स्वास्थ्य प्रकृति की देन, उपचार भी प्राकृतिक होना चाहिए : यूएसडीएमए में योग एवं स्वास्थ्य कार्यशाला

देहरादून, 26 सितम्बर। उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) में सांझ संस्था के सहयोग से एक दिवसीय योग एवं स्वास्थ्य कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में सांझ संस्था के संस्थापक नवीन वार्ष्णेय ने आदियोग सूत्र पर आधारित सांस लेने के विज्ञान और प्राकृतिक स्वास्थ्य प्रणाली पर विस्तार से जानकारी दी।
श्री वार्ष्णेय ने कहा कि “स्वास्थ्य प्रकृति की देन है और उपचार भी प्राकृतिक होना चाहिए।” उन्होंने बताया कि यदि मनुष्य अपनी सांसों, मन और चित्त पर नियंत्रण पा ले, तो शरीर में स्व-निदान, स्व-रक्षा और स्व-उपचार की क्षमता स्वतः विकसित हो जाती है।

उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवनशैली में तनाव, गलत खानपान और असंतुलित दिनचर्या ही बीमारियों की जड़ है, जिन्हें योग, प्राणायाम और नेचुरोपैथी से नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने समझाया कि प्रति मिनट लगभग 15 सांसें ही स्वस्थ जीवन का संकेत हैं। बच्चों में बढ़ते अवसाद पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें अवसाद से बचाने के लिए “मां का प्यार और पिता की प्रशंसा” आवश्यक है।
इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि भागदौड़ भरी जिंदगी में इस तरह की कार्यशालाएं मानसिक शांति और स्वास्थ्य जागरूकता के लिए जरूरी हैं। वहीं सचिव आयुष दीपेन्द्र कुमार चौधरी ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा के साथ प्राकृतिक चिकित्सा, योग और ध्यान शरीर की हीलिंग क्षमता को सक्रिय कर सकते हैं।
कार्यक्रम में यूएसडीएमए के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी, डॉ. के.के. पांडे सहित अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
14 वर्षों के शोध का परिणाम है ‘आदियोग सूत्र’
श्री वार्ष्णेय ने बताया कि आदियोग सूत्र विश्व की पहली स्वास्थ्य प्रणाली है, जिसने 14 वर्षों के अनुसंधान के बाद मानव पीड़ा के सार्वभौमिक पैटर्न को वैज्ञानिक ढंग से डिकोड किया है। यह पद्धति व्यक्ति को यह समझने में मदद करती है कि बीमारी क्यों होती है और जीवन की घटनाओं से तनाव, अनिद्रा और अन्य विकार किस प्रकार जुड़े रहते हैं। उन्होंने कहा कि दिन के आठ प्रहरों के प्राकृतिक चक्र के अनुरूप जीवन जीने से स्वास्थ्य की स्वाभाविक पुनर्स्थापना संभव है।
यूएसडीएमए में आयुर्वेदिक चिकित्सा कैंप
देहरादून में यूएसडीएमए के मासिक प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का भी आयोजन किया गया। अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशासन आनंद स्वरूप ने कहा कि लगातार अलर्ट मोड पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए यह शिविर तनाव मुक्ति और स्वास्थ्य संवर्धन का महत्वपूर्ण माध्यम है। उन्होंने बताया कि मानसून सीजन के दौरान कर्मचारियों ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कार्य किया है, जिससे तनाव स्वाभाविक है। ऐसे में प्राकृतिक चिकित्सा और योग उन्हें संतुलित जीवन की ओर ले जाएंगे।
इस अवसर पर जिला चिकित्सालय आयुष विंग की चिकित्साधिकारी डॉ. नेहा जोशी तथा फार्मेसी अधिकारी नितिन कपरूवान ने कर्मचारियों को परामर्श दिया।
