडी स्तर के पाठ्यक्रम करने के लिए।
प्रमुख पहल: यह विभाग समय-समय पर एनओएस योजना दिशा-निर्देशों की समीक्षा करता है और प्रक्रियाओं को सरल बनाने और प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए इसमें परिवर्तन करता रहता है, कुछ प्रमुख पहल निम्नानुसार हैं:-
- एनओएस के अंतर्गत 2021-22 से सीटों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 कर दी गई है।
- बिना शर्त प्रस्ताव पत्र रखने वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जा रही है। इस प्रकार से बिना पुष्टि किए प्रवेश नहीं लेने वाले छात्रों द्वारा सीट को अवरुद्ध करने से बचाया जाता है।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि सर्वश्रेष्ठ छात्रों का चयन किया जाता है जो कि सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली शिक्षा का खर्च वहन कर सकते हैं, छात्रों का चयन संस्थानों की शीर्ष 500 क्यूएस अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग की योग्यता के आधार पर किया जाता है, जिस संस्थानों में उन्होंने 2021-22 से नामांकन प्राप्त किया है।
- लोगों के बीच जागरूकता उत्पन्न करने और छात्रवृत्ति योजना का प्रचार करने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया का उपयोग किया जाता है। इन विज्ञापनों को राष्ट्रीय समाचार पत्रों (दैनिक) के साथ-साथ क्षेत्रीय समाचार पत्रों में भी छपवाया जाता है। छात्रवृत्ति योजनाओं के फायदे को आकाशवाणी और दूरदर्शन के माध्यम से प्रसारित किया जाता है।
एनओएस योजना की भौतिक/वित्तीय उपलब्धियां
- वर्ष 2022-23 के दौरान 125 उम्मीदवारों का चयन किया गया जिसका मतलब यह है कि सभी उपलब्ध सीट पूरी तरह से भरे हुए थे।
- 2021-22 के दौरान, आवंटित राशि को 30 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 35 करोड़ रुपये कर दिया गया। 2022-23 के लिए बीई 36 करोड़ रुपये है।
वित्तीय वर्ष | बी.ई.
(करोड़ रुपये में) |
आर.ई.
(करोड़ रुपये में) |
व्यय
(करोड़ रुपये में) |
चयनित उम्मीदवार |
2018-19 | 15.00 | 15.00 | 5.97 | 100 |
2019-20 | 20.00 | 20.00 | 28.56 | 100 |
2020-21 | 20.00 | 30.00 | 32.92 | 100 |
2021-22 | 30.00 | 35.00 | 49.06 | 125 |
2022-23 | 36.00 | 60.00
(प्रस्तावित) |
16.82* | 125 |
* 12.12.2022 तक का व्यय
अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप (एनएफएससी)
योजना का उद्देश्य अनुसूचित जातियों के छात्रों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा मान्यता प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालयों/संस्थाओं/कॉलेजों में विज्ञान, मानविकी और सामाजिक विज्ञान विषयों में एमफिल, पीएचडी के लिए उच्च अध्ययन प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता के रूप में फेलोशिप प्रदान करना है।
एनएफएससी का भौतिक और वित्तीय प्रदर्शन
अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप के तहत बजट अनुमान और व्यय और लाभार्थी | |||
वर्ष | बजट आवंटन
(करोड़ रुपये में) |
फंड जारी
(करोड़ रुपये में) |
प्रदान की कुल गई फैलोशिप |
2014-15 | 200.00 | 148.84 | 2000 |
2015-16 | 209.55 | 200.55 | 2000 |
2016-17 | 200.00 | 196.00 | 2000 |
2017-18 | 230.00 | 225.40 | 2000 |
2018-19 | 300.00 | 255.81 | 2315 |
2019-20 | 360.00 | 246.66 | 2366 |
2020-21 | 300.00 | 119.00 | 4841 (केवल जून 2020 चक्र और बैकलॉग स्लॉट सहित) |
2021-22 | 300.00 | 122.43 | 1932 (एनटीए के दिसंबर 2020 और जून 2021 और सीएसआईआर के जून 2021 चक्र के विलय चक्र के विरूद्ध) |
2022-23 | 173.00 | 85.00
(12.12.2022 तक) |
|
पिछले वर्षों के खाली स्लॉट को हटा दिया गया।
|
- ओबीसी के लिए प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप/ वाइब्रेंट इंडिया के लिए पीएम यंग अचीवर्स स्कॉलरशिप अवार्ड स्कीम (पीएम-यशस्वी)
इस योजना का उद्देश्य ओबीसी, ईबीसी और डीएनटी श्रेणियों से संबंधित छात्रों पूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करके उनके बीच गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहचान करना और बढ़ावा देना है। इस योजना में सरकार द्वारा चुने गए प्रतिष्ठित स्कूल में कक्षा 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई करने के लिए ओबीसी/ ईबीसी/ डीएनटी छात्रों को कवर किया जाएगा।
- इस योजना को राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा।
- इसमें छात्राओं के लिए 30 प्रतिशत स्लॉट आरक्षित होंगे। पर्याप्त संख्या में छात्राओं की कमी होने पर, स्लॉट को छात्रों की पारस्परिक योग्यता के आधार पर पात्र लड़कों द्वारा भरा जा सकता है।
- इस योजना का लाभ एक परिवार में दो से ज्यादा भाई-बहनों को नहीं दिया जाएगा। छात्रों को यह प्रमाणित करने के लिए एक हलफनामा प्रस्तुत करना होगा कि उनके परिवार का कोई तीसरा भाई या बहन नहीं है जो इस योजना के अंतर्गत लाभ उठा रहा है।
- यदि छात्र अगले सेमेस्टर/ कक्षा में जाने में असफल रहता है तो उसकी छात्रवृत्ति समाप्त हो जाएगी।
- फंड की राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के खाते में जाएगी।
- सक्षम प्राधिकारी से स्वीकृति प्राप्त करने में हुई प्रशासनिक देरी के कारण 2021-22 में इस योजना को लागू नहीं किया जा सका। इसलिए, शुरुआती वर्ष को ध्यान में रखते हुए, वर्तमान वर्ष लाभार्थियों की संख्या/ स्लॉट केवल 15,000 रखा गया है।
स्कॉलरशिप फॉर पीएम केयर्स चिल्ड्रन (पीएम-केयर) की केंद्रीय क्षेत्र योजना
इस योजना का उद्देश्य उन बच्चों को छात्रवृत्ति सहायता प्रदान करना है जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता या कानूनी अभिभावक या दत्तक माता-पिता को खो दिया है जिससे वे कक्षा 1 से कक्षा 12 तक अपनी शिक्षा पूरी कर सकें।
2022-23 में बीसी डिवीजन की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्राप्त उपलब्धियां
योजना | वित्तीय (लाख में) | भौतिक |
पीएम यशस्वी | ||
ओबीसी/ईबीसी और डीएनटी छात्रों को प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति | 0.00 | लाभार्थियों की संख्या राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अगले वर्ष के प्रस्ताव के साथ प्रदान की जाती है
|
ईबीसी और डीएनटी छात्रों को पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति
|
0.34 | |
ओबीसी छात्रों के लिए लड़कों और लड़कियों के छात्रावास
|
5.841 | 400 सीटों के लिए |
श्रेयस | ||
ओबीसी छात्रों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप | 45.84 | 1067 छात्रों के लिए |
ओबीसी/ईबीसी छात्रों को विदेश में अध्ययन करने के लिए डॉ अम्बेडकर योजना | 18.67 | 4708 छात्रों के लिए |
पीएम-केयर्स | ||
पीएम-केयर्स बच्चों के लिए छात्रवृत्ति | 789.40 | 3947 छात्रों के लिए |
- प्रधानमंत्री अनुसुचित जाति अभ्युदय योजना (पीएम अजय)
प्रधानमंत्री अनुसुचित जाति अभ्युदय योजना (पीएम-अजय) को इस विभाग की तीन पूर्ववर्ती योजनाओं, अर्थात् प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (पीएमएजीवाई), अनुसूचित जाति उप-योजना के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता (एससीएसपी को एससीए) और बाबू जगजीवन राम छात्र योजना (बीजेआरसीवाई) को मिलाकर बनाया गया, जिसका कार्यान्वयन संसाधनों का बेहतर अभिसरण और सर्वोत्तम उपयोग के लिए विलय की गई योजना के घटकों के रूप में किया जाएगा।
(क) कौशल विकास, आय सृजन योजनाओं और अन्य पहलों के माध्यम से अतिरिक्त रोजगार का अवसर उत्पन्न करते हुए अनुसूचित जाति समुदायों की गरीबी को कम करना।
(ख) अनुसूचित जाति बहुल गांवों में पर्याप्त अवसंरचना और अपेक्षित सेवाएं सुनिश्चित करते हुए सामाजिक-आर्थिक विकास संकेतकों में सुधार लाना।
(ग) साक्षरता दर में वृद्धि करना और विशेष रूप से आकांक्षी जिलों/अनुसूचित जाति बहुल ब्लॉकों और भारत में अन्य स्थानों पर गुणवत्तापूर्ण संस्थाओं के साथ-साथ आवासीय विद्यालयों में पर्याप्त आवासीय सुविधाएं प्रदान करते हुए स्कूलों और उच्चतर शिक्षण संस्थाओं में अनुसूचित जातियों के नामांकन को प्रोत्साहित करना।
घटकवार ब्यौरा निम्नलिखित है-
- आदर्श ग्राम घटक (पूर्ववर्ती पीएमएजीवाई): 2022 में जनवरी से दिसंबर तक के अपेक्षित इनपुट निम्नानुसार हैं:
चुने गए नए गांवों की संख्या | पहले चुने गए गांवों की संख्या, जहां हाउस होल्ड सर्वेक्षण शुरू हुआ | पूर्व में चयनित गांवों की संख्या, जहां ग्राम विकास योजना सृजित हुई | आदर्श ग्राम के रूप में घोषित पूर्व में चयनित ग्रामों की संख्या |
11500 | 5225 | 4342 | 4242 |
- अनुदान सहायता घटक (पूर्ववर्ती एससीए से एससीएसपी): प्रधानमंत्री अनुसुचित जाति अभ्युदय योजना (पीएम-अजय) में विलय की गई योजना को अनुसूचित जातियों की भलाई के लिए जिला/राज्य स्तरीय परियोजनाओं में ‘सहायता अनुदान’ के घटक के रूप में कार्यान्वयन करने के लिए अनुसूचित जाति को विशेष केंद्रीय सहायता देने के लिए पूर्ववर्ती योजना का विलय करते हुए, प्रासंगिक दिशानिर्देशों में निम्नलिखित सुधार किए गए हैं:
(क) परियोजना आधारित दृष्टिकोण: लक्षित आबादी के लिए एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण और उन्हें चीरस्थायी रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए परियोजना-आधारित दृष्टिकोण पर बल देना।
(ख) विकेन्द्रीकृत योजना: स्थानीय आवश्यकताओं और उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखते हुए हितधारकों के परामर्श से जिला स्तर पर परियोजना की रूपरेखा तैयार करना।
(ग) क्रेडिट लिंक्ड एसेस अधिग्रहण के लिए वित्तीय सहायता में वृद्धि: लाभार्थी/परिवार के लिए वित्तीय सहायता को 10,000/- रुपये से बढ़ाकर 50,000/- रुपये कर दिया गया या परिसंपत्ति लागत का 50 प्रतिशत, जो भी लाभार्थी/परिवार के लिए कम हो।
(घ) पीएम-अजय वेब पोर्टल का कार्यान्वयन: वेब आधारित पोर्टल https://pmajay.dosje.gov.in का विकास इसके माध्यम से वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत करने, मूल्यांकन करने और अनुमोदन और निगरानी करने के लिए किया गया है।
(ङ) परियोजना कार्यान्वयन यूनिटों (पीआईयू) के लिए प्रावधान: घटक के कार्यान्वयन और निगरानी में जिला स्तर पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सहायता करना।
(च) निधि आवंटन मानदंड: सहायता अनुदान के घटक के अंतर्गत विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अनंतिम कल्पित आवंटन की गणना के मानदंड को आसान बनाया गया है।
(iii) छात्रावास घटक (पूर्ववर्ती बीजेआरसीवाई): इसकी उपलब्धियां निम्नानुसार हैं:-
- वेब पोर्टल का विकास: वेब आधारित पोर्टल (https://pmajay.dosje.gov.in) के माध्यम से छात्रावास के प्रस्ताव प्रस्तुत करने, मूल्यांकन और अनुमोदन के लिए इसे विकसित किया गया है।
- छात्रावास के लिए कलर कोडिंग: बेहतर पहचान के लिए, इसके अंतर्गत स्वीकृत छात्रावासों के भवन का रंग लड़कियों के छात्रावासों के लिए ‘गुलाबी’ और लड़कों के छात्रावासों के लिए ‘डार्क ग्रे’ होगा।
- डीएपीएससी के अंतर्गत प्राप्त विशेष निधियों से शुरू की गई योजना: देश की अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए 950.00 करोड़ रुपये की अतिरिक्त निधि का उपयोग करने के उद्देश्य से, सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए अवसंरचना के विकास के साथ-साथ आय सृजन गतिविधियों के माध्यम से अनुसूचित जातियों की आबादी के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एकबारगी वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक योजना को मंजूरी प्रदान की है। इस योजना में तीन घटक शामिल हैं, डॉ. अंबेडकर उत्सव धाम (डीएयूडी), अनुसूचित जाति की बहुसंख्यक आबादी वाले लगभग 2,800 गांवों में ‘सामुदायिक हॉल’ का निर्माण करने के लिए; अमृत जल धारा, 16,000 अनुसूचित जाति के व्यक्तियों/व्यक्तियों के समूह को अधिकतम 50,000 रुपये प्रति यूनिट या परियोजना लागत का 50 प्रतिशत जो भी कम हो, की सहायता प्रदान करने के लिए; और युवा उद्यमी योजना (यस) अनुसूचित जाति के 25,000 उद्यमियों को परियोजना लागत के 50 प्रतिशत तक या अधिकतम 60,000 रुपये तक सहायता प्रदान करने के लिए।
- तीनों निगमों की उपलब्धियां:
(क) राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (एनबीसीएफडीसी)
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त और विकास निगम (एनबीसीएफडीसी) सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तत्वावधान में भारत सरकार का एक उपक्रम है। एनबीसीएफडीसी को कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत 13 जनवरी 1992 (अब कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8) के अतर्गत एक ऐसी कंपनी के रूप में शामिल किया गया था जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लाभ के लिए आर्थिक और विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने और कौशल विकास और स्व-रोजगार उद्यमों में इन वर्गों के गरीब लोगें की सहायता करने के उद्देश्य से लाभ प्राप्त करने के लिए नहीं थी।
- ओबीसी लाभार्थियों की वित्तीय सहायता के लिए ऋण योजनाएं
एनबीसीएफडीसी राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों और बैंकों (आरआरबी और पीएसबी) द्वारा नामित राज्य चैनेलाइजिंग एजेंसियों (एससीए) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जिन्होंने एनबीसीएफडीसी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। 3.00 लाख रुपए तक की वार्षिक पारिवारिक आय वाले पिछड़े वर्गों के लोग एनबीसीएफडीसी योजनाओं के अंतर्गत ऋण प्राप्त करने के पात्र हैं।
वर्ष 2022 (जनवरी-नवंबर 2022) के दौरान, एनबीसीएफडीसी ने 1,28,409 लाभार्थियों के लिए 418 करोड़ रुपये की धनराशि का वितरण किया।
वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 1,94,810 लाभार्थियों के लिए 678.05 करोड़ रुपये की वार्षिक कार्य योजना को मंजूरी प्रदान की गई है।
अप्रैल 2022 से नवंबर 2022 के दौरान 86,667 लाभार्थियों के लिए 252.50 करोड़ रुपये की राशि निर्गत की गई।
(ख) राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफडीसी)
– कुल भुगतान 335.80 करोड़ रुपये (20.12.2022 तक)
– योजना लाभार्थी 20,234 (20.12.2022 तक)
अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप योजना (एनएफएससी)
महीना | भुगतान राशि (करोड़ में) | परीक्षा के दौरान भुगतान किए गए छात्रों की कुल संख्या (महीना में)
|
अक्टूबर, 2022 | 0.34 | 33 |
नवंबर, 2022 | 11.79 | 1980 |
दिसंबर, 2022 | अनुमोदन के बाद पीएफएमएस में वर्तमान में चल रही भुगतान प्रक्रिया के कारण इस महीने का भुगतान की पूर्ण जानकारी जनवरी 2023 में उपलब्ध होगी। |
वंचित इकाई समूह और वर्गों को आर्थिक सहायता योजना (विश्वास) – ब्याज सहायता योजना:
17 पीएसबी, 10 आरआरबी और 1 वित्तीय संस्थान सहित कुल 28 ऋणदाता संस्थाएं।
विश्वास ब्याज अनुदान के अनुसार 10,446 खातों के लिए 1.52 करोड़ रुपये की राशि।
(ग) राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम (एनएसकेएफडीसी)
- एनएसकेएफडीसी ने 20.12.2022 तक कैलेंडर वर्ष 2022 में लक्षित समूह से 55,441 लाभार्थियों को अपनी ऋण योजनाओं का लाभ प्रदान करने के लिए अपनी चैनलाइजिंग एजेंसियों (सीए) को 516.32 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की है।
- कैलेंडर वर्ष 2022 (20.12.2022 तक) के दौरान, एनएसकेएफडीसी ने नीचे दिए गए विवरण के अनुसार लक्षित समूह से 40,528 लाभार्थियों को अपनी ऋण योजनाओं का लाभ देने के लिए 239.34 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की है:
क्रम सं. | राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का नाम | वित्त वर्ष 2022 | |
वित्तीय (लाख में) | भौतिक | ||
1 | आंध्र प्रदेश | 2007.90 | 690 |
2 | गुजरात | 1060.19 | 576 |
3 | हरियाणा | 14.39 | 16 |
4 | केरल | 17566.28 | 37046 |
5 | नागालैंड | 137.25 | 114 |
6 | पंजाब | 104.99 | 86 |
7 | त्रिपुरा | 612.54 | 177 |
8 | पश्चिम बंगाल | 1005.56 | 828 |
9 | राजस्थान | 1395.25 | 935 |
10 | हिमाचल प्रदेश | 30 | 60 |
कुल | 23934.35 | 40528 |
- आयोगों की विशिष्ट उपलब्धियां:
(क) राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके)
इस अवधि के दौरान निम्नलिखित पहल की गई:
राज्य के अधिकारियों के साथ दो क्षेत्रीय सम्मेलन और कुलपतियों के माध्यम से 15 बैठकें आयोजित की गईं। इन बैठकों के दौरान, निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया:
- सीवर/सेप्टिक टैंक से हुई मौत के मामलों में पंजीकृत एफएलआर में एमएस अधिनियम, 2013 के प्रासंगिक प्रावधानों को लागू किया जाना चाहिए, जांच और परीक्षण को परीक्षण को फास्ट ट्रैक किया जाना चाहिए।
- उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक 27.03.2014 के दिए गए फैसले के अंतर्गत अधिकांश राज्यों के पास कोई अलग बजट राशि नहीं है और मुआवजे के भुगतान के लिए धन का कोई आवंटन नहीं है। तदनुसार, उन्हें उपयुक्त बजट का प्रावधान करने और इस उद्देश्य के लिए धन आवंटित करने की सलाह दी गई।
- सेप्टिक टैंक की सफाई का मशीनीकरण युद्ध स्तर पर किया जाना चाहिए जिससे इस तरह की सफाई के दौरान मूल्यवान मानव जीवन को कोई नुकसान न पहुंचे।
- मुआवजे का भुगतान उच्चतम न्यायालय के दिनांक 27-03-2014 को दिए गए फैसले के आलोक में और मृतकों के परिवारों की वित्तीय और सामाजिक पीड़ा के स्तर के मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए।
- मुआवजे का भुगतान किसी अन्य अधिनियम/नियम/दिशानिर्देश के अनुसरण में किए गए किसी भी भुगतान के अलावा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार किया जाना चाहिए।
- ऐसे मामले जहां कानूनी उत्तराधिकारियों का पता नहीं चल पा रहा है, इस संदर्भ में एक स्थानीय और एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में कम से कम तीन बार विज्ञापन दिया जाना चाहिए। जहां आंशिक भुगतान पहले ही किया जा चुका हो, कानूनी उत्तराधिकारियों के बैंक खाते या भुगतान वाउचर से कानूनी उत्तराधिकारियों का पता लगाया जा सकता है।
- एमएस अधिनियम, 2013 के अनुसार, राज्यों में राज्य स्तरीय निगरानी समिति की बैठकों के साथ-साथ जिला सतर्कता समिति की बैठकें आयोजित करने की आवश्यकता है।
- राज्यों में सफाई कर्मचारियों के मुद्दों का समाधान करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर राज्य स्तरीय आयोग या एमएस अधिनियम, 2013 के अनुसार नामित किसी एजेंसी का गठन किया जाना चाहिए।
- राज्य स्तरीय सफाई कर्मचारी आयोगों के साथ एक राष्ट्रीय सम्मेलन का भी आयोजन किया गया था जिसमें उनकी संरचना, निधियों की स्थिति और शिकायतों का निपटारा, उनकी समस्याओं आदि की विस्तृत चर्चा की गई थी। जिसके परिणामस्वरूप, अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को लागू करने के लिए राज्य मशीनरी सक्रिय हुई और एमएस अधिनियम, 2013 के प्रावधानों और सफाई कर्मचारियों के अधिकारों पर विभिन्न हितधारकों के बीच जागरूकता उत्पन्न हुई।
- मुआवजे का शीघ्र भुगतान, एमएस अधिनियम, 2013 के विभिन्न प्रावधानों का कार्यान्वयन और सफाई कर्मचारियों की शिकायत याचिकाओं का निपटारा करने के लिए राज्यों के मुख्य सचिवों सहित राज्यों के विभिन्न स्तरों पर डीओ पत्र भेजे गए हैं।
उपलब्धि:
निम्नलिखित उपलब्धियां प्राप्त की गईं:
बहुत समय से लंबित सीवर मौत के मामलों में मुआवजे का भुगतान: बहुत समय से लंबित सीवर मौत के 144 मामलों में 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। इन मामलों का वर्ष-वार विवरण निम्नानुसार हैं
क्रम संख्या | वर्ष | सीवर मौतों की संख्या जिन्हें 2022 में मुआवजा जारी किया गया |
1 | 1993-98 | 8 |
2 | 1999-2004 | 1 |
3 | 2005-2009 | 8 |
4 | 2010-2015 | 31 |
5 | 2016-2022 | 96 |
कुल | 144 |
- मुआवजे का शीघ्र भुगतान: मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों को 10.00 लाख रुपये के मुआवजा का तत्काल भुगतान निम्नानुसार किया गया:
- ऐसे मामले जिनमें मुआवजे का भुगतान एक दिन/अगले दिन किया गया: 6 (लखनऊ: 2, रायबरेली: 2 और दिल्ली: 2)।
- ऐसे मामले जिनमें मुआवजे का भुगतान एक महीने के भीतर किया गया: 5 (पुणे: 2, कांचीपुरम, तमिलनाडु: 3)
- मामले बंद: 36 मौत के मामलों को बंद कर दिया गया क्योंकि राज्य अधिकारियों द्वारा ऊपर उल्लिख किए गए उपाय करने के बावजूद कानूनी उत्तराधिकारियों का पता नहीं लगाया जा सका।
- राज्यों ने अब सीवर मौत के मामलों में मुआवजे के भुगतान के विशिष्ट उद्देश्य के लिए बजट की शुरुआत करने और निधियां आवंटित करने की सलाह को लागू करना शुरू कर दिया है।
- विभिन्न राज्यों में कई राज्य स्तरीय निगरानी समिति की बैठकें और जिला सतर्कता समिति की बैठकें आयोजित की गई हैं।
- त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल ने राज्य स्तरीय सफाई कर्मचारी आयोगों की स्थापना की है।
- शिकायतों का निपटारा- दिसंबर, 2022 तक पूरे देश में सफाई कर्मचारियों से प्राप्त कुल 1,258 शिकायतों में से आयोग द्वारा इस वर्ष के दौरान दिसंबर 2022 तक 1,240 शिकायतों का निपटारा किया गया है, जो 99 प्रतिशत निपटारा दर है।
- सीपीजीआरएएम- सीपीजीआरएएम के माध्यम से प्राप्त 51 लंबित शिकायतों में से 38 शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है और 14 को स्थानांतरित कर दिया गया है जिसके परिणामस्वरूप निपटारा दर 98 प्रतिशत है।
आईटी पहल:
- सभी कर्मचारियों को ई-ऑफिस पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है और सभी शिकायत फाइलों को ई-ऑफिस द्वारा रूट और अनुमोदित किया जाता है।
- आयोग की वेबसाइट का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने और शिकायत प्रबंधन प्रणाली, स्टोर प्रबंधन प्रणाली आदि विकसित करने के लिए दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों यानी वरिष्ठ डेवलपर और प्रोजेक्ट लीडर को काम पर रखा गया है।
9 डॉ. अम्बेडकर फाउंडेशन और डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की उपलब्धियां:
- डॉ. अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र (डीएसीई)
- डॉ. अम्बेडकर फाउंडेशन ने सिविल सेवा परीक्षा के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों को कोचिंग प्रदान करने के लिए एक नई योजना डॉ अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र (डीएसीई) की शुरूआत की है, जिसे पूरे देश के 30 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में लागू किया गया है।
- इस श्रेणी के अंतर्गत पूरे देश के 3,000 छात्रों को इस योजना के तहत कवर करने का प्रस्ताव है, जिसमें 2,332 छात्र पहले से ही इस योजना में नामांकन करवा चुके हैं।
- योजना के अनुसार, प्रति डीएसीई (विश्वविद्यालय) के लिए प्रति वर्ष अनुदान की अधिकतम सीमा 75.00 लाख रुपये निर्धारित की गई है।
- योजनाएं (डॉ. अम्बेडकर फाउंडेशन)
- डॉ. अम्बेडकर चिकित्सा योजना को 173 लाभार्थियों के साथ सफलतापूर्वक लागू किया गया, जिसकी राशि 422.45 लाख रुपये थी।
- अंतरजातीय विवाह के माध्यम से सामाजिक एकीकरण के लिए डॉ. अम्बेडकर योजना, इस योजना में 521.12 लाख रुपये के कुल व्यय के साथ 218 लाभार्थी लाभान्वित हुए।
- अत्याचारों के शिकार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय राहत का लाभ 6 लाभार्थियों ने उठाया, जिसका कुल व्यय 24.00 लाख है।
- महान संतों की जयंती/पुण्यतिथि मनाने के लिए डॉ. अम्बेडकर योजना (एनजीओ) का उपयोग 27.50 लाख रुपये के कुल व्यय के साथ 15 लाभार्थियों द्वारा किया गया।
- वर्तमान समय में पूरे देश के विभिन्न केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में 24 डॉ. अम्बेडकर पीठ स्थापित किए गए हैं।
- शैक्षणिक अनुभाग (डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र)
- डॉ. अम्बेडकर नेशनल पोस्ट-डॉक्टरल फैलोशिप के 5 पोस्ट-डॉक्टरल फेलो (राष्ट्रीय) ने अपना पीडीएफ पूरा कर लिया है।
- डॉ. अम्बेडकर डॉक्टरेट फैलोशिप के अंतर्गत 51 डॉक्टरेट स्कॉलर्स और डॉ. अम्बेडकर नेशनल एंड ओवरसीज फेलोशिप के अंतर्गत 31 पोस्ट-डॉक्टोरल स्कॉलर वर्तमान में काम कर रहे हैं और अपने शोध कार्य को पूरा करने के करीब हैं।
- डीएआईसी के अकादमिक अनुभाग द्वारा 70 से ज्यादा शोध प्रकाशन विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं/संपादित पुस्तकों मोनोग्राफ/पुस्तकें में प्रकाशित की गई, साथ ही साथ सामाजिक न्याय संदेश के 2 खंड भी।
- डीएआईसी के साथ 7 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों/संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
- डीएआईसी फेलो पूरे देश में कार्य कर रहे हैं, जिनमें पोस्ट-डॉक्टोरल फैलोशिप वाले 28 विश्वविद्यालय/संस्थान और डॉक्टरेट फैलोशिप से संबद्धता रखने वाले 27 विश्वविद्यालय/संस्थान शामिल हैं।
- डीएआईसी ने युवा शैक्षणिक प्रतिभाओं को डीएआईसी के साथ जुड़ने और प्रमुख अनुसंधान, शैक्षणिक और नीति कार्यक्रमों पर एक्सपोजर प्राप्त करने के लिए एक अल्पकालिक इंटर्नशिप कार्यक्रम की शुरूआत की है।
- डॉ. अम्बेडकर की एक नई अधिकृत और डिजाइन की गई मूर्ति, जिसकी कुल ऊंचाई 24.1 फीट और वजन 3.7 टन है, न्यू गेट के सामने स्थापित की गई है, जहां से डॉ. राजेंद्र प्रसाद रोड की शुरुआत होती है, साथ ही यहां एक वीडियो वॉल और सभी नवीनतम सुरक्षा, कनेक्टिविटी और सौंदर्य सुविधाएं और अवसंरचना मौजूद हैं।
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर के जीवन विचार और दृष्टिकोण का गतिशील भंडार, डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक को इस वर्ष के दौरान हजारों आगंतुक देखने पहुंचे, जिसमें 25 हजार से ज्यादा लोग महापरिनिर्वाण दिवस पर एकत्रित हुए।
10 एनआईएसडी की उपलब्धियां:
राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान में तीन डिवीजन हैं, नेशनल सेंटर फॉर ड्रग एब्यूज प्रिवेंशन (एनसीडीएपी) डिवीजन, वरिष्ठ नागरिक डिवीजन और ट्रांसजेंडर और भिक्षावृत्ति डिवीजन-
उपलब्धियां और मान्यताएं
- वित्त वर्ष 2022-23 के लिए निर्धारित कुल 1,970 कार्यक्रमों में से एनआईएसडी ने 30 नवंबर 2022 तक 1,038 कार्यक्रम पूरे किए हैं, जिनमें एनसीडीएपी में 533 गतिविधियां शामिल हैं; एससी डिवीजन में 266 कार्यक्रम और टी एंड बी डिवीजन में 239 कार्यक्रम पूरे किए गए।
- एनआईएसडी को आधिकारिक भाषाओं को बढ़ावा देने की दिशा में अच्छा काम और कोशिश करने के लिए प्रशंसा प्रमाणपत्र प्रदान किया गया। एनआईएसडी को आधिकारिक भाषाओं पर संसद की समिति से प्रशंसा प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।
11 लक्षित क्षेत्रों में उच्च विद्यालयों में छात्रों के लिए आवासीय शिक्षा योजना (श्रेष्ठ)
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, अनुसूचित जातियों के लिए कार्य कर रहे स्वैच्छिक और अन्य संगठनों को केन्द्रीय क्षेत्र योजना ‘ग्रांट-इन-एड’ का कार्यान्वित करता है जिसके अंतर्गत अनुसूचित जाति के छात्रों को शिक्षा क्षेत्र से संबंधित परियोजनाओं के लिए गैर-सरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। योजना के अंतर्गत जीआईए को परियोजनाएं चलाने के लिए मंजूरी दी जाती है, जिनके नाम (i) आवासीय विद्यालय (ii) गैर आवासीय विद्यालय और (iii) प्राथमिक और माध्यमिक दोनों छात्रों के लिए छात्रावास और इस योजना को 2022-23 से लक्षित क्षेत्रों में उच्च विद्यालयों में छात्रों के लिए आवासीय शिक्षा योजना (श्रष्ठ) के रूप में संशोधित किया गया है और इस योजना में मोड-I के अंतर्गत एक नया घटक जोड़ा गया है, जिसके तहत प्रत्येक वर्ष नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित राष्ट्रव्यापी प्रवेश परीक्षा के माध्यम से देश में अनुसूचित जाति के मेधावी छात्रों की एक निर्दिष्ट संख्या को शीर्ष श्रेणी के आवासीय उच्च विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा प्राप्त करने के लिए चुना जाएगा।
12 प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न हितग्राही (पीएम दक्ष) योजना
- प्रधानमंत्री दक्षता और कुशल संपन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना के अंतर्गत एसजेई विभाग के अंतर्गत निगमों (एनएसएफडीसी, एनबीसीएफडीसी और एनएसकेएफडीसी) के माध्यम से अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, ईबीसी, डीएनटी, कचरा बीनने वालों सहित सफाई कर्मचारियों को शामिल करते हुए हाशिए पर पड़े व्यक्तियों को कौशल प्रदान किया जाता है।
- पीएम दक्षा योजना के अंतर्गत एनएसएफडीसी का लक्ष्य 2022-23 के दौरान 20,600 लोगों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है।
- 659 प्रशिक्षुओं के लिए कौशल प्रशिक्षण शुरू किया गया है।
(ख) एनबीसीएफडीसी-
- एनबीसीएफडीसी प्रधानमंत्री दक्षता और कुशल संपन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना के अंतर्गत कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों का कार्यान्वयन कर रहा है जिससे लक्षित समूह के पात्र सदस्यों अर्थात अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग और गैर-अधिसूचित घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों से संबंधित व्यक्ति मजदूरी/स्व-रोजगार में संलग्न हो सकें।
- इस वर्ष के दौरान, एनबीसीएफडीसी ने 19,553 प्रशिक्षुओं के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मंजूरी प्रदान की है।
- एनएसकेएफडीसी-
- एनएसकेएफडीसी ने 2022-23 के दौरान 8909 कौशल प्रशिक्षण शुरू किया।
- उद्योग भागीदारों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने और बाद में समावेश करने के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया।
- जराचिकित्सा देखभालकर्ता की नौकरी की भूमिका में प्रशिक्षण के कार्यान्वयन के लिए कुल 15 प्रशिक्षण भागीदारों को चुना गया है।
- कई सीएनए नोडल एजेंसियों को नामित किया गया था और बैंक खाते खोले गए थे, जिसके बाद बची हुए शेष राशि हस्तांतरित की गई थी और पीएफएमएस के माध्यम से सीएनए खातों के माध्यम से आगे का खर्च किया जा रहा है।
- पीएम दक्ष को उमंग ऐप पर बोर्ड किया गया।
- पीएम दक्ष योजना को डीबीटी और आरईएटी के लिए पीएफएमएस में शामिल दिया गया।
- मुस्कान के साथ एपीआई एकीकरण (ट्रांसजेंडरों की जानकारी प्राप्त करने के लिए)।
13.यांत्रिक स्वच्छता इकोसिस्टम के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई( नमस्ते)
मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए स्वरोजगार योजना (एसआरएमएस) के अंतर्गत यांत्रिक स्वच्छता इकोसिस्टम के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई (नमस्ते)। जनवरी-दिसंबर 2022 के दौरान निम्नलिखित उपलब्धियां रहीं-
(ए) विभिन्न कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अंतर्गत 3944 मैला ढोने वालों/
आश्रितों का कवरेज।
(बी) आरपीएल/उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत 8396 स्वच्छताकर्मी कवर किए गए।
(सी) 445 मैला ढोने वालों/आश्रितों को सामान्य स्वरोजगार कार्यक्रम के लिए 8.17 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की गई।
(डी) स्वच्छता संबंधी परियोजनाओं के लिए 379 स्वच्छताकर्मियों/आश्रितों को 13.72 करोड़ रुपए की सहायता दी गई।
(ई) देश के विभिन्न यूएलबी में सीवरों तथा सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई पर 258 कार्यशालाएं आयोजित।
- ट्रांसजेंडर
- मंत्रालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 बनाया और इसके प्रावधान 10 जनवरी, 2020 से लागू किए गए।
- अधिनियम को लागू करने के लिए ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार संरक्षण) नियम, 2020 बनाए गए हैं और इन्हें 29.9.2020 को अधिसूचित किया गया।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के संबंध में सरकारी की नीतियों, कार्यक्रमों, कानूनों तथा परियोजनाओं पर सरकार को सलाह देने के लिए 21 अगस्त, 2020 को ट्रांसजेंडर व्यक्ति के लिए राष्ट्रीय परिषद गठित की गई।
- मंत्रालय ने 29.9.2020 को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पोर्टल लॉन्च किया। कोई भी ट्रांसजेंडर आवेदक कार्यालय से संपर्क किए बिना ऑनलाइन रूप से पहचान प्रमाणपत्र और पहचान कार्ड प्राप्त कर सकता है।
- आयुष्मान भारत योजना के अनुरूप ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को व्यापक मेडिकल पैकेज उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ 24.8.2022 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। व्यापक पैकेज ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए संक्रमण संबंधी स्वास्थ्य सेवा के सभी पक्षों को कवर करेगा। हारमोन थैरेपी, लिंग परिवर्तन सर्जरी के लिए कवरेज भी देगा, जिसमें ऑपरेशन के बाद की औपचारिकताएं शामिल हैं। इसका लाभ सभी निजी और सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में उठाया जा सकता है, अब तक 9,500 से ज्यादा प्रमाणपत्र जारी किए जा चुके हैं।
- वरिष्ठ नागरिक
(ए) 2022 के दौरान वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम योजना के अंतर्गत एनजीओ/संगठनों को 75.63 करोड़ रुपए का सहायता अनुदान उपलब्ध कराया गया है।
(बी) वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम योजना के अंतर्गत चार नए वरिष्ठ नागरिक घर प्रारंभ किए गए।
(सी) तीन नए क्षेत्रीय संसाधन प्रशिक्षण केंद्र चालू किए गए।
एल्डरलाइन-
सामाजिक न्याय तथा आधिकारिता मंत्रालय ने 01.10.2022 को वरिष्ठ नागरिकों के लिए टोलफ्री राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 14567 लॉन्च किया। यह एल्डरलाइन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक सप्ताह के सातों दिन काम करता है। एल्डरलाइन को लागू करने के लिए 2022 के दौरान 40.40 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई। वर्तमान में 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में एल्डरलाइन कार्य कर रही है।
- परियोजना निगरानी ईकाई (पीएमयू)
लागू की जा रही योजनाओं और कार्यक्रमों की निगरानी के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की परियोजना निगरानी ईकाई(पीएमयू) 2020 में स्थापित की गई। 28 वर्ष से कम आयु के शीर्ष कॉलेजों/संस्थानों से युवा पेशेवरों को 2 वर्ष की अवधि के लिए पीएमयू के रूप में कार्य में लगाया गया। वर्तमान में 41 पीएमयू (2021 बैच से 17 और 2022 बैच से 24) काम कर रहे हैं।
उद्देश्य
- विभिन्न राज्यों में पीएमयू यात्राओं के माध्यम से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित जीआईए संस्थानों के प्रदर्शन का आकलन करना।
- योजनाओं तथा परियोजनाओं के प्रमुख हितधारक बैठकों का आयोजन करना तथा सहायता देना।
- जमीनी स्तर पर योजनाओं के विभिन्न लाभार्थियों के बीच जागरूकता पैदा करना।
- योजनाओं को लागू करने के बारे में केंद्र तथा राज्य के अधिकारियों के बीच समन्वय की सुविधा।
परिणाम
एनएपीडीडीआर, एवीवाईएवाई, श्रेष्ठ, पीएम-एजीवाई, पीएम-दक्ष, डीडीएसी तथा एटीएफ जैसी विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पीएमयू ने 2022 के दौरान लगभग 1500 जीआईएस संस्थानों का निरीक्षण किया है। साथ ही पीएमयू ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं को लागू करने में राज्यों की सहायता की है।
- एनआईसी-दिव्यांगजन अनुकूल वेबसाइटों,सिंगल डैश बोर्ड की तैयारी
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की वेबसाइट https://socialjustice.gov.in/ दिव्यांगजन अनूकूल है। वेबसाइट में “स्क्रीन रीडर एक्सेस” फीचर को सक्षम बनाया गया है। इस वेबसाइट द्वारा “एक्सेसीबिलिटी” विकल्प दिए गए हैं। वेबसाइट पर डैश बोर्ड उपलब्ध है।
- सीपीजीआरएएमएस निस्तारण-विभाग ने 01.01.2022 से अब तक (21.12.2022) लगभग 6455 शिकायतों का निस्तारण किया है।
- राष्ट्रीय पुरस्कारों को युक्तिसंगत बनाना-विभाग ने अपने राष्ट्रीय पुरस्कारों को युक्तिसंगत बनाने के लिए सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के अपर सचिव की अधक्षता में एक समिति का गठन किया है। इसके अतिरिक्त विभाग ने सभी व्यक्तिगत और संस्थागत पुरस्कारों को समाप्त करने का निर्णय लिया है। अब से व्यक्तिगत/संस्थागत राष्ट्रीय पुरस्कारों की कोई अलग श्रेणी नहीं होगी। यद्यपि किसी भी पुरस्कार राशि/प्रशस्ति-पत्र के बिना संस्थानों की रैंकिंग की जाएगी।
- सरकार के विभिन्न मिशनों में भागीदारी-
विभाग मिशन उत्कर्ष वेबसाइट को अद्यतन बनाने आउट कम निगरानी ढांचा, एकेएएम, ईसमीक्षा क्षेत्रीय परिषद की बैठक, सार्वभौमिक सावधिक समीक्षा कार्य समूह और सरकार के अन्य पहलों में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है। विभाग समय-समय पर अपनी योजना की समीक्षा कर रहा है और अपने सभी हितधारकों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए सभी प्रयास कर रहा है।
- क्षेत्रीय कार्यशालाःसामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग ने राज्यों के बीच विभाग द्वारा लागू की गई योजनाओं,अधिनियमों/नियमों के बारे में जागरूकता पैदा करने तथा आपसी विचार-विमर्श के साथ मुद्दों को हल करने तथा मूल स्तर पर योजनाओं को बेहतर ढंग से लागू करने के उद्देश्य से तीन क्षेत्रीय कार्यशालाएं प्रारंभ करने की शुरुआत की है। विवरण इस प्रकार हैः
- (ए) उत्तर तथा पूर्वी क्षेत्र और कुछ केंद्रशासित प्रदेशों (16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों) के लिए क्षेत्रीय कार्यशाला।
- (बी) उत्तर तथा पश्चिमी क्षेत्र और कुछ केंद्रशासित प्रदेशों (12 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों) के लिए क्षेत्रीय कार्यशाला।
- (सी) दक्षिण क्षेत्र तथा कुछ केंद्रशासित प्रदेशों (9 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों) के लिए क्षेत्रीय कार्यशाला।
- विभाग ने अगरतला, त्रिपुरा में 25 और 26 नवंबर 2022 को उत्तर तथा पूर्व क्षेत्र और कुछ केंद्रशासित प्रदेशों (16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों) के लिए क्षेत्रीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया है।
- दूसरी क्षेत्रीय कार्यशाला 19 और 20 जनवरी 2023 को कर्नाटक के मैसूर में होगी।