राजनीति

आम आदमी पार्टी ने वन मंत्री को हक हकूक की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा

देहरादून, 23 जुलाई (उहि)। आज आम आदमी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने वन मंत्री सुबोध उनियाल से मुलाकात कर उत्तराखंड के हक- हकूक जल, जंगल ,जमीन की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा ।

यह जानकारी देते हुए पार्टी के गढ़वाल मंडल मीडिया प्रभारी रविंद्र सिंह आनंद ने बताया की जिन मुद्दों को लेकर के उत्तराखंड बना था आज वह मुद्दे कहीं सत्ता के गलियारों में खो गए हैं एवं उत्तराखंड के दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने जिन हक- हकूक जल, जंगल ,जमीन की लड़ाई को लेकर उत्तराखंड का निर्माण कराया था आज वे हक- हकूक उनसे  छीना जा रहे हैं । उन्होंने हेलंग का उदाहरण देते हुए कहा कि इस घटना से पूरे प्रदेश में एक अजीब सा माहौल पैदा हो गया है।

   मंत्री जी की मुद्रा को देख कर अनुमान लग रहा है कि वह राज्य वासियों के हितों को लेकर कितने गंभीर हैं.

पार्टी ने वन मंत्री से मांग की है कि  उत्तराखंड के दुर्गम एवं अति दुर्गम क्षेत्रों में ग्रामवासी पीढ़ियों से बसे हुए हैं एवं जंगल से खाने को साग सब्जी मवेशियों के लिए चारा पत्ती एवं घर बनाने हेतु पत्थर, बालू आदि का उपयोग कर जीवन व्यतीत करते रहे हैं । साथ ही वे प्रहरी बनकर हमारे  सीमा  की रक्षा करते आए हैं एवं पहाड़ की संस्कृति एवं देवभूमि के रीति-रिवाजों को बचाकर धरोहर के रूप में हमें सौंपते आए हैं । परंतु उत्तराखंड बन जाने के बाद आज भी उत्तराखंड के ग्रामवासी अपने हक- हकूक जल, जंगल ,जमीन की लड़ाई को लड़ रहे हैं । पहाड़ों पर व्यवसाय एवं नौकरी लगभग नगण्य है इसीलिए पहाड़ वासियों को जीवन यापन हेतु जंगल से लकड़ी ,पत्थर, चारा पत्ती इत्यादि आवश्यक सामग्री मुहैया कराना हम लोगों का दायित्व एवं कर्तव्य है । अतः हम आपसे मांग करते हैं कि

आप के ज्ञापन में मांग की गयी है कि पहाड़ी क्षेत्रों के निवासियों को अपने जीवन यापन हेतु लकड़ी, चारा पत्ती एवं पत्थर बालू आदि वन विभाग से नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाए । पहाड़ी क्षेत्रों के निवासियों को उनके मवेशियों को चराने हेतु वन क्षेत्र में जाने की अनुमति प्रदान की जाए । पहाड़ी क्षेत्र के निवासियों को घर बनाने हेतु वन से लकड़ी नि:शुल्क मुहैया कराई जाए। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रदेश संगठन समन्वयक जोत सिंह बिष्ट, उपाध्यक्ष उमा सिसोदिया ,उपाध्यक्ष आजाद अली एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ आर पी रतूड़ी शामिल थे।

 

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