कुलपति सुरेखा डंगवाल का कार्यकाल दून विश्वविद्यालय को शैक्षणिक ऊंचाइयों पर ले गया
–uttarakhandhimalaya.in
देहरादून,18 जनवरी । दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर सुरेखा डंगवाल ने विश्वविद्यालय को अकादमिक श्रेष्ठता की ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पिछले दो वर्षों के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए । कुलपति की कार्य योजना विश्वविद्यालय में उत्कृष्ट शिक्षण, गुणवत्ता युक्त शोध कार्यों को संचालित करवाने के साथ- साथ विद्यार्थियों को सामाजिक दायित्व का बोध कराने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम पिछले दो वर्षो में संचालित किए गए।
राज्य की लोक कला संस्कृति के संवर्धन व संरक्षण के लिए विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर स्तर पर थिएटर व लोक कला परफार्मिंग आर्ट पाठ्यक्रम प्रारंभ किया गया। हिमालय ऋषि डॉक्टर नित्यानंद जी के सपनों के अनुरूप हिमालय का संरक्षण व नागरिक की समस्याओं के अध्ययन हेतु डॉक्टर नित्यानंद हिमालय अध्ययन व शोध केंद्र सुचारू रूप से प्रारंभ कराया। महिला वैज्ञानिकों को भारत सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के संबंध में जानकारी उपलब्ध हो तथा महिला वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ सकें इस दृष्टि से दो दिवसीय साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग मैथमेटिक्स (स्टेम) के तहत भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की योजनाओं का महिला विज्ञानी लाभ ले सके इस क्रम में साइंस इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड के सौजन्य से उत्तराखंड की महिला वैज्ञानिकों को मार्गदर्शन देने का कार्य किया जिसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के महिला वैज्ञानिकों को सहभागिता करने का अवसर मिला। आने वाले दिनों में महिला वैज्ञानिकों की उपलब्धियां और अधिक देखने को मिलेंगी।
नारी सशक्तिकरण की कड़ी में विश्वविद्यालय ने भारतीय महिला सत्य आधारित दृष्टिकोण देश और दुनिया के सामने रखने के लिए संवर्धनी न्यास नई दिल्ली तथा एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय मुंबई के साथ मिलकर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी पिछले वर्ष नवंबर माह में आयोजित की जिसके माध्यम से दुनिया को भारतीय संस्कृति और भारत के आदर्शों की नारी सम्मान की गौरवशाली परंपरा प्रस्तुत की गई।आज के भूमंडलीकरण के दौर में जहां समूचा विश्व एक परिवार के रूप में उभरा है ऐसे में विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों का भी दायित्व है कि वह भारत के गौरव को विश्व पटल पर प्रदर्शित करें । इस वर्ष भारत को प्रतिष्ठित समूह- 20 की अध्यक्षता का अवसर प्राप्त हुआ है, समूह- 20 की अध्यक्षता के कालखंड में वर्ष भर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे इसके प्रथम चरण में देश के 75 शिक्षण संस्थान एवं विश्वविद्यालय ‘यूनिवर्सिटी कनेक्ट’ कार्यक्रम के तहत चयनित किए गए जिसमें उत्तराखंड से दून विश्वविद्यालय को इस कार्यक्रम के लिए चयनित किया गया । 1 दिसंबर आधिकारिक तौर पर भारत ने समूह-20 की अध्यक्षता का कार्यभार लिया उस दिन विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, शिक्षकों, अधिकारियों व कुलपति ऑनलाइन इस आधिकारिक कार्यभार ग्रहण करने के गवाह बने। इस कार्यक्रम में शिरकत करने से विश्वविद्यालय शैक्षणिक गुणवत्ता के शिखर पर अग्रसर होने के साथ ही समाज के प्रति युवाओं में दायित्व बोध उत्पन्न कराने के उद्देश्यों में आगे बढ़ेगा।
अपने कार्यकाल में अकादमिक अनुशासन कायम करने की दृष्टि से कुलपति ने पिछले दो वर्षों में कोरोना की तेरी तीसरी लहर के बावजूद समय से प्रवेश एवं परीक्षाओं का संचालन किया । प्रत्येक वर्ष के विद्यार्थियों को अंक पत्र के साथ उपाधियां प्राप्त हो सके इस दृष्टि से विश्वविद्यालय में हर वर्ष दीक्षांत समारोह का आयोजन भी किया गया । वर्ष 2022 में विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह के अवसर पर उपाधि प्राप्त कर्ताओं को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने मातृभूमि के विकास, मातृभाषा के उन्नयन के साथ मातृशक्ति के सम्मान के भाव नई पीढ़ी में जागृत करने का आह्वान किया और विश्वविद्यालय के शैक्षणिक गतिविधियों की सराहना की। दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा शैक्षणिक समारोह होता है इस दृष्टि से हर वर्ष दीक्षांत समारोह महत्वपूर्ण विषयों को इंगित करने की दृष्टि से थीम आधारित किया गया । उस विषय पर विश्वविद्यालय वर्षभर कार्यक्रम संचालित करता है और दीक्षांत समारोह के साथ उस विषय की सार्थकता संपन्न हो जाती है। पिछले वर्ष नारी सशक्तिकरण विषय के बाद अगले वर्ष वसुधैव कुटुंबकम विषय का चयन किया गया है क्योंकि इस वर्ष समूह – 20 अध्यक्षता के तहत कार्यक्रम संचालित होंगे और अगले दीक्षांत समारोह के उपरांत फिर नए विषय का चयन किया जाएगा। विश्वविद्यालय में कोरोना काल में
प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों एवं समाजसेवियों के ऑनलाइन व्याख्यान लगातार आयोजित करता रहा जिसमें प्रमुख रूप से पद्म विभूषण प्रोफेसर के कस्तूरीरंगन, पद्मभूषण श्री बिंदेश्वरी पाठक, विदेश मामलों के विशेषज्ञ एवं पूर्व डिप्लोमेट अशोक सज्जनहार आदि का शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को ऑनलाइन मार्गदर्शन एवं सानिध्य प्राप्त हुआ जिस कारण कोरोनावायरस की इस वैश्विक महामारी के प्रभाव के वाबजूत शैक्षणिक गतिविधियों अनवरत जारी रहीं। विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कक्रियन्वयं की दिशा में अग्रणी भूमिका निभायी ।
राज्य के विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के लिए दो दिन का पाठ्यक्रम निर्माण हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया। विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं दिसंबर माह में संपन्न हो चुकी हैं, और पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रथम सेमेस्टर की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन ऑनलाइन प्रणाली से संचालित किया गया है। कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल की सोच रही है कि विश्वविद्यालय शैक्षणिक उन्नयन के साथ ही विद्यार्थियों को सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध कराने कि अपने उद्देश्य में सफल हो इसी उद्देश्य से लगातार नीतियां व योजनाएं अमल में लाई जाती है और सुधार हेतु विशेषज्ञों के सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं । कुलपति का दो वर्ष का कार्यकाल उत्तराखंड की लोक संस्कृति संवर्धन, शैक्षणिक उत्कृष्टता एवं नारी सशक्तिकरण के लिए समर्पित रहा। दो वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों ने कुलपति को बधाई दी।