पर्यावरण

प्रकृति प्रेमियों की जिज्ञासा !! क्या औली की ढलानों का उजाड़ा गया अप्रतिम बुग्याल पुनर्जीवित हो उठेगा ? ?

– प्रकाश कपरुवाण-

स्कीइंग प्रेमियों से पहले प्रकृति प्रेमी पर्यटकों के लिए अनमोल धरोहर के रूप मे विख्यात औली की हरियाली लौटाने की एक शुरुवात तो जरूर हुई है, लेकिन क्या औली को अपने पुराने स्वरुप “बुग्याल” व हरियाली लौटाने की मुहिम जन सहभागिता के साथ आगे बढ़ सकेगी?

दरसअल विश्व विख्यात हिम क्रीड़ा केन्द्र के रूप मे देश दुनिया के पर्यटकों के सामने आने से पूर्व औली भी गौरसौं की तरह एक बुग्याल था, वर्ष 2010 सैफ गेम्स से पूर्व औली मे विश्व स्तरीय स्कीइंग स्लोप तैयार करने के लिए बुग्याल व पेड़ पौधों को भी क्षति पहुंचाई गई, स्कीइंग स्लोप विश्व स्तरीय बना सैफ गेम्स के आयोजन के साथ ही कई बार नेशनल विंटर गेम्स भी हुए लेकिन औली को हरा भरा बनाने की दिशा मे सोचा तक नहीं गया।

हालाँकि स्लोप तैयार करने के लिए जब औली बुग्याल को उजाड़ा जा रहा था तब यह तर्क भी दिया गया कि पूरे स्लोप पर विदेशी घास बिछाकर पुनः बुग्याल का स्वरुप दिया जायेगा,और एक बार आईटीबीपी औली को यह जिम्मेदारी दी भी गई, प्रयास भी हुए लेकिन न बुग्याल का स्वरुप लौटा न हरियाली।

ग्रीष्मकाल मे रेगिस्तान के मानिद दिखने वाली औली की सैर करने वाले पर्यटक तो निराश होते ही हैं, बिना हरियाली व पेड़ पौधों के शीतकाल मे स्कीइंग स्लोप पर लम्बे समय तक बर्फ नहीं टिक पा रही है।

प्रकृति की अनमोल धरोहर औली को विश्व स्तरीय शीतकालीन पर्यटन केन्द्र के रूप मे विकसित करने की योजना उत्तराखंड राज्य के लिए बेहतर साबित तो हुई लेकिन विकसित करने के बाद जिस योजनाबद्ध तरीके से औली बुग्याल के स्वरुप व हरियाली को लौटाया जा सकता था वो नहीं हो सका जिसका खामियाजा स्लोप पर लम्बे समय तक बर्फ के न टिकने एवं ग्रीष्मकाल मे औली पहुंच रहे पर्यटकों की निराशा के रूप मे सामने आ रहा है।

2010 सैफ विंटर गेम्स के बाद आयोजित हुए विश्व पर्यावरण दिवस एवं हरेला महोत्सव पर जब औली की अनदेखी की जाती रही तो अब स्की एन्ड माउन्टनेरिंग एसोसिएशन उत्तराखंड की प्रेरणा से जोशीमठ व औली के स्थानीय पर्यटन व्यवसायियों, गढ़वाल मंडल विकास निगम सहित अन्य संस्थानों ने औली की हरियाली लौटाने की परिकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए बृहद वृक्षारोपण अभियान का बीड़ा उठाया है और इस वर्ष पाँच हजार एक सौ पौधों के रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसकी शुरुवात करते हुए अब तक डेढ़ हजार पौधों का रोपण किया जा चुका है।

स्कीइंग एन्ड माउन्टनेरयिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय भट्ट के अनुसार उन्होंने सहयोगियों के साथ विचार विमर्श कर औली को संवारने व उसका बुग्याली स्वरुप पुनः लौटाने की एक प्रयास शुरू किया है, इस मुहिम के परवान चढ़ने के बाद जहाँ शीतकाल मे स्कीइंग स्लोप पर लम्बे समय तक बर्फ टिकी रहेगी वहीं अप्रेल महीने मे खिलने वाले बुराँस का भी पर्यटक दीदार कर सकेंगे और स्थानीय गाइड के रूप मे युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होंगे।

वास्तव मे यदि औली की हरियाली लौटाकर पुनः बुग्याल का स्वरुप मिलता है तो निश्चित ही शीतकाल के साथ ग्रीष्मकाल मे भी औली पर्यटकों से गुलजार रहेगी और पर्यटन व्यवसाय मे भी आशातीत बृद्धि होगी।

अब देखना होगा स्कीइंग एन्ड मॉन्टनेयरिंग एसोसिएशन उत्तराखंड द्वारा जीएमवीएन, चियर लिफ्ट प्रोजेक्ट, स्थानीय पर्यटन व्यवसायियों को साथ लेकर शुरू की गई बृहद वृक्षारोपण की मुहिम जन सहभागिता के साथ किस प्रकार आगे बढ़ेगी इस पर औली व जोशीमठ के पर्यटन व्यवसाय का भविष्य भी निर्भर रहेगा।

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