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आसमान से आया फ़रिश्ता’: मोहम्मद रफ़ी- सुरों के बादशाह

*A PIB Feature*

महान संगीतकार मोहम्मद रफी के शताब्दी समारोह के एक अंग के रूप में, 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में एक विशेष सत्र में महान गायक को श्रद्धांजलि दी गई। इस सत्र में प्रतिष्ठित संगीतकार के पुत्र शाहिद रफी, वरिष्ठ फिल्म निर्माता सुभाष घई, प्रशंसित संगीतकार अनुराधा पौडवाल और सोनू निगम शामिल हुए।

 

‘आसमान से आया फरिश्ता’- मोहम्मद रफी- सुरों के बादशाह नामक शीर्षक से जुड़े इस सत्र में प्रतिष्ठित गायक के जीवन, कार्यों और विरासत का विश्लेषण किया गया।

अपने महान पिता की प्रतिष्ठा का स्मरण करते हुए, शाहिद रफ़ी ने कहा कि हमारे लिए, वह हमारे पिता, हमारे मार्गदर्शक, हमारे आधार थे। हमें जीवन में काफी समय के बाद भी कभी यह एहसास नहीं हुआ कि वह इतने प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं। वह हमेशा मेरे और मेरे भाई-बहनों के लिए एक आत्मीयता से भरे पिता थे। शाहिद रफ़ी ने कहा कि उनके पिता भारतीय संगीत जगत में इतना बड़ा नाम होने के बावजूद हमेशा सभी के प्रति स्नेही थे।

पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद रफी ने देश की विभिन्न बोलियों और भाषाओं में एक हजार से अधिक गीत गाए हैं।

गायक सोनू निगम ने रफी ​​द्वारा गाए गए कई गानों का उदाहरण देते हुए कहा कि मेरे लिए मोहम्मद रफी मेरे गुरु और मेरे संगीत के भगवान हैं। रफी का संगीत अपने आप में एक संस्था है। जब भी मैं उनका संगीत सुनता हूं, कुछ नया सीखता हूं। संगीत की भाषा और सुर पर उनकी बहुत अच्छी पकड़ थी।

उन्होंने कहा कि जब हमने पार्श्वगायन में अपना करियर शुरू किया था, तो हमारे पास बहुत सारे संदर्भ थे, लेकिन उनके पास कोई नहीं था। उन्होंने किस तरह प्रयोग किया और अपने खुद के ब्रांड का संगीत पेश किया, यह पीढ़ियों के लिए एक अध्ययन का विषय है।

मोहम्मद रफ़ी की विशेषज्ञता और विरासत पर चर्चा करते हुए सोनू निगम ने कहा कि ऐसा महसूस होता है कि जिस गीत को मोहम्मद रफ़ी ने गाया तो वह गीत ही गायक बन गया। उन्होंने पार्श्व गायन में बहुत से प्रयोग किए। वे पार्श्व गायन के पितामह हैं। भले ही आपको गाने की भाषा न आती हो, लेकिन मोहम्मद रफ़ी के गाने से आप समझ जाएंगे कि यह एक खुशनुमा, दुखद या तेज गीत है।

जानी-मानी गायिका अनुराधा पौडवाल ने कहा कि जब वे पार्श्वगायन करते थे तो ऐसा लगता था कि फ़िल्म के कलाकार ही गा रहे हैं, सुरों पर उनकी महारत ऐसी थी।

उनके विनम्र स्वभाव पर चर्चा करते हुए पौडवाल ने कहा कि जब मैंने पहली बार रफ़ी साहब के साथ गाना गाया था, तब मैं बहुत छोटी थी। वह बेहद विनम्र, सहायक और मेरे जैसी नई गायिका के साथ पूरी तरह से सहयोगी व्यक्ति थे। यह मेरे करियर की शुरुआत में सीखने का एक शानदार अनुभव था।

संगीत के गुरू के साथ काम करने के अपने अनुभव को याद करते हुए फिल्म निर्माता सुभाष घई ने कहा कि मेरी फिल्म कर्ज़ के गाने दर्द-ए-दिल के लिए मैं चाहता था कि रफ़ी साहब भी साथ आएं। उन्होंने मेरा अनुरोध स्वीकार किया और यह गीत गाया; जिस वक्त उन्होंने पहला मुखड़ा गाया, मुझे लगा कि मेरी फिल्म के लिए एक हिट गाना मिल गया है लेकिन फिल्म के बाद ही उनका निधन हो गया।

घई ने कहा कि कर्ज के बाद मैंने चाहा कि मेरी हर फिल्म में मोहम्मद रफी ही गाएं लेकिन मोहम्मद रफी ने हमारे संगीत जगत में पार्श्व गायन के क्षेत्र में जो किया है, उसकी बराबरी शायद ही कोई कर सके।

सुभाष घई ने कहा कि गायक अपनी मर्जी से गायकी कर सकते हैं, लेकिन पार्श्व गायकों को फिल्म के मूड और टोन के साथ-साथ अभिनेता की आवाज के हिसाब से गाना होता है। मोहम्मद रफी इस मामले में माहिर थे, वह फिल्म की सेटिंग के हिसाब से खुद को पूरी तरह ढाल लेते थे।

प्रश्नोत्तर सत्र में जब मोहम्मद रफी पर बॉयोपिक के सवाल पर शाहिद रफी ने बताया कि प्रसिद्ध फिल्म निर्माता उमेश शुक्ला द्वारा जल्द ही रफी साहब पर बॉयोपिक की घोषणा की जाएगी।

55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में सिनेमा के चार दिग्गजों राज कपूर, तपन सिन्हा, अक्किनेनी नागेश्वर राव (एनएनआर) और मोहम्मद रफ़ी को सम्मानित किया जा रहा है जिन्होंने भारतीय सिनेमा के कई पहलुओं को आकार दिया है। इस वर्ष आईएफएफआई श्रद्धांजलि, स्क्रीनिंग और परस्पर संवाद कार्यक्रमों की एक श्रृंखला के माध्यम से उनकी असाधारण विरासत को श्रद्धांजलि दे रहा है।

 

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