वर्ष 2022-23 के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिए 8,451 करोड़ रुपये

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वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-2023 के बजट परिव्यय में जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिए कुल बजट परिव्यय को बढ़ाकर 8451.92 करोड़ रुपये निश्चित किए हैंजो कि वित्त वर्ष 2021-2022 के पिछले कुल बजट परिव्यय 7524.87 करोड़ रुपये से पर्याप्त रूप से अधिक है। जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिए कुल बजट परिव्यय में 12.32 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दिखती है।

यह बजट आवंटन दिनांक 19 जनवरी 2022 को लिए गए निर्णय के तहत केंद्रीय मंत्रिमंडल के अनुमोदन के अनुसार किया गया है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजना, अर्थात् राष्ट्रीय जनजातीय कल्याण कार्यक्रम के तहत 3,344 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ जनजातीय कार्य मंत्रालय की 14 योजनाओं, 28,920 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) और 26,135 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री वन बंधु कल्याण योजना को 31 मार्च 2026 तक जारी रखने के लिए मंजूरी दी गई है।

2022-23 के बजट में ईएमआरएस की स्थापना के लिए कुल 2,000 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रत्येक विद्यालय के निर्माण की लागत को मैदानी इलाकों के लिए 20 करोड़ रुपये और पहाड़ी/उत्तर-पूर्वी/वामपंथी उग्रवादग्रस्त क्षेत्रों के लिए 24 करोड़ से रुपये से बढ़ाकर क्रमश: 38 करोड़ रुपये और 48 करोड़ रुपये करने को मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग चक्र में 452 नए विद्यालयों की स्थापना, मौजूदा 211 विद्यालयों के उन्नयन और खेलों के लिए 15 उत्कृष्ट केन्द्रों की स्थापना के लिए 28,920 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय को मंजूरी दी है। उम्मीद की जाती है कि 2025 तक सभी 740 स्कूल पूरी तरह से काम करने लगेंगे। 452 नए स्कूलों में से 319 स्कूलों के लिए राज्यों ने पहले ही देश भर में 319 स्थानों पर भूमि उपलब्ध करा दी है और शेष स्थानों पर स्कूल के लिए उपयुक्त भूमि उपलब्ध कराने के लिए राज्यों से कहा जा रहा है। आज की तारीख में, 207 स्कूलों में निर्माण कार्य प्रगति पर है और अन्य 50 स्कूलों का निर्माण कार्य मार्च 2022 तक शुरू होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री ने जनजातीय गौरव दिवस पर देश भर में 50 ईएमआरएस की नींव रखी थी। अगस्त, 2022 तक, 75 स्कूलों में निर्माण कार्य पूरा होने की उम्मीद है और आजादी का अमृत महोत्सव की पूर्व संध्या पर इन्हें राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा। ईएमआरएस योजना इस मंत्रालय की प्रमुख योजना है और इसके तहत नवोदय विद्यालयों की तर्ज पर दूर-दराज के आदिवासी क्षेत्रों में लगभग 3.5 लाख छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाएगी।

एससीए से टीएसएस की मौजूदा योजना के दायरे का विस्तार किया गया है। ‘प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना’ के तहत इन गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने के लिए संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर 36,428 गांवों में व्यापक रूप से विकास कार्य पूरे किये जायेंगे। इन गांवों में 500 से अधिक और 50 प्रतिशत जनजातीय आबादी है। 1354 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गयी है; जिसका उपयोग, एसटीसी घटक के अंतर्गत विभिन्न मंत्रालयों को उनकी संबंधित योजनाओं के जनजातीय कल्याण कार्यक्रमों के लिए आवंटित 87,524 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की कमियों को पूरा करने के लिए किया जायेगा। अगले पांच वर्षों के लिए मंत्रिमंडल ने 7276 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।

बजट में इस वर्ष के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन के लिए 499 करोड़ रुपये निर्धारित किये गए हैं। मिशन अगले पांच वर्षों में वन-धन समूहों के गठन के माध्यम से आजीविका संचालित जनजातीय विकास हासिल करना चाहता है, जिन्हें वन-धन केंद्रों में संगठित किया गया है। आदिवासियों द्वारा एकत्र किए गए एमएफपी को इन केंद्रों में संसाधित किया जाएगा और वन-धन उत्पादक उद्यमों के माध्यम से इनका विपणन किया जाएगा। “आत्मनिर्भर भारत अभियान” के हिस्से के रूप में अगले 5 वर्षों में नए हाट बाजार और भण्डार गृह विकसित किए जाएंगे। ट्राइफेड इस योजना को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी होगी। उत्पादों का विपणन ट्राइब इंडिया स्टोर्स के माध्यम से किया जाएगा। मिशन के लिए, अगले पांच वर्षों में 1612 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गयी है।

बजट में, नई योजना ‘अनुसूचित जनजातियों के लिए उद्यम पूंजी कोष (वीसीएफ-एसटी)’ के लिए 50 करोड़ रुपये की धनराशि की मंजूरी दी गई है, जिसका उद्देश्य एसटी के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देना है। वीसीएफ-एसटी योजना, एसटी उद्यमिता को बढ़ावा देने और एसटी युवाओं के स्टार्ट-अप विचारों को समर्थन, मार्गदर्शन व पोषण देने के लिए एक सामाजिक क्षेत्र की पहल होगी।

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में जनजातीय उद्यमिता के विकास के लिए एक नई योजना “उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में जनजातीय उत्पादों के परिवहन, रख-रखाव और विपणन” को मंजूरी दी गई है और योजना के लिए इस वर्ष 75 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गयी है।

बजट में मंत्रालय और राज्य स्तरीय परियोजना प्रबंधन इकाइयों में केन्द्रीय पीएमयू की स्थापना के लिए भी धनराशि मंजूर की गयी है। इसके तहत डोमेन विशेषज्ञों द्वारा प्रत्येक योजना (केंद्र प्रायोजित और केंद्रीय क्षेत्र) जैसे छात्रवृत्ति, ईएमआरएस, आजीविका आदि और मंत्रालय की गैर-योजनागत पहल, जैसे एसटीसी निगरानी, एफआरए आदि, जो राज्यों के माध्यम से कार्यान्वित किए जाते हैं, की निगरानी की जाएगी। मंत्रालय के आईटी और डाटा प्रकोष्ठ, स्वास्थ्य प्रकोष्ठ और मीडिया प्रकोष्ठ के लिए भी धन उपलब्ध कराया गया है। पीएमयू राज्यों, गैर सरकारी संगठनों, टीआरआई और अनुदान प्राप्त संस्थानों से निरंतर डेटा और सूचना प्रवाह सुनिश्चित करेगा तथा योजनाओं की निगरानी और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संस्थाओं को गारंटी देगा, ताकि डाटा शासन गुणवत्ता सूचकांक 5.0 और उत्पादन परिणाम निगरानी रूपरेखा के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। भौतिक और वित्तीय परिणामों की निगरानी के लिए सर्वेक्षण व सामाजिक लेखा परीक्षा के साथ क्षेत्र का दौरा भी किया जाएगा।

कैबिनेट ने छात्रवृत्ति और एनजीओ योजनाओं के लिए बढ़े हुए परिव्यय को भी मंजूरी दी है और देश भर में शीर्ष संस्थानों में पीएचडी और अन्य उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की वित्तीय सीमा को बढ़ाया गया है। दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों के लिए भी वित्तीय सीमा को बढ़ाया गया है।

जनजातीय कार्य मंत्रालय का वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 के लिए आवंटन ( रु. करोड़ में)

तुलनात्मक बजट बजट अनुमान बजट अनुमान
  2021-22 2022-23
सचिवीय बजट    
केंद्र का स्थापना व्यय 40.80 45
योजना के लिए बजट    
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) 1418.04 2000
अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप 1993 1965.00
अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप 400 419.00
संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के प्रावधान के तहत अनुदान 1350.00 1350.00
जनजातीय उप-योजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए से टीएसएस) 1350 1354.38
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विपणन और लॉजिस्टिक संबंधी विकास 107.53
अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए काम करने वाले स्वयंसेवी संगठनों को सहायता 110 110
अनुसूचित जनजातियों के लिए उद्यम पूंजी कोष   50
 

प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम)

  499
जनजातीय अनुसंधान सूचना, शिक्षा, संचार और कार्यक्रम (टीआरआई-ईसीई) 30 15.00
निगरानी, मूल्यांकन, सर्वेक्षण, सामाजिक लेखा-परीक्षा (एमईएसएसए) 5 15.00
अनुसूचित जनजातियों के छात्रों की उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति और राष्ट्रीय फेलोशिप 150 145.00
राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना 3 4.00
जनजातीय अनुसंधान संस्थान को सहायता 120 121.00
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) का विकास 250 252.00
    8451.91

पिछले पांच वर्षों के दौरान इस मंत्रालय को प्रदान किए गए बजट आवंटन का विवरण नीचे संलग्न है।

अनुसूचित जनजाति घटक (शेड्यूल ट्राइब कंपोनेंट) के रूप में पिछले वर्ष आवंटित की गई 78,256 करोड़ रुपये की राशि की तुलना में इस वर्ष 87,584 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। अनुसूचित जनजाति के लोगों के कल्याण और जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए कुल 41 केन्द्रीय मंत्रालयों को इस व्यय को वहन करने की जरूरत होगी।

श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट 2021 की परिकल्पना को जारी रखते हुए बजट 2022 अर्थव्यवस्था को अगले 25 वर्षों के अमृत काल, यानी भारत को आजादी के 75वें वर्ष से आजादी के 100वें वर्ष, तक आगे ले जाने की नींव रखना चाहता है। इसमें मुख्य जोर सूक्ष्म स्तर पर नागरिकों के कल्याण के साथ वृहत स्तर पर विकास करने का है।

श्री मुंडा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में अपनी टिप्पणी में सही कहा है कि यह बजट “अधिक बुनियादी ढांचेअधिक निवेशअधिक विकास और अधिक नौकरियों की संभावनाओं से भरा है। यह ग्रीन जॉब के एक नए क्षेत्र को भी खोलता है। यह बजट न केवल सामयिक समस्याओं का समाधान करता हैबल्कि युवाओं के उज्ज्वल भविष्य को भी सुनिश्चित करता है।

केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने जनजातीय कार्य और जल शक्ति राज्यमंत्री  श्री बिश्वेश्वर टुडु और जनजातीय कार्य राज्यमंत्री श्रीमती रेणुका सरुता के साथ वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए एक उत्कृष्ट बजट पेश करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को बधाई दी। श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव के इस वर्ष में यह बजट अगले 25 वर्षों के लिए समावेशी विकास और हमारे देश के हर वर्ग को सशक्त बनाने पर जोर देने की दृष्टि से बनाया गया है। वर्षों में हमने एक समृद्ध अर्थव्यवस्था को चलाने का खाका तैयार किया है। यह एक ऐसा बजट है जो मेक इन इंडिया‘ को बढ़ावा देगामांग को बढ़ावा देगा और एक मजबूतसमृद्ध और आत्मविश्वास से भरे भारत के लिए क्षमता का निर्माण करेगा।

अपने बजट भाषण में, वित्त मंत्री ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बच्चों के लिए पूरक शिक्षा पर जोर दिया, जो महामारी के कारण स्कूलों के बंद होने से बुरी तरह प्रभावित थे। अन्य कमजोर वर्गों के लिए भी ऐसा करना आवश्यक था। इसलिए, लगभग औपचारिक शिक्षा का दो साल खोने के बाद, बच्चों के लिए पीएम ई-विद्या के ‘एक क्लास-एक टीवी चैनल’ कार्यक्रम के माध्यम से पूरक ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए ई-विद्या को 12 से 200 टीवी चैनलों तक बढ़ाया गया है। यह सभी राज्यों को पहली से 12वीं कक्षा के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में सक्षम करेगा। स्किलिंग और आजीविका के लिए एक डिजिटल इको-सिस्टम के लिए देश-स्टैक ई-पोर्टल जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। इसमें देश के युवाओं के लिए डिजिटल शिक्षकों के माध्यम से चिंतन कौशल, विश्व स्तरीय गुणवत्ता वाला एक डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना और असाधारण ई-सामग्री के महत्व को बढ़ावा देने के लिए वर्चुअल लैब और स्किलिंग ई-लैब शामिल होंगे।

इसके अलावा, कृषि-वानिकी और निजी वानिकी को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनाई जाएंगी और आवश्यक विधायी परिवर्तन किए जाएंगे एवं उन्हें लागू किया जाएगा। इसके अलावा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उन किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी जो कृषि-वानिकी के व्यवसाय में जुड़ना चाहते हैं।

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