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उत्तम तप धर्म: ला के अमन जैन को मिला प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य

 

–प्रो. श्याम सुंदर भाटिया

उत्तम त्याग धर्म पर प्रतिष्ठाचार्य जी ने रिद्धि-सिद्धि भवन में विधि विधान से विनय पाठ, पंचपरमेष्टि पूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरू पूजन, शांति पाठ और दसलक्षण पूजन कराया। मूल नायक भगवान महावीर स्वामी का महावीर जिन पूजन भी संपन्न हुआ। भोपाल से आई रजनीश जैन एंड पार्टी के सुरीले संगीत और भजनों छम छम छम छमाछम बाजे घुंघरू…., ढोल बाजे रे नगाड़ा बाजे रे, पारस तेरे द्वार पर हम सब नाचे रे…, जब से प्रभु दर्शन मिला, मन है मेरा खिला खिला…, पंखेड़ा रे उड़ते चलो मस्त गगन में… विद्यासागर नाम रे, जपो सुबह शाम रे…, पर रिद्धि-सिद्धि भवन में बैठे दर्शकों को मस्त होकर झूमने पर विवश कर दिया। साल के नियमित 365 दिन भगवान का अभिषेक और पूजा अर्चना करने वाले भक्तों को कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन औऱ श्रीमती ऋचा जैन ने उपहार देकर सम्मानित किया। यह सम्मान पाने वालों में स्टुडेंट्स के अलावा कई फैकल्टी मेंबर्स भी शामिल रहे। प्रथम स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य ला के अमन जैन, द्वितीय स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य एमबीए के ऋतिक जैन और ऋषि जैन, तृतीय स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य बीबीए के रौनक जैन और तन्मय जैन जबकि चतुर्थ स्वर्ण कलश से अभिषेक करने का सौभाग्य बीटेक के यश जैन और दीपक जैन को प्राप्त हुआ। उत्तम त्याग के पुण्य दिवस पर प्रथम शांतिधारा करने का सौभाग्य सीसीएसआइटी के 11 स्टुडेंट्स को मिला। द्वितीय शांतिधारा करने का सौभाग्य सीसीएसआइटी और टिमिट के छात्रों को मिला।

टीएमयू नालंदा औऱ तक्षशिला की राह पर: डॉ. व्यस्त   

टीएमयू के ऑडिटोरियम में बतौर मुख्य अतिथि एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने कहा, आज के समय में विज्ञान और आध्यात्म दोनों अलग हो गए हैं, जिसके कारण स्टुडेंट्स के हृदय में धर्म की भावना विलुप्त होती जा रही है। उन्होंने आध्यात्म को मूल तत्व बताया। उन्होंने स्टुडेंट्स को अच्छाई और सकारात्मक सोच को धारण करने के लिए प्रेरित किया। एक गजल के माध्यम से उन्होंने मन में बुलंदी के इरादे रखने की सीख दी। नालंदा और तक्षशिला के धार्मिक एवं आधात्मिक मिश्रण का उदाहरण देते हुए कहा, टीएमयू भी उसी दिशा की ओर अग्रसर है। जहाँ छात्र-छात्राओं को उत्कृष्ट शिक्षा के संग-संग धार्मिक औऱ आध्यात्मिक ज्ञान से भी परिपूर्ण किया जाता है। इससे पूर्व आस्थामयी इस शाम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन के संग हुआ। इस मौके पर कुलाधिपति के संग-संग जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, विद्या भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री वतन जी, एफओईसीएस के निदेशक प्रो. आरके द्विवेदी आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। निर्णायक मंडल में प्रेसीडेंट दिगम्बर महिला समाज- श्रीमती नीलम जैन और श्रीमती रानी जैन की भूमिका रही। कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने इस मौके पर श्री वतन जी को सम्मानित किया। दसलक्षण पर्व की सांस्कृतिक संध्या पर एफओईसीएस के स्टुडेंट्स ने एक शाम देश के नाम थीम पर परफॉर्म किया। कुलाधिपति ने दसलक्षण पर्व के उपलक्ष्य में शुद्ध भोजन की व्यवस्था में अहम ज़िम्मेदारी निभाने वाले भोजन समिति के श्रावक-श्राविकाओं को भी पुरस्कृत किया।

टीएमयू के ऑडी में बही भक्ति की बयार  

सांस्कृतिक पलों का आरम्भ मंगलाचरण की प्रस्तुति के साथ हुआ, जिसमें एफओईसीएस के छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके बाद बीटेक औऱ बीसीए के स्टुडेंट्स ने भारतीय सेना को सम्मान देते हुए वंदे मातरम गीत पर मनमोहक डांस परफॉरमेंस दिया। अपने नृत्य प्रदर्शन से स्टुडेंट्स ने ऑडी में बैठे दर्शकों को देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण जश्न-ए-आज़ादी नाटक रहा। करीब 45 मिनट के इस नाट्य मंचन में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, काकोरी कांड, साइमन कमीशन (साइमन गो बैक) औऱ वीर भगत सिंह को फांसी आदि ऐतिहासिक प्रसंगों का बखूबी चित्रण किया। इसमें प्ले के मध्य में नृत्य के माध्यम से भी देश भक्ति की ज्योत जाग्रत की गई। बीसीए की छात्रा सतेंद्र कौर को रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभाने पर नाटक की बेस्ट परफ़ॉर्मर का खिताब मिला। दूसरा स्थान बीटेक के तनिष्क जैन को शहीद भगत सिंह के किरदार के लिए औऱ बीसीए के विशेष जैन को बिस्मिल के रोल के लिए प्राप्त हुआ। इस नाटक का अंत ऑडी में मौजूद सभी दर्शकों द्वारा शहीदों के लिए दो मिनट के मौन धारण के साथ हुआ।

 

हर्षित औऱ जतिन को बेस्ट परफ़ॉर्मर के खिताब से नवाजा

सांस्कृतिक कार्यक्रम का समापन एक डांस परफॉरमेंस- जान तिरंगा है… के साथ हुआ। इसमें यह संदेश दिया गया कि हम सब धर्म, जाति औऱ समुदाय के बंधन में न बंधकर, हम भारतीय एक हैं। हम हिन्दुस्तानी हैं। इस डांस परफॉरमेंस में पिरामिड फार्मेशन, फेस आर्ट आदि कलाओं का प्रयोग करके एकता का बखान किया गया। डांस प्रस्तुति में अतिशय जैन, ध्रुव मिश्रा, हर्षित के अलावा बीटेक औऱ बीसीए के अन्य स्टुडेंट्स शामिल रहे। डांस में बीसीए के हर्षित जैन औऱ बीटेक के जतिन जैन को बेस्ट परफ़ॉर्मर के खिताब से नवाजा गया। एफओईसीएस के निदेशक प्रो. आरके द्विवेदी औऱ डॉ. रवि जैन ने फाइनल ईयर के सभी जैन स्टुडेंट्स को स्मृति चिन्ह भेंटकर विदाई दी। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने अपने अनुभव साझा किए। श्रीमती ऋचा जैन ने निर्णायक मंडल में शामिल श्रीमती रानी जैन औऱ श्रीमती नीलम जैन को स्मृति चिन्ह देकर दोनों का आभार व्यक्त किया। एफओईसीएस के फैकल्टी मेंबर श्रीमती नेहा आनंद मल्होत्रा ने वोट ऑफ़ थैंक्स देकर सभी को धन्यवाद दिया। इससे पूर्व दिव्यघोष के बीच ज्योति को जिनालय से रिद्धि-सिद्धि भवन तक लाकर विराजमान किया गया। भक्ति के पश्चात पंडित श्री ऋषभ जैन ने भक्ताम्बर पाठ किया। इस दौरान कुलाधिपति परिवार के अलावा डॉ. एसके जैन, श्री विपिन जैन, प्रो. एमपी सिंह, प्रो. रवि जैन के अलावा डॉ. आशेंद्र सक्सेना, डॉ. आरके त्रिपाठी, डॉ. आदित्य जैन, डॉ. संदीप वर्मा, डॉ. विनय मिश्रा, डॉ. शंभू भारद्वाज, डॉ. पराग अग्रवाल, श्री रूपल गुप्ता, श्री विवेक कुमार, श्रीमती निकिता जैन, श्रीमती प्रगति जैन एफओईसीएस की फैकल्टी मेंबर्स भी मौजूद रहे।

आपको दान देकर बार-बार नहीं जताना चाहिए: प्रतिष्ठाचार्य  

उत्तम त्याग के दिन पंडित जी ने छात्रों से एक दिन के लिए मोबाइल के त्याग का आह्वान किया। जो छात्र बड़ा दान नहीं कर सकते तो वह किसी निर्ग्रंथ साधु को जिनवानी खरीद कर दान करें, विद्यार्थी के लिए इससे बड़ा त्याग नहीं हो सकता। दान कभी छोटा या बड़ा नहीं होता। सत्य यह है, स्वस्थ मन से किया गया दान ही फलदायी होता है और दान देकर उसे बार बार जताने से दान की महिमा कम हो जाती है। इसलिए कई स्थानों पर गुप्त दान की व्यवस्था भी की जाती है। दानवीर भामाशाह और कर्ण की कहानी दान के क्षेत्र में खूब प्रचलित है। इससे पूर्व रिद्धि-सिद्धि भवन में कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन के अलावा डॉ. एसके जैन, श्री  विपिन जैन, डॉ. रवि जैन, डॉ. विनोद जैन, डॉ. रत्नेश जैन, ब्रह्मचारिणी डॉ. कल्पना जैन, डॉ. आशीष सिंघई, श्री अरिंजय जैन आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। ऑडी में पंडित जी बोले, पानी की चार प्रकृतियाँ होती हैं। अगर पानी की बूँद नारियल के पेड़ पर गिर जाए तो कपूर बन जाती है। अगर बबून्द पर गिर जाए तो मोती, अगर सांप के मुँह में गिर जाए तो ज़हर बन जाती है और अगर नाली में गिर जाए तो व्यर्थ हो जाती है। इसी प्रकार तप की भी चार प्रकृतियाँ होती हैं।

 

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