दुनिया के 60 प्रतिशत हाथी भारत में हैं, जिनमें से लगभग 100 को लोग प्रतिशोध में मार देते हैं
-उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो –
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने केरल के पेरियार में विश्व हाथी दिवस – 2022 के अवसर पर कहा कि भारत में विश्व के 60 प्रतिशत हाथी रहते हैं और औसतन प्रतिवर्ष 500 लोग हाथियों द्वारा और 100 हाथी मानवों द्वारा मारे जाते हैं।
इस अवसर पर मानव-पशु संघर्ष के बारे में चर्चा करते हुए भूपेंद्र यादव ने कहा, “भारत सरकार का मानना है कि भारत में हाथियों के संरक्षण के केंद्र में लोगों का कल्याण छिपा है। संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा के साथ, मानव-हाथी संघर्ष बढ़ रहा है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रति वर्ष औसतन 500 लोग हाथियों द्वारा मारे जाते हैं तथा लोगों द्वारा प्रतिशोध में लगभग 100 हाथी मारे जाते हैं। मानव-हाथी संघर्ष का प्रबंधन भारत सरकार का एक प्रमुख फोकस है। सरकार ने हाथियों से पीड़ित परिवारों तक पहुंच कर अनुग्रह राशि को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया है। दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए, हम देश के हाथी गलियारों पर फिर से विचार कर रहे हैं और इस प्रयास में प्रमुख हितधारकों को शामिल करते हुए 50 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा कर लिया है।
श्री भूपेंद्र यादव ने उपस्थित लोगों को बताया कि भारत में 60 प्रतिशत से अधिक जंगली एशियाई हाथी भारत में हैं। 2017 में आयोजित अंतिम हाथियों की गणना में दर्ज 29,964 हाथियों की आबादी भारतीय संस्कृति में निहित वन्यजीव संरक्षण के जुनून के परिमाण को दर्शाती है। श्री यादव ने कहा, “हाथियों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए हमारे पास कुछ बेहतरीन कानून हैं। हमारे पास सबसे अद्भुत लोग हैं, जो हाथियों से प्यार करते हैं और उनकी पूजा करते हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में 31 हाथी अभयारण्य हैं। पिछले 3 वर्षों में, कर्नाटक राज्य द्वारा दांदेली हाथी अभयारण्य, नगालैंड द्वारा सिंगफन हाथी अभयारण्य और छत्तीसगढ़ में लेमरू हाथी अभयारण्य को अधिसूचित किया गया है। इसने भारत में हाथी अभयारण्य के तहत कुल क्षेत्रफल को देश के 14 राज्यों में लगभग 76,508 वर्ग किमी में ला दिया है।
हाथियों की वर्तमान अनुमानित संख्या से संकेत मिलता है कि दुनिया में लगभग 50,000 – 60000 एशियाई हाथी हैं। भारत में 60 प्रतिशत से अधिक हाथी रहते हैं। फरवरी 2020 में गुजरात के गांधीनगर में सीएमएस 13 के दलों के हाल ही में संपन्न सम्मेलन में प्रवासी प्रजातियों के सम्मेलन के परिशिष्ट I में भारतीय हाथी को भी सूचीबद्ध किया गया है। विश्व हाथी दिवस विभिन्न हितधारकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए मनाया जा रहा है। हाथीदांत के लिए हाथियों के अवैध शिकार और व्यापार को रोकने के लिए प्रवर्तन नीतियों में सुधार, हाथियों के आवासों का संरक्षण, कैद हाथियों के लिए बेहतर उपचार प्रदान करना और कुछ बंदी हाथियों को अभयारण्यों में फिर से वापस लाना शामिल है। हाथी भारत का स्वाभाविक तौर पर एक विरासत जीव है और भारत में भी हाथियों की प्रजातियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
श्री यादव ने इस अवसर पर यह जानकारी दी कि उच्चतम न्यायालय द्वारा पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र के फैसले के संबंध में, मंत्रालय विशेष रूप से फैसले के अनुभाग 44ए और 44ई पर फिर से विचार करने के लिए एक समीक्षा याचिका दायर कर रहा है, क्योंकि इस मुद्दे पर अधिक स्पष्टता की आवश्यकता है। उन्होंने जंगली सूअर के मुद्दे के बारे में बताया कि मंत्रालय ने फरवरी 2021 में पहले ही मानव-वन्यजीव संघर्ष के लिए एक दिशानिर्देश जारी किया था और इस संकट को कम करने के लिए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 11 के तहत केरल के मुख्य वन्यजीव वार्डन को शक्तियां दी गई हैं।
केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने यह भी बताया कि हाल ही में लोकसभा द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में संशोधन किया गया है। इसके एक प्रावधान में यह उल्लेख किया गया है कि भारत सरकार और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के कुछ दिशानिर्देशों के साथ धार्मिक उद्देश्य के लिए हाथियों का उपयोग जारी रखा जाएगा।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने घोषणा करते हुए कहा कि इडुक्की जिले के कट्टप्पना में जल्द ही गरीब लोगों की सेवा के उद्देश्य से पूरी सुविधा के साथ 100 बिस्तरों वाला ईएसआईसी अस्पताल होगा।