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यह रुट फिर चर्चा में आ गया -मॉरीशस रुट क्या है ?

By-Milind Khandekar

शेयर बाज़ार में मॉरीशस रुट को लेकर समय समय पर हल्ला मचता रहता है. घोटाले के आरोप लगते रहते हैं. यह रुट फिर चर्चा में आ गया क्योंकि भारत और मॉरीशस ने टैक्स समझौते में संशोधन किया है. इनकम टैक्स विभाग को मॉरीशस के रास्ते लगने वाले पैसे की जाँच के और अधिकार मिल जाएँगे.इससे शेयर बाज़ार थोड़ा घबराया, फिर सरकार ने सफ़ाई दी कि यह बदलाव अभी लागू नहीं हो रहा है. आज समझेंगे मॉरीशस रुट को .

मॉरीशस 12 लाख की आबादी का छोटा सा देश है. भारतीय मूल के लोगों का हिस्सा 68% है. यह देश ब्रिटेन से 1968 में आज़ाद हुआ. भारत ने 1982 में डबल टैक्स रोकने के लिए मॉरीशस से समझौता किया यानी दोनों देश में कारोबार करने पर किसी एक देश में ही टैक्स चुकाना होगा. शेयर बाज़ार में इसका खूब फ़ायदा उठाया गया. मॉरीशस के रास्ते से पैसे लगाओ, मुनाफ़े पर टैक्स भारत में मत दो. यहाँ 10% टैक्स रेट था जबकि मॉरीशस में ज़ीरो या बिलकुल नाम मात्र. मॉरीशस ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए ज़ीरो टैक्स रखा था.

बात सिर्फ़ टैक्स छूट की नहीं थी. एक शब्द का प्रयोग बार बार होता है कि Round tripping हो रही है यानी भारत के ही लोग मॉरीशस में Shell Company खोलते हैं. कंपनी काग़ज़ पर होती है. यह कंपनी भारत के ही पैसे भारत के शेयर बाज़ार में लगाती है. बाज़ार को लगता है कि विदेशी निवेश हो रहा है. शेयरों के भाव बढ़ते रहते फिर भाव बढ़ने के बाद शेयर बेच दिए जाते थे. बाक़ी बाज़ार ठगा जाता था. इसमें कंपनी के प्रमोटर शामिल होने का आरोप लगता था. केतन पारेख पर ऐसे ही घोटाले के आरोप लगे थे, हाल में अदाणी ग्रुप में निवेश मॉरीशस से होने के आरोप लगे थे. हालाँकि कंपनी ने किसी ग़लत लेनदेन से इनकार किया है.

सरकार ने इस रास्ते को बंद लगाने के लिए समझौते में बदलाव किया. शेयर बाज़ार में मुनाफ़ा कमाने पर भारत में कैपिटल्स गैन टैक्स नहीं देना पड़ता था. नए समझौते में 2017 के बाद होने वाले निवेश के लिए यह छूट ख़त्म कर दी गई. इससे पहले हुए निवेश को छूट मिलती रहेगी. इसका नतीजा यह हुआ कि मॉरीशस से आने वाला निवेश नंबर चार पर चला गया. 2013  तक विदेशी निवेश में नंबर वन देश मॉरीशस था. 

पिछले महीने फिर समझौते को बदला गया. Principle Purpose Test को जोड़ा गया है. मॉरीशस की कंपनी को साबित करना होगा कि उसका मक़सद पैसा घूमाना नहीं है, वो काग़ज़ी कंपनी नहीं है. यह ख़बर आने के बाद बाज़ार गिर गया. इनकम टैक्स विभाग ने सफ़ाई दी कि अभी सिर्फ़ समझौता हुआ है. इनकम टैक्स क़ानून में बदलाव नहीं हुआ है. बदलाव होने पर ही जाँच का दायरा बढ़ाने का अधिकार मिलेगा. बाज़ार ठंडा पड़ गया है फ़िलहाल, लेकिन सरकार ने अभी सिर्फ़ इतना कहा कि अभी लागू नहीं हो रहा है. समझौते का मतलब है कि आगे लागू होगा. यह सवाल सिर्फ़ मॉरीशस रुट का नहीं है. यह चार लाख करोड़ रुपए का सवाल है. मॉरीशस से इतना पैसा भारत के शेयर बाज़ार में लगा है. हालाँकि यह कुल विदेशी निवेश का 6% ही है.

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