देश का युवा राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सक्षम उसे नशे की गिरफ्त में आने से बचाना होगा: प्रो0 सुरेखा डंगवाल
देहरादून, 4 अगस्त (उहि ) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के तत्वाधान मैं संचालित नशा मुक्ति अभियान के तहत दून विश्वविद्यालय में स्थापित अंबेडकर चेयर के अंतर्गत “नशा मुक्त भारत अभियान” के विषय पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम की थीम “से नो टू ड्रग्स” अर्थात “नशे को ना कहें” थी. इस कार्यक्रम में दून विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ-साथ सारा देव इंटर कॉलेज के लगभग ढाई सौ विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में नुक्कड़ नाटक, स्लोगन कंपटीशन, भाषण प्रतियोगिता इत्यादि का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में अग्रणी आए विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया. जागरूकता अभियान के अंतर्गत एक रैली भी निकाली गई.
इस कार्यक्रम के दौरान सभी प्रतिभागियों ने ड्रक्स ना लेने की शपथ ली और साथ ही अन्य लोगों को भी ड्रग लेने से रोकने का प्रण लिया इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री (सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय) डॉ वीरेंद्र कुमार ने ऑनलाइन माध्यम से 75 इंस्टिट्यूट और यूनिवर्सिटी को संबोधित कर विद्यार्थियों, लेक्चरर और प्रोफेसर के साथ संवाद स्थापित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 75 साल पहले हमें एक आजादी मिली थी और अब हमें एक और आजादी चाहिए जो कि नशे से संबंधित है. युवा पीढ़ी को नशे से बचाने के लिए मोदी सरकार निरंतर कार्य कर रही है जिसे धरातल पर देखा जा सकता है. उन्होंने बताया कि एक बार हरिद्वार यात्रा के दौरान मैं एक रिहैबिलिटेशन सेंटर में गया था जहां पर काम करने वाले एक लड़के ने बताया कि कैसे वह ड्रग्स का आदि हुआ और फिर अपने आप को नशे से बाहर निकाल कर वह अब अन्य लोगों की मदद करता है. नशे के प्रति लोगों के अंदर जागरूकता लाकर ही भावी पीढ़ी को ड्रग्स के संभावित खतरे से बचाया जा सकता है।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि युवा पीढ़ी को नशे की लत से बचाना अति आवश्यक है. सामाजिक संस्थाएं जैसे कि परिवार और सहायता समूह समाप्त हो रहे हैं जिसके कारण से लोगों के जीवन में अवसाद व्याप्त हो गया है. सफलता के लिए युवा शॉर्टकट की तलाश में है और जब अपेक्षित सफलता नहीं मिलती है तो व्यक्ति मनोवैज्ञानिक समस्याओं से निपटने के लिए ड्रग्स का सहारा ले ले लेता है. ड्रग्स की लत इंसान को शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक और सामाजिक तौर पर नुकसान पहुंचाती है. नशे का आदी होने जाने पर फिर से सामान्य जीवन जीना दुष्कर हो जाता है क्योंकि ड्रग्स का आदि व्यक्ति की फिर से नशे में पड़ जाने की संभावना 70% होती है. इसीलिए नशे की लत पड़ने से पहले ही ड्रग्स के बारे में उचित जानकारी देकर नई पीढ़ी को नशे के अभिशाप से बचाया जा सकता है. इस कार्य के लिए सभी सामाजिक संगठनों को एकजुट होकर नशे के खिलाफ अभियान चलाने की आवश्यकता है। दून विश्वविद्यालय ड्रग्स से संबंधित जागरूकता का कार्यक्रमों का अधिक से अधिक विभिन्न स्थानों पर आयोजन करने की पहल करेगा और इसके लिए एक टास्क फोर्स बनाई जाएगी.
इस कार्यक्रम में मंच का संचालन नशा मुक्ति भारत अभियान हेतु दून विश्वविद्यालय की संयोजक डॉ रीना सिंह के द्वारा किया गया. इस कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ राजेश भट्ट थे. इस कार्यक्रम के में दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ एमएस मंदरवाल, डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर एच सी पुरोहित, प्रोफेसर आर पी मंमगई, प्रोफेसर हर्ष डोभाल, डॉक्टर सविता तिवारी कर्नाटक, डॉक्टर चेतना पोखरियाल, डॉ अरुण कुमार, डॉक्टर नरेंद्र रावल, डॉ आशीष सिन्हा, डाँ नितिन कुमार, डॉ प्रीति मिश्रा, डॉ राशि मिश्रा, डॉ सुनीत नैथानी, डॉ स्मिता त्रिपाठी, उप कुलसचिव नरेंद्र लाल डाँ सध्या जोशी सहित विद्यार्थि एवं शिक्षक उपस्थित रहे।