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वर्षांत समीक्षा – 2021-पंचायती राज मंत्रालयभारत सरकार केप्रमुख कदम

पंचायती राज मंत्रालय की ओर से वर्ष 2021 के दौरान उठाए गए प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:

  1. स्वामित्व (ग्रामों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में नवीनम प्रौद्योगिकी के साथ मैपिंग)
    1. स्वामित्व योजना को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस, 24 अप्रैल 2020 को प्रत्येक ग्रामीण घर के मालिक को “अधिकारों का रिकॉर्ड” मुहैया कराके ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति को सक्षम बनाने के संकल्प के साथ शुरू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य नवीनतम सर्वेक्षण ड्रोन-प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में बसने योग्य (आबादीभूमि का सीमांकन करना है। यह पंचायती राज मंत्रालय, राज्य के राजस्व विभागों, राज्य पंचायती राज विभागों और भारतीय सर्वेक्षण विभाग का एक साझा प्रयास है। इस योजना में विविध पहलुओं को शामिल किया गया है, जैसे संपत्तियों के मुद्रीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाना जिससे बैंक ऋण आसानी से मिल सके, संपत्ति से जुड़े विवाद कम हो, गांवों से जुड़ी व्यापक योजना को तैयार किया जा सके जिससे सही मायने में ग्राम स्वराज प्राप्त करने में सफलता मिले और ग्रामीण भारत को आत्मानिर्भर बनाने का सपना सकार हो।

चरण-I: – पायलट योजना (अप्रैल 2020- मार्च 2021): हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश राज्यों को शामिल किया गया है और हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में सतत संचालन संदर्भ प्रणाली (सीओआरएस) की स्थापना की गई है।

चरण-II: (अप्रैल 2021- मार्च 2025) शेष गांवों का पूर्ण सर्वेक्षण 2025 तक पूरा करने और 2022 तक देश भर में सीओआरएस नेटवर्क कवरेज स्थापित करने का लक्ष्य।

    1. योजना की जरूरत

भारत में बंदोबस्ती के लिए ग्रामीण भूमि का सर्वेक्षण और अधिकारों का रिकॉर्ड पिछले कई दशक पहले पूरा किया गया था। इसके अलावा, कई राज्यों में गांवों के बसने योग्य (आबादी) क्षेत्र का सर्वेक्षण/मैपिंग नहीं किया गया था। इसलिए, कानूनी दस्तावेज के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति के मालिक बैंक ऋण और अन्य वित्तीय सहायता लेने से चूक रहे हैं क्योंकि बैंकों द्वारा स्वीकार्य वित्तीय संपत्ति के रूप में वे अपनी संपत्ति का लाभ उठाने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए, घर के मालिकों को संपत्ति का कानूनी अधिकार प्रदान करने के लिए नवीनतम ड्रोन प्रौद्योगिकी और निरंतर संचालन संदर्भ स्टेशन (सीओआरएस) तकनीक से लैस फोटो खींचने की सुविधा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।

    1. योजना का उद्देश्य
  1. परिवार को संपत्ति का अधिकार प्रदान करना
  2. संपत्ति के मालिकों के लिए वित्तीय संस्थानों से ऋण सुविधा का लाभ उठाने के लिए रास्ते खोलना
  3. संपत्ति से जुड़े विवादों में कमी लाना
  4. स्पष्ट टाइटल, सटीक आकार निर्धारण और पारदर्शी भूमि का मालिकाना हक के साथ, स्वामित्व योजना राज्यों को संपत्ति कर लगाने और एकत्र करने के लिए ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने की एक अभूतपूर्व शक्ति प्रदान करता है, जो स्थानीय उपयोग / विकास कार्यों के लिए पंचायत को उपलब्ध होगा। इससे ग्राम पंचायतों को वित्तीय साधन उपलब्ध होंगे।
  5. बेहतर गुणवत्ता वाली ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) तैयार करने में सहायता के लिए सटीक लैंड रिकॉर्ड और जीआईएस मानचित्रों का उपलब्ध कराना
  6. पंचायतों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति को मजबूत करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना

    1. वर्ष के दौरान इस योजना के तहत मिली उपलब्धियां

दिसंबर 2021 तक 90,504 गांवों में ड्रोन उड़ाने का काम पूरा कर लिया गया है; जिसमें से 70,554 गांवों में फीचर एक्सट्रैक्शन का काम पूरा हो गया है और 43,487 गांवों में जमीनी स्थिति जानने का काम पूरा हो गया है। करीब 28,603 गांवों में 36 लाख संपत्ति कार्ड तैयार किए गए हैं:

राज्य गांव संपत्ति कार्ड
उत्तर प्रदेश 16,011 23,07,190
मध्य प्रदेश 4,206 3,54,000
हरियाणा* 3,016 3,79,625
उत्तराखंड 2,884 1,08,007
महाराष्ट्र 1,453 2,16,486
कर्नाटक 940 2,94,290
राजस्थान 38 582
पंजाब 53 6427
लद्दाख 2 30
कुल 28,603 36,66,637

*पंजीकृत संपत्तियों की संख्या

  1. ग्राम स्वराज वित्तीय प्रबंधन प्रणाली

    1. पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) में ई-गवर्नेंस को मजबूत करने के लिए, 24 अप्रैल, 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर पंचायती राज के लिए एक सरलीकृत कार्य आधारित लेखा अनुप्रयोग ई-ग्राम स्वराज का शुभारंभ किया गया। इसे ई-पंचायत मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी) के तहत सभी एप्लिकेशन की कार्यात्मकताओं को मिलाकर विकसित किया गया है। ई-ग्रामस्वराज ई-एफएमएस एप्लिकेशन को सम्मिलित करता है और इसमें निम्नलिखित मॉड्यूल शामिल हैं:

  • जीपी प्रोफाइल: चुनाव विवरण, निर्वाचित सदस्यों, समिति की जानकारी आदि के साथ पंचायत प्रोफाइल को तैयार करना।
  • पंचायत योजना: गतिविधियों की योजना बनाना और कार्य योजना बनाने में सहयोग प्रदान करता है
  • भौतिक प्रगति: अनुमोदित गतिविधियों की भौतिक और वित्तीय प्रगति को रिकॉर्ड करना।
  • वित्तीय प्रगति: कार्य-आधारित लेखांकन और निधियों की निगरानी की सुविधा प्रदान करना।
  • संपत्ति निर्देशिका: पंचायतों की सभी अचल और चल संपत्तियों का विवरण इक्ट्ठा करना।
  • ओपन सोर्स प्रौद्योगिकियों पर आधारित मजबूत प्रमाणीकरण तंत्र।

    1. ई-ग्रामस्वराज पंचायती राज संस्थाओं को अधिक से अधिक निधि हंस्तांतरण के माध्यम से पंचायत की विश्वसनीयता बढ़ाने में सहायता करता है। यह विकेंद्रीकृत योजना, प्रगति रिपोर्टिंग और कार्य-आधारित लेखाविधि के माध्यम से बेहतर पारदर्शिता लाता है। इसके अलावा, एप्लिकेशन उच्च अधिकारियों को प्रभावी निगरानी के लिए एक मंच प्रदान करता है। ई-ग्रामस्वराज एप्लिकेशन में शामिल कुछ प्रमुख विशेषताएं हैं:

  • कार्य प्रगति को सक्षम बनाना
  • जीआईएस मानचित्र पर गांवों की संपत्ति को दिखाना
  • बहु-किरायेदारी का समर्थन; एक ही अनुरोध पर कई किरायेदार और
  • ओपन सोर्स प्रौद्योगिकियों पर आधारित मजबूत प्रमाणीकरण तंत्र

    1. एक मजबूत प्रणाली के माध्यम से सार्वजनिक व्यय की प्रभावी निगरानी के लिए एक समग्र प्रणाली बनाना और योजना के विभिन्न चरण से ही कार्य की निगरानी करना और किए गए कार्यों के लिए खर्च को रिकॉर्ड करना जिससे बनाई गई संपत्ति का पूरा विवरण प्रदान करना आसान हो। इस दिशा में, पंचायती राज मंत्रालय ने एक ई-वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (ई-एफएमएस) स्थापित की है जिसमें पंचायत योजना, भौतिक प्रगति, वित्तीय प्रगति, और स्थानीय सरकार निर्देशिका (एलजीडी) के साथ सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस), विशेष योजना और जियोटैगिंग को मिलाकर समग्र प्रणाली का आधार बनाया गया है।

2.4 इसके अलावा, मंत्रालय ने पीएफएमएस एकीकरण के माध्यम से ई-ग्राम स्वराज, पीएफएमएस और कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) के बीच डेटा साझाकरण को सक्षम किया है। संबंधित राज्य के कोषागारों और ई-ग्रामस्वराज इंटरफेस (ईजीएसपीआई) के साथ रिवर्स इंटीग्रेशन की प्रक्रिया की परिकल्पना की गई है जिससे आवेदन में मैन्युअल रूप से रसीद वाउचर बुक करने की आवश्यकता समाप्त हो गई, जिसके चलते गलतियां होती थी। इस बदलाव ने प्रदहवें वित्त आयोग अनुदान के तहत पंचायतों द्वारा किए जा रहे लेखांकन के एंड टू एंड ऑटोमेशन को सुनिश्चित किया है।

ग्रामस्वराजपीएफएमएस इंटरफेस सहित ग्रामस्वराज को अपनाने की वर्तमान प्रगति:

कार्य बिंदु स्थिति
पंचायत योजना 2.54 लाख ग्राम पंचायतों ने स्वीकृत जीपीडीपी को अपलोड किया, 5 हजार से अधिक ब्लॉक पंचायतों ने स्वीकृत बीपीडीपी अपलोड किया और 435 डीपीडीपी जिला पंचायतों द्वारा अपलोड किया गया
भौतिक प्रगति 1.11 लाख ग्राम पंचायतों ने जीपीडीपी के तहत गतिविधियों की भौतिक प्रगति की सूचना दी है।
एलजीडी कोड अनुपालन सीएफसी अनुदान प्राप्त करने वाले राज्यों में 100 प्रतिशत जीपी (टीएलबी सहित) एलजीडी के अनुरूप हैं।
ई-ग्राम स्वराज-पीएफएमएस एकीकरण 2.53 लाख ग्राम पंचायतों को पीएफएमएस से ई-ग्राम स्वराज में भेजा गया है।

2.31 लाख ग्राम पंचायतों ने 2021-22 के लिए ई-ग्राम स्वराज पीएफएमएस शुरू किया है।

1.83 लाख ग्राम पंचायतों ने 2021-2022 में ऑनलाइन भुगतान शुरू कर दिया है। पंचायतों द्वारा लगभग 67,000 करोड़ रुपये का भुगतान उनके संबंधित लाभार्थियों/विक्रेताओं को सफलतापूर्वक हस्तांतरित किया है।

वित्त वर्ष 2020-21 के लिए खाता बंद करना वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 92 प्रतिशत ग्राम पंचायतों ने अपनी ईयर बुक्स को बंद कर दिया
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए खाता बंद करना वित्त वर्ष 2021-22 में 82 प्रतिशत ग्राम पंचायतों ने मंथली बुक्स बंद किया

    1. ग्राम स्वराज के साथ लाभार्थी विवरण का समेकन: पारदर्शिता बढ़ाने और पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए, मंत्रालय ने विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों के लाभार्थी विवरणों को ई-ग्राम स्वराज एप्लिकेशन के साथ जोड़ा है। सूचना ग्राम पंचायतों को उपलब्ध होगी, जिन्हें ग्राम सभाओं के दौरान सार्वजनिक सत्यापन के लिए पढ़ा जाएगा। यह सत्यापन डिजिटलीकरण और जनभागीदारी के माध्यम से जवाबदेही सुनिश्चित करने में मील का पत्थर साबित होगा। दिसंबर 2021 तक, तीन केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों की नौ योजनाओं के लाभार्थी विवरण ई-ग्रामस्वराज एप्लिकेशन के साथ जोड़े गए हैं। इसमें ग्रामीण विकास मंत्रालय की पांच योजनाएं शामिल हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (आईजीएनओएपीएस), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना (आईजीएनडब्ल्यूपीएस), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांगता पेंशन योजना (आईजीएनडीपीएस), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना (आईजीएनएफबीएस), पशुपालन और डेयरी विभाग की दो योजनाएं अर्थात, राष्ट्रीय कृषि नवाचार परियोजना (एनएआईपी और एनएआईपी II) और राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी), कृषि और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक योजना अर्थात, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएमकेएसएन), पेयजल और स्वच्छता विभाग, जल शक्ति मंत्रालय की एक योजना अर्थात, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) शामिल हैं।

  1. संपत्तियोंकी जियोटैगिंग

3.1 प्रभावी निगरानी के रूप में, कार्यों की भौतिक प्रगति की क्षेत्र-स्तरीय निगरानी होना जरूरी है। इसके अलावा, प्रणाली को मजबूत करने के लिए पूरक; संपत्तियों की जियो-टैगिंग (कार्य पूरा होने पर) अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंत्रालय ने एमएक्शनसॉफ्ट-एक मोबाइल आधारित (एप) समाधान विकसित किया है जो उन कार्यों के लिए जियो-टैग (अर्थात जीपीएस निर्देशांक) के साथ फोटो कैप्चर करने में मदद करता है, जिनमें आउटपुट के रूप में संपत्ति है। संपत्तियों की जियो-टैगिंग तीनों चरणों में की जाती है। (i) काम शुरू होने से पहले, (ii) काम के दौरान और (iii) काम पूरा होने पर। यह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जल संचयन, सूखे की जांच, स्वच्छता, कृषि, चेक डैम और सिंचाई चैनलों आदि से संबंधित सभी कार्यों और संपत्तियों की जानकारी का संग्रह प्रदान करता है।

3.2 प्रगति (दिसंबर 2021 तक): पंद्रहवें वित्त आयोग के तहत चालू वर्ष में अब तक की गई गतिविधियों के अंगर्तत ग्राम पंचायतों द्वारा संपत्ति के 2.52 लाख फोटो अपलोड किए गए हैं।

3.3 सिटिजन चार्टर

सेवाओं के मानक, सूचना, चुनाव और परामर्श, बिना भेदभाव के पहुंच, शिकायत निवारण और वैल्यू फॉर मनी के संबंध में अपने नागरिकों के प्रति पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) की प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, मंत्रालय ने “मेरी पंचायत मेरा अधिकार-जन सेवाएं हमारे द्वार” के नारे के साथ नागरिक चार्टर दस्तावेज (https://panchayatcharter.nic.in/) अपलोड करने के लिए मंच प्रदान किया है। इसमें संगठन की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए नागरिकों से संगठन की अपेक्षाएं भी शामिल हैं।

कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, अधिक उत्तरदायी और नागरिक-अनुकूल शासन प्रदान करने के अपने प्रयासों के तहत, केंद्र सरकार, राज्य और केन्द्र शासित प्रदेशों के सरकारों में नागरिक चार्टर बनाने और संचालित करने के प्रयासों का समन्वय करता है। यह चार्टर के निर्माण और कार्यान्वयन के साथ-साथ उनके मूल्यांकन के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है। दिसंबर 2021 तक, 1.95 लाख ग्राम पंचायतों ने अपना स्वीकृत नागरिक चार्टर अपलोड किया है और नागरिकों को 921 सेवाएं प्रदान की हैं, जिनमें से 241 सेवाएं ऑनलाइन मोड के माध्यम से मुहैया कराई जाती हैं।

मंत्रालय ने 22 नवंबर, 2021 को नागरिक चार्टर और पंचायतों द्वारा सेवाओं के वितरण पर एक दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य नागरिक केंद्रित सेवाओं को ” “हर्ट ऑफ गवर्नेंस ” के रूप में मान्यता / स्थापित करने के साथ-साथ जमीनी स्तर पर सेवा वितरण के अनुभवों को साझा करना था। कार्यशाला में 16 राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों और नीति निर्माताओं ने भाग लिया, जो नागरिकों को सेवाओं के सुपुर्दगी में सुधार लाने में शामिल थे। कार्यशाला का समापन मैसूर घोषणा पर हस्ताक्षर के साथ हुआ, जो सामान्य कोर सेवाओं के प्रावधान पर ध्यान केंद्रित करता है जिसे 1 अप्रैल, 2022 तक सभी पंचायतों में लागू किया जाएगा।

  1. ग्रामीणस्थानीय निकायों को वित्त आयोग का अनुदान

पंद्रहवें वित्त आयोग ने ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुदान का आवंटन किया है। वित्त वर्ष 2020-21 की अवधि के लिए इसका आवंटन 60,750 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2021-2026 की अवधि के लिए 2,36,805 करोड़ रुपये है, जिसे सभी स्तरों और पारंपरिक निकायों में पंचायतों को आवंटित किया गया है।

अनुदान दो भागों में प्रदान किया जाता है, अर्थात् (i) एक मूल (संयुक्त) अनुदान (50 प्रतिशत) और (ii) एक प्रतिबंधित हुआ अनुदान (50 प्रतिशत)। जबकि मूल अनुदान खुला हैं और आरएलबी द्वारा स्थान-विशिष्ट की जरूरतों के लिए उपयोग किया जा सकता है, वेतन या अन्य स्थापना व्यय को छोड़कर। वहीं, प्रतिबंधित अनुदान पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता के राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए निर्धारित किया जाता है। पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) की सिफारिश के आधार पर 60,704.50 करोड़ रुपये (आवंटन का 99.85 प्रतिशत) वित्तीय वर्ष 2020-2021 और वित्त वर्ष 2021-2022 के लिए आरएलबी के लिए मूल (संयुक्त) और प्रतिबंधित अनुदान के रूप में 22,327.90 करोड़ क्रमशः राज्यों को जारी किए जा चुके हैं, जिससे ग्रामीण आबादी के लिए बुनियादी ढांचा और सेवाओं में सुधार करने में मदद मिली है।

पंद्रहवें वित्त आयोग ने 2021-2026 की अवधि के लिए 70,051 करोड़ रुपये की राशि के लिए ‘स्वास्थ्य अनुदान’ की भी सिफारिश की है, जो स्थानीय निकाय के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए निर्धारित है। स्वास्थ्य अनुदान का ग्रामीण घटक 43,928 करोड़ रुपये है। अनुदान की यह राशि उप-केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं, ब्लॉक स्तर की सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना, ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप-केंद्रों को स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में बदलना, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण के लिए अनुदान और रूपांतरण के लिए नैदानिक बुनियादी ढांचे के समर्थन की गतिविधियों के लिए प्रदान किए गए हैं।

  1. सोशलऑडिट को लेकर दिशानिर्देश:

सोशल ऑडिट एक महत्वपूर्ण तंत्र है जिसके द्वारा आरएलबी अनुदानों के प्रभावी उपयोग और उनके परिणामों की निगरानी की जाती है। सोशल ऑडिट में आधिकारिक दस्तावेजों के डेटा के साथ क्षेत्र की वास्तविकताओं को सत्यापित करना और ग्राम सभा जैसे सार्वजनिक मंच पर निष्कर्षों पर चर्चा करना शामिल है। सोशल ऑडिट प्रक्रिया केवल उस निधि के ऑडिट से परे जाती है जिसे यह जांचने के लिए खर्च किया गया है कि व्यय ठीक से किया गया था या नहीं। यह इस तरह के खर्च के परिणामस्वरूप लोगों के जीवन में भौतिक अंतर के परिणामों की भी जांच करता है। पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए आरएलबी को पर्याप्त मात्रा में अनुदान दिया जा रहा है, एनआईआरडी एंड पीआर की सहायता से एमओपीआर ने पंद्रह वित्त आयोग अनुदानों के साथ किए गए कार्यों/ गतिविधियों के सोशल ऑडिट के संचालन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किए हैं। सोशल ऑडिट के दिशानिर्देश दस्तावेज 22 जून, 2021 को माननीय पंचायती राज मंत्री द्वारा जारी किया गया था।

  1. ग्रामीणस्थानीय निकायों में कोविड-19 के प्रबंधन पर डैशबोर्ड का इस्तेमाल

कोविड-19 के खिलाफ भारत की अब तक की लड़ाई में डेटा संचालित रणनीति ने अपना महत्व को स्थापित किया है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां कोविड-19 प्रबंधन के बारे में जानकारी की कमी महामारी प्रबंधन को गंभीर रूप से रुकावट पैदा करती है। कोविड-19 मामलों की संख्या में हालिया वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, एमओपीआर ने एनआईसी के साथ, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावी कोविड-19 प्रबंधन को बढ़ाने के लिए 18 जून, 2021 को कोविड-19 डैशबोर्ड लॉन्च किया। डैशबोर्ड कई प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (केपाई) को संग्रह करता है जैसे वीएचएनएससी के साथ जीपीएस, कोविड-19 जागरूकता पर आईईसी गतिविधियों को लेने वाले जीपीएस, स्वयंसेवकों का नामांकन, फ्रंटलाइन वर्कर्स, जीपीएस के साथ आइसोलेशन सेंटर आदि। यह डैशबोर्ड राज्य और केंद्र सरकार के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों के अनुकूलन को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय नीतिगत हस्तक्षेप लाने में एक महत्वपूर्ण संसाधन होगा। डैशबोर्ड का यूआरएल है: https://egramswaraj.gov.in/covidDashboard.do

  1. ऑडिटऑनलाइन

महत्वपूर्ण संस्थागत सुधार के एक हिस्से के रूप में, पंद्रहवें वित्त आयोग ने निर्धारित किया है कि पंचायत खातों की ऑडिटेड रिपोर्ट को पात्रता मानदंड के रूप में सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। इस संबंध में, एमओपीआर ने केंद्रीय वित्त आयोग अनुदानों से संबंधित पंचायत खातों की ऑनलाइन ऑडिट करने के लिए “ऑडिटऑनलाइन” एप्लिकेशन की योजना पेश की थी। यह न केवल खातों की ऑडिट की सुविधा प्रदान करता है, बल्कि किए गए ऑडिट से संबंधित डिजिटल ऑडिट रिकॉर्ड बनाए रखने के नियम भी करता है। यह एप्लिकेशन विभिन्न ऑडिट प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए प्रदान करता है, अर्थात् ऑडिट पूछताछ, ड्राफ्ट स्थानीय ऑडिट रिपोर्ट, ड्राफ्ट ऑडिट पैरा आदि। इस एप्लिकेशन की विशेष विशेषताओं में से एक यह है कि यह संबंधित राज्य ऑडिट नियमों/अधिनियमों का अनुपालन करने वाली राज्यों की ऑडिट प्रक्रिया/प्रवाहों के अनुरूप पूरी तरह से ठीक है। पंचायतों से संबंधित ऑडिट संबंधी सूचनाओं के परिणाम में आसानी के लिए ऑडिट ऑनलाइन को ई-ग्राम स्वराज से भी जोड़ा गया है। ऑडिट ऑनलाइन एप्लिकेशन को 15 अप्रैल 2020 को सचिव, एमओपीआर द्वारा सभी राज्यों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लॉन्च किया गया था। वित्त वर्ष 2019-2020 की ऑडिट पीरियड के लिए, राज्यों को चौदहवें वित्त आयोग अनुदान खातों के लिए कम से कम 25 प्रतिशत ग्राम पंचायतों का ऑडिट करने के लिए कहा गया था। अब तक 25 राज्यों ने 2019-2020 के ऑडिट के लिए 25 प्रतिशत ग्राम पंचायतों की खातों की जांच पूर्ण करने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। पोर्टल पर अब तक 7,659 लेखा परीक्षकों और 2,47,085 लेखापरीक्षकों (अर्थात पंचायती राज संस्थाओं) को पंजीकृत किया जा चुका है। ऑडिट पीरियड 2019-2020 के लिए 1,26,813 लेखापरीक्षा योजनाएं बनाई गई हैं और 97,733 ऑडिट रिपोर्ट तैयार की गई हैं। ऑडिट पीरियड 2020-2021 के लिए 1,08,318 लेखापरीक्षा योजनाएं बनाई गई हैं और 42,444 ऑडिट रिपोर्ट तैयार की गई हैं।

  1. ग्रामीणप्रौद्योगिकी में विकासस्मार्ट वेंडिंग कार्ट

ग्रामीण विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की दिशा में अपने प्रयासों में, एमओपीआर ने भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और छह आईआईटी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में विक्रेताओं द्वारा उपयोग की जाने वाली स्मार्ट वेंडिंग कार्ट विकसित करने में सहयोग किया है। आईआईटी बॉम्बे द्वारा डिजाइन की गई स्मार्ट वेंडिंग ई-कार्ट का प्रदर्शन किया गया और पाया गया कि यह कार्ट ग्रामीण, शहर से सटे क्षेत्र और कृषि क्षेत्रों में विक्रेताओं/छोटे व्यवसायों के उपयोग के लिए काफी उपयुक्त है।

स्मार्ट वेंडिंग ई-कार्ट में बहुआयामी यूजर-फ्रेंडली प्रौद्योगिकि और विशेषताएं हैं जो खराब होने वाले खाद्य पदार्थों/वस्तुओं जैसे सब्जी और फलों आदि के बेहतर भंडारण और तापमान प्रदान करती हैं। इसमें मॉड्युलैरिटी, एर्गोनॉमिक्स, फोल्डेबिलिटी, कस्टमर अट्रैक्शन, सौर ऊर्जा, एलईडी लाइट, मिस्ट कूलिंग, वेटिंग मशीन, मोबाइल चार्ज की सुविधा, रेडियो, बैठने की सुविधा, पानी, नकद रखने का बॉक्स, कचरा फेकने का डब्बा, सैनिटाइजर, डिजिटल पेमेंट फैसिलिटी आदि के लिए उन्नत सुविधाएं हैं। आईआईटी बॉम्बे पीपीपी मॉडल के माध्यम से स्मार्ट वेंडिंग कार्ट के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए निर्माताओं के साथ सहयोग कर रहा है।

इस स्मार्ट वेंडिंग कार्ट को डिजाइन इस तरह से किया गया है कि खाद्य पदार्थों की बर्बादी के कारण विक्रेताओं को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। साथ ही ताजी और अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुओं की भंडारण से उनकी आय बढ़ाया जाए। यह कार्ट नए विक्रेताओं को रोजगार के साथ मुनाफा कमाने में मदद करेगा। साथ ही बेचने के दौरान उन्हें आराम और सुविधा भी प्रदान करें। साथ ही साल भर विक्रेता अपने आसपास के लोगों को ताजी सब्जी और फल आदि को उपलब्ध करा सकें। इस कार्ट को विभिन्न मॉडल में विकसित किया गया है, अर्थात् रेट्रोफिट, मैनुअल और स्मार्ट ‘ई संस्करण’।

प्रौद्योगिकी अनुकूलन के ऐसे उपक्रमों को बढ़ावा देने के एमओपीआर के प्रयासों से ग्रामीण उद्यमिता का विकास होगा और साथ ही ग्रामीण नागरिकों को बुनियादी सेवाओं का प्रभावी और कुशल प्रबंधन होगा।

  1. ग्रामसभाओं को जीवंत बनाना

संविधान का अनुच्छेद 243 ग्राम सभा को गांव से संबंधित मतदाता सूची में पंजीकृत व्यक्तियों के रूप में परिभाषित करता है। संविधान में ग्राम सभाओं की परिकल्पना ग्रामीण नागरिकों के स्व-शासन में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए एक अनूठी संस्था के रूप में की गई है, जो जमीनी स्तर के लोकतांत्रिक मंच और पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के विभिन्न विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए अधिकृत है। एमओपीआर ने विकास योजनाओं के गहन कार्यान्वयन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए एक क्रांतिकारी दृष्टिकोण अपनाकर ग्रामीण स्थानीय स्व-शासन को मजबूत कर ग्राम सभाओं को जीवंत बनाने के प्रयास शुरू किए हैं। वर्चुअल बैठकों के माध्यम से संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र पंचायती राज विभागों के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद और इस विषय पर विभिन्न विशेषज्ञों/हितधारकों के साथ चर्चा के बाद, 16 अगस्त, 2021 को राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए एक परामर्श जारी किया गया।

परामर्शी ग्रुप ने ग्राम सभाओं को जीवंत बनाने की दिशा में कई सुझाव दिए हैं, जिनमें से प्रमुख हैं ग्राम सभा की बैठकों के संचालन की अवधि और कार्यप्रणाली का पुनर्गठन, ग्राम सभा की बैठकों में विचार-विमर्श का एजेंडा तय करना, लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के उपाय करना, ग्राम पंचायतों की उप-समितियों को सुदृढ़ करने की दिशा में जनता की भागीदारी, और विभाग के अधिकारियों की भागीदारी बढ़ाने वाले कदम उठाना।

एमओपीआर ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में जीवंत ग्राम सभाओं के संचालन से संबंधित प्रमुख प्रदर्शन मापदंडों को अपनाने और प्रदर्शित करने के लिए डैशबोर्ड के साथ एक ऑनलाइन पोर्टल भी विकसित किया है। डैशबोर्ड वास्तविक समय में ग्राम सभा और पंचायत उपसमितियों के कार्यक्रम की सारणी और जागरूकता पैदा करने के लिए आईईसी गतिविधियों का विवरण प्रदर्शित करता है। डैशबोर्ड का यूआरएल है https://meetingonline.gov.in/

  1. पेसापर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) और जनजातीय मामलों के मंत्रालय (एमओटीए) ने संयुक्त रूप से अपने अधिनियमन के 25 साल पूरे होने पर और आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम), स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत का विस्तार (पेसा) पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ का आयोजन किया। सम्मेलन में पंचायती राज मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय के माननीय कैबिनेट मंत्रियों की उपस्थिति थी। पंचायती राज मंत्रालय के माननीय राज्य मंत्री, दोनों मंत्रालयों के सचिव, महानिदेशक, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, महानिदेशक, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान और पंचायती राज (एनआईआरडीएंडपीआर); एमओपीआर, एमओटीए और एनआईआरडीएंडपीआर के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, पंचायती राज के प्रधान सचिवों के साथ-साथ पेसा राज्यों के जनजातीय विकास विभागों और सिविल सोसाइटी संगठनों/गैर सरकारी संगठनों आदि के प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया। महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल ने वर्चुअल मोड के माध्यम से इस सम्मेलन को संबोधित किया। राज्यों के प्रधान सचिव/सचिव भी वर्चुअल मोड के माध्यम से इस सम्मेलन में शामिल हुए।

  1. पंचायतीराज मंत्रालय का आपदा प्रबंधन योजना

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) से प्राप्त सुझावों के आधार पर संशोधन करने के बाद पंचायती राज मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन योजना (डीएमपी) को अंतिम रूप दिया गया है। एमओपीआर की आपदा प्रबंधन योजना को एनडीएमए द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है और मंत्रालय को 27 अगस्त 2021 को सूचना दिया गया था।

  1. शासनप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए पंचायती राज मंत्रालय को स्कॉच चैलेंजर अवार्ड

शासन प्रणाली में पारदर्शिता के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए स्कॉच चैलेंजर अवार्ड पंचायती राज मंत्रालय को दिया गया। यह अवार्ड 16 जनवरी 2021 को आयोजित 70वें स्कॉच शिखर सम्मेलन (स्कॉच पब्लिक पॉलिसी फोरम) के दौरान वर्चुअली  प प्रदान किया गया। पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) की ओर श्री सुनील कुमार, सचिव, पंचायती राज मंत्रालय ने “शासन में पारदर्शिता” श्रेणी के तहत स्कॉच चैलेंजर अवार्ड प्राप्त किया। यह अवार्ड ऑनलाइन के जरिये परिवर्तनकारी सुधारों, बेहतर पारदर्शिता और देश भर में पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) में ई-गवर्नेंस को मजबूत करने के लिए दिया गया।

  1. आईईसीअभियान

मंत्रालय ने पंचायती राज संस्थानों और पंचायती राज के अन्य हितधारकों के बीच मंत्रालय के प्रमुख अभियानों, पहलों और गतिविधियों के बारे में सही जानकारी मुहैया करने के लिए एसएमएस, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और व्हाट्सएप ग्रुप का सहारा लिया।

पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायती मंत्रालय के माध्यम से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, माईजीओवी और माईजीओवी कोरोना हब के सोशल मीडिया पेजों पर उपलब्ध कोविड-19 टीकाकरण अभियान और कोविड -19 अनुरूप व्यवहार अभियान पर आईईसी सामग्री को साझा/रीट्वीट/ रीपोस्ट करना जारी रखा। जमीनी स्तर पर कोविड-19 के खिलाफ आम लड़ाई की गति को बनाए रखने के लिए पंचायती राज के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग किया गया। कर्नाटक में मैसूर जिला प्रशासन की कोविड मित्रा- कोविड-19 नियंत्रण और प्रबंधन के लिए एक सामुदायिक भागीदारी आधारित तत्काल परीक्षण और उपचार प्रणाली जो इलाज में देरी के कारण आईसीयू बिस्तरों के लिए लोगों को भटकने से बचाने के लिए शीघ्र हस्तक्षेप और उपचार सुनिश्चित करने के साथ-साथ माइल्ड सिमटम कोविड-19 मामलों के होम आइसोलेशन के लिए सचित्र (संशोधित) दिशानिर्देश देता है। एमओएचएफडब्ल्यू द्वारा विकसित एसओपी को (हिंदी और अंग्रेजी में) शहरों के सटे क्षेत्रों मेंग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में कोविड-19 रोकथाम और प्रबंधन के लिए  देश भर में पंचायती राज संस्थानों के साथ आगे साझा करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच परिचालित किया गया था और उन्हें अपलोड किया गया था। मंत्रालय की वेबसाइट पर यह वेब-लिंक [https://panchayat.gov.in/en/covid] डाला गया था। ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 के प्रसार को धीमा/रोकने के लिए विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ग्राम पंचायतों द्वारा किए गए सर्वोत्तम प्रथाओं/अभिनव पहल को देश भर की अन्य पंचायतों में व्यापक प्रचार और प्रसार के लिए सोशल मीडिया/व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से बड़े पैमाने पर साझा किया गया। पिछले दो वर्षों से पंचायती राज मंत्रालय ग्रामीण जनता के बीच सरकारी योजनाओं, कार्यक्रमों, नीतियों और संबंधित मंत्रालयों/विभागों, विशेष रूप से सामाजिक क्षेत्र के मंत्रालयों/विभागों के प्रमुख अभियानों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मीडिया के विभिन्न रूपों के माध्यम से उपयोगी जानकारी का प्रसार कर रहा है। इसमें सोशल मीडिया और बल्क एसएमएस और मंत्रालय की वेबसाइट और व्हाट्सएप ग्रुप का सहारा लिया जा रहा है।

वर्ष 2021 के दौरान सोशल मीडिया/ बल्क एसएमएस के माध्यम से निम्नलिखित महत्वपूर्ण दिनों/घटनाओं से संबंधित संदेशों/पोस्टों का प्रसार किया गया: (i) 20 जनवरी, 2021 को उत्तर प्रदेश राज्य में 6.10 लाख पीएमएवाई-जी लाभार्थियों को “डिजिटल फंड ट्रांसफर” के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के लाभार्थियों के साथ माननीय प्रधानमंत्री की बातचीत [ग्रामीण विकास मंत्रालय], (ii) माननीय प्रधान मंत्री की राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2021 के विजेताओं के साथ 25 जनवरी, 2021 को बातचीत [महिला एवं बाल विकास मंत्रालय], (iii) 25 जरवरी, 2021 को राष्ट्रीय बालिका दिवस [महिला एवं बाल विकास मंत्रालय], (iv) कृषि क्षेत्र में सुधार और किसान केंद्रित पहल [कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय], (v) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उपभोक्ताओं के लिए लाभ [उपभोक्ता मामले विभागउपभोक्ता मामलेखाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय]; (vi) 21 जून 2021 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस [आयुष मंत्रालय], (vii) अल्पसंख्यक छात्रों के लिए योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति योजना [अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय], (viii) पोषण माह (1–30 सितंबर 2021) [महिला एवं बाल विकास मंत्रालय], (ix) स्वच्छता पखवाड़ा (1-15 अक्टूबर 2021) [पेयजल एवं स्वच्छता विभाग], (x) सतर्कता जागरूकता सप्ताह (26 अक्टूबर-1 नवंबर 2021) [केंद्रीय सतर्कता आयोग], ( xi) 26 नवंबर 2021 को संविधान दिवस [संसदीय कार्य मंत्रालय], (x) स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव प्रतिष्ठित सप्ताह (13-19 दिसंबर 2021) रक्षा मंत्रालय / स्वर्णिम विजय पर्व [रक्षा मंत्रालय] (xi) राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (24 दिसंबर 2021) [उपभोक्ता मामले विभागउपभोक्ता मामलेखाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय], (xii) सुशासन सप्ताह (20-25 दिसंबर 2021)/ सुशासन दिवस (25 दिसंबर 2021) [प्रशासनिक सुधार विभाग और लोक शिकायत (डीएआरपीजी)], (xiii) योग ब्रेक (वाई-ब्रेक) ऐप का शुभारंभ [आयुष मंत्रालय] आदि।

उपभोक्ता मामले विभाग के लिए, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय ने बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे कई राज्यों के पंचायती राज संस्थानों के साथ उपभोक्ता जागरूकता पर वर्चुअल बातचीत कार्यक्रम आयोजित किया। इस पहल ने नीति निर्माताओं और पंचायतों के बीच उपभोक्ताओं के मुद्दों और हितों पर सार्थक और उपयोगी चर्चा करने और ग्रामीण भारत में उपभोक्ता अधिकारों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम किया है।

  1. बजटघोषणाओं पर प्रेस कॉन्फ्रेंस

पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री सुनील कुमार ने 8 फरवरी 2021 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पंचायती राज मंत्रालय के बजट घोषणाओं और पहलों के बारे में पीआईबी से मान्यता प्राप्त संवाददाताओं/पत्रकारों के साथ बातचीत की।

  1. प्रशिक्षणऔर क्षमता निर्माण

पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) संविधान के 73वें संशोधन के जनादेश की वकालत, निगरानी और कार्यान्वयन के काम के लिए जिम्मेदार है। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज (आरजीएसए) की केंद्र प्रायोजित योजना के माध्यम से एमओपीआर पंचायती राज संस्थानों (पीआरएलएस) के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों का पूरक है। चालू वर्ष के दौरान, मंत्रालय ने 33 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की वार्षिक कार्य योजनाओं (एएपी) को मंजूरी दी है और 29. दिसंबर 2021 तक 22 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और कार्यान्वयन एजेंसियों को 494.94 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

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