भारत-यूएई व्यापार के लिए समृद्धि का नया युगبھارت-متحدہ عرب امارات کے درمیان تجارتی خوشحالی کا ایک نیا دور‏

Spread the love
  • पियूष गोयल, वाणिज्य और उद्योग मंत्री, भारत सरकार और डॉ. थानी बिन अहमद अल जेयौदी, विदेश व्यापार राज्य मंत्री, संयुक्त अरब अमीरात सरकार (यूएई) द्वारा संयुक्त रूप से लिखा गया लेख।

यदि हम 2021 को पीछे मुड़कर देखते हैं और 2022 से आगे भविष्य के बारे में सोचते हैं, तो यह स्पष्ट होता है कि हमारे दोनों राष्ट्र एक ऐतिहासिक मोड़ पर हैं। यूएई अपना 50वां वर्ष मना रहा है और इसने अगले 50 वर्षों के विकास के लिए अपने विज़न को अंतिम रूप दिया है। भारत भी अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और नयी शक्ति एवं उत्साह के साथ अपनी दीर्घकालिक विकास यात्रा पर आगे बढ़ रहा है।

अभी कुछ ही समय पहले, 2017 में, दोनों देशों के राजनेताओं द्वारा हमारे संबंधों को और मजबूत बनाते हुए एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लिए ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था। एकसमान दृष्टिकोण, गहरी आत्मीयता व आपसी समझ में निहित एवं समय की कसौटी पर खरे उतरे हमारे संबंध; एक मजबूत और बहुआयामी द्विपक्षीय सहयोग के रूप में विकसित हुए हैं, जो हमारे लाखों लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं।

यह विशेष संबंध निरंतर विकसित हो रहा है और एक जटिल तथा अनिश्चित दुनिया की चुनौतियों, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, का सामना करने के लायक बन रहा है। हमारे राष्ट्रों का धैर्य और सहनशीलता और इससे भी महत्वपूर्ण बात– हमारे मैत्रीपूर्ण संबंधों की प्रगाढ़ता विपरीत परिस्थितियों में और भी मज़बूत हुई हैं। हमने सभी समुदायों के लिए शांति, सद्भाव, सह-अस्तित्व और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम किया है। हमारा पूरा ध्यान; व्यापार, प्रौद्योगिकी, प्रतिभा और पर्यटन के कुशल उपयोग के माध्यम से हमारे लोगों और शेष दुनिया के लिए, प्रगति करने पर केन्द्रित रहा है। एक उदाहरण है- महामारी के बावजूद यूएई द्वारा एक्सपो 2020 की सफल मेजबानी, जिसमें भारत एक प्रेरणादायी मंडप के माध्यम से अपनी भूमिका निभा रहा है, जिसने राष्ट्रीय भावना को अपनी ओर आकर्षित करने के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है।

आज हमारी रणनीतिक साझेदारी एक महत्वपूर्ण बदलाव के कगार पर है। कोविड महामारी के बाद के युग में हम आपसी सहयोग के आधार पर विकास की संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं और हमारी साझेदारी को अगले स्तर पर ले जाने के लिए हमारे पास साझा दृष्टिकोण मौजूद है। हमारा साझा दृष्टिकोण एक ऐसी साझेदारी का निर्माण करेगा, जो सतत विकास, जलवायु संरक्षण संबंधी कार्य, नवाचार, डिजिटलीकरण, स्टार्टअप, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य, फिन-टेक और कार्यकुशलता जैसे नए व उभरते क्षेत्रों में सहयोग पर विशेष ध्यान देने के साथ भविष्य के भी अनुरूप हो।

इतिहास बनने की ओर

सिर्फ पांच महीने पहले, हम ऐतिहासिक कार्य- एक व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर बातचीत की शुरुआत-  के लिए आशा की साझा भावना के साथ आगे आए, जो न केवल व्यापार, वाणिज्य और निवेश के लिए बड़े अवसर पैदा करेगा, बल्कि एक कठिन- लेकिन संभावित रूप से परिवर्तनकारी– कालखंड में दीर्घकालिक वैश्विक सुधार (रिकवरी) के लिए योगदान भी देगा।

प्रगति की पारस्परिक इच्छा और दोनों देशों के लोगों को दूरगामी लाभ पहुंचाने की अटूट प्रतिबद्धता दोनों पक्षों में गहरी थी। उद्देश्य की इस संयुक्त भावना ने वार्ता को प्रेरित किया, जो मौजूदा महामारी की चुनौतियों के बावजूद भी असाधारण तेज गति से आगे बढ़ी। आज, समझौता हस्ताक्षरित, मुहरबंद और पूरा कर लिया गया है। संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बीच समृद्धि और रणनीतिक सहयोग के एक नए युग के लिए मंच पूरी तरह तैयार है, जो दोनों देशों को नयी ऊंचाई पर ले जाएगा।

तात्कालिक और भविष्य के विकास की राह खोलना

दोनों राष्ट्रों को होने वाले प्रत्यक्ष लाभ बिल्कुल स्पष्ट हैं। पांच वर्षों में हमारा द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा। यह आंकड़ा महामारी से पहले के स्तर से दोगुना है। बाजार तक पहुंच बढ़ने से निर्यातकों, आयातकों और उपभोक्ताओं सहित सभी हितधारकों को समान रूप से लाभ होगा। आवश्यक और उच्च स्तर के कुशल पेशेवरों को अपेक्षाकृत अधिक लचीलेपन का फायदा मिलेगा और दोनों देशों के लोगों के लाभ के लिए रोजगार के हजारों नए अवसर सृजित होंगे।

कई उत्पादों के मामले में, विशेष रूप से रत्न एवं आभूषण, वस्त्र, चमड़ा, जूते, प्लास्टिक, कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग का सामान और दवा (फार्मास्यूटिकल्स) जैसे श्रम-केंद्रित क्षेत्रों में भारतीय व्यापार जगत को बाजार तक बेहतर पहुंच हासिल होगी। दूसरी ओर, संयुक्त अरब अमीरात के निर्यातकों को विशेष रूप से पेट्रोलियम, धातु, खनिज, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स जैसे उत्पादों के लिए भारत के बड़े बाजार में बेहतर पहुंच प्राप्त होगी। बदले में, भारत में प्लास्टिक, रत्न एवं आभूषण जैसे छोटे उद्योग कम कीमत वाले सामानों से लाभान्वित होंगे।

दोनों देशों के लोगों ने सदियों से चली आ रही निर्बाध आवाजाही का आनंद उठाया है। यह व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) भारतीय पेशेवरों को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में रोजगार के बेहतर अवसर खोजने और वैश्विक मंच पर चमकने में सक्षम बनाएगा। दोनों पक्षों को मध्य पूर्व, अफ्रीका, यूरोप और अन्य क्षेत्रों के लिए एक रणनीतिक प्रवेश द्वार के रूप में संयुक्त अरब अमीरात की भौगोलिक स्थिति का भी लाभ मिलेगा। पूंजी के सभी रूप- वित्तीय, तकनीकी और मानव- एक नए और अधिक कुशल ढांचे के साथ दोनों दिशाओं में प्रवाहित होंगे। निजी निवेश लाने में मदद करने वाले सार्वजनिक पूंजी निवेश पर भारत का जोर- जैसाकि इसके हालिया बजट में परिलक्षित हुआ है- अपने विकास से संयुक्त अरब अमीरात को लाभ पहुंचाते हुए उसके निवेश के लिए अच्छे अवसर प्रदान करेगा।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम आकार के उद्यमों के लिए भी वैश्विक स्तर पर पहुंचना आसान होगा। भारत और संयुक्त अरब अमीरात में स्टार्टअप के आकर्षक, प्रतिस्पर्धी और पूरक इकोसिस्टम हैं और बैंगलोर, मुंबई, नई दिल्ली सहित भारत के विभिन्न राज्यों/शहरों से लेकर अबूधाबी और दुबई जैसे संयुक्त अरब अमीरात के व्यापारिक केंद्रों के लिए उद्यमिता का एक सुनहरा युग उभर रहा है। हमारा व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) स्टार्टअप को नए ग्राहकों, नेटवर्क और अवसरों तक पहुंच प्रदान करता है और एक लॉन्चपैड के रूप में गति बढ़ाने के लिए बेहतर तंत्र प्रदान करता है।

भविष्य के लिए ऊर्जा

दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में बेहद घनिष्ठ संबंध हैं। हम एक स्वच्छ और हरित भविष्य के लिए ऊर्जा के क्षेत्र में एक सामयिक, उपयुक्त और न्यायसंगत बदलाव के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों देशों में पारस्परिक निवेश के साथ पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में हमारे संबंध अनूठे हैं। संयुक्त अरब अमीरात भारत के सामरिक पेट्रोलियम भंडार में भाग लेने वाला एकमात्र देश भी है।

दोनों देश गतिशील नई व्यापार और निवेश नीतियों का अनुसरण कर रहे हैं। वर्ष 2022 में भारत का निर्यात 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो जाने की उम्मीद है। हमारा बढ़ता द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था के आकार को दोगुना करने के संयुक्त अरब अमीरात के प्रयासों में एक अहम भूमिका निभाएगा। सदियों से संयुक्त अरब अमीरात और भारत की नियति अटूट रूप से जुड़ी हुई है। मित्रता, विश्वास और उद्यमशीलता की भावना में निहित एक घनिष्ठ सहयोग हमारी अर्थव्यवस्थाओं, हमारे उद्योगों, हमारे शहरों और हमारे लोगों – वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों- के लिए असीमित अवसर पैदा करेगा। यही वह परिकल्पना है जिसकी हमें आकांक्षा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!