जब महारानी एलिज़ाबेथ राष्ट्रपति भवन में करना चाहती थी मदर टेरेसा का सम्मान
यह प्रसंग जानहि कोउ कोऊ
–गोविंद प्रसाद बहुगुणा-
राजनीतिक लेखक खासतौर पर जो सिविल सर्वेंट रह हैं अपनी आत्मकथा को सनसनीखेज बनाने के लिए इस प्रकार के किस्से भी गढ देते हैं ताकि उनकी किताब की खूब चर्चा हो और हाथों हाथ बिक भी जाये।
भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी जो सेवानिवृत्ति के बाद सक्रिय राजनीति में आ गये थे ऐसे श्री कुंवर नटवर सिंह जी ने अपनी आत्मकथा-One Life is not Enough में एक दिलचस्प घटना का उल्लेख किया है I १९८३ में दिल्ली में राष्ट्रमंडल सम्मलेन के अवसर पर महारानी एलिज़ाबेथ जब दिल्ली आई थी तो राष्ट्रपति भवन में ही टिकी I नटवर लिखते हैं कि सम्मलेन के दूसरे दिन इंदिरा गाँधी ने मुझसे कहा कि तुम जाकर चुपके से पता करो कि क्या वाकई महारानी , मदर टेरेसा के लिए यहां कोई सम्मान समारोह आयोजित करने जा रही है जिसमें वह मदर को ORDER OF MERIT प्रदान करेंगी I अपने मिलिटरी सेक्रेटी ने जब इस खबर की पुष्टि कर दी तो मुझे यह भी पता चला कि सम्मान वितरण से सम्बंधित समारोह के लिए निमंत्रण सभी बकिंघम पैलेस के कागजों पर ही छापे गए थे I मैंने यह बात इंदिरागाँधी को बताई तो उनको यह सब अच्छा नहीं लगा I
इसी बीच इंदिरा गाँधी को सांसद हेमवती नंदन बहुगुणा का एक पत्र मिला जिसमें लिखा था कि महारानी राष्ट्रपति भवन में यह समारोह नहीं कर सकती, राष्ट्रपति भवन में कोई भी समारोह राष्ट्रपति द्वारा ही किये जा सकते हैं I क्योंकि यह भारत के राष्ट्राध्यक्ष का आवास है, कोई इंग्लैंड की महारानी का महल नहीं और यदि उन्हें इसको करने की इजाजत दी जाती है तो हम इस मामले को पार्लियामेंट में उठायेंगे I
इंदिरा जी ने मुझे कहा कि मार्गरेट थैचर से संपर्क कर इसको टालने का प्रयास करो और आकर मुझे बताओ कि क्या हुआ I मैंने दिल्ली में ब्रिटिश हाई कमिश्नर से कहा कि महारानी तक यह सन्देश पहुंचा दो कि वह इस समारोह को फिलहाल टाल दें I हम महारानी और मदर टेरेसा का बहुत सम्मान करते हैं लेकिन आयोजन का विचार करने से पहले हमसे एक बार पूछ तो लिया होता I
कुछ ही घंटो में ब्रिटिश हाई कमिश्नर का फोन आया कि बहुत देर हो चुकी है अब इस समारोह को नहीं टाला जा सकता I महारानी को जो असुविधा होगी वह तो होगी ही परंतु ब्रिटिश मीडिया को सारी खबर लग गई है कि यह समारोह होने जा रहा है I मैंने सारी बात इंदिरागाँधी को बताई तो वह गुस्से में आ गई और मुझसे बोला कि फिर जाकर थैचर को फोन करो कि महारानी समारोह तो कर सकती हैं लेकिन यह मामला फिर हमारी संसद में उठेगा, उनकी निंदा होगी ,यह हम नहीं चाहते I नटवर लिखते हैं कि इंदिरा की यह गूगली काम कर गई I कोई समारोह नहीं हुआ I एक शाम को मुग़ल गार्डन में महारानी ने चुपके से मदर टेरेसा को चाय पर बुलाया और चुपके से उसको वह सम्मान पत्र दे दिया जिसके लिए सम्मान समारोह हो रहा था I
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