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नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह 30 नवंबर, 2021 को नौसेना से सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं

नयी दिल्ली ,12  नवंबर (उ.हि.) एडमिरल करमबीर सिंह चार दशकों से अधिक की विशिष्ट सेवा के बाद 30 नवंबर, 2021 को नौसेना से सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। एडमिरल करमबीर सिंह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला के पूर्व छात्र हैं। जुलाई 1980 में भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद उन्होंने 1981 में एक हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में आगाज़ किया और चेतक (अलौएट) और कामोव हेलीकॉप्टरों पर काफी उड़ान भरी। वह वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज; कॉलेज ऑफ नेवल वारफेयर, मुंबई से स्नातक हैं और इन दोनों संस्थानों में डायरेक्टिंग स्टाफ के रूप में काम किया है।

41 साल से अधिक के अपने करियर में, एडमिरल के बी सिंह ने विशाखापत्तनम में लगभग 12 साल बिताए हैं, जिसमें से शुरुआती सालों में आईएनएएस 333 में कामोव हेलीकॉप्टर उड़ाना, इंडियन कोस्ट गार्ड शिप चांदबीबी और गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर राणा की कमान शामिल है, साथ ही वे भारतीय नौसेना के 24 वें नौसेना प्रमुख के रूप में पदभार संभालने से पहले 31 अक्टूबर 2017 से 31 मई 2019 तक पूर्वी नौसेना कमान के सी-इन-सी भी रहे हैं।

पश्चिमी समुद्र तट पर अन्य महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियों में उन्होंने मिसाइल कार्वेट आईएनएस विजयदुर्ग, गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर आईएनएस दिल्ली की कमान संभालना भी शामिल है। उन्होंने पश्चिमी बेड़े के फ्लीट ऑपरेशन्स अधिकारी के रूप में भी काम किया है।

फ्लैग रैंक पर पदोन्नति होने पर एडमिरल को चीफ ऑफ स्टाफ, ईएनसी के तौर पर नियुक्त किया गया था। उनके अन्य महत्वपूर्ण फ्लैग अपॉइंटमेंट्स में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में ट्राई-सर्विस एकीकृत कमान के चीफ ऑफ स्टाफ और महाराष्ट्र और गुजरात नौसेना क्षेत्र (एफओएमएजी) का फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग होना शामिल हैं। वाइस एडमिरल के पद पर वह प्रोजेक्ट सीबर्ड के महानिदेशक, कारवार में नौसेना के विस्तृत और आधुनिक बेस के ढांचागत विकास के प्रभारी रहे हैं। एकीकृत मुख्यालय रक्षा मंत्रालय (नौसेना) में एडमिरल नौसेना के डिप्टी चीफ, वाइस चीफ तथा बाद में एफओसी-इन-सी, पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी) भी रहे हैं।

नौसेना के तौर पर पिछले ढाई वर्षों के दौरान एडमिरल के बी सिंह ने नौसेना के सभी क्षेत्रों में ‘युद्ध की दृष्टि से तैयार, विश्वसनीय और एकजुट नौसेना’ सुनिश्चित करने के लिए एक पूर्ण अभियानगत फोकस लाए। उन्होंने सबसे चुनौतीपूर्ण चरणों, जिस स्थिति को नौसेना ने कई दशकों में देखा, में से एक – गलवान संकट और कोविड-19 महामारी का एकसाथ आना- के दौरान नौसेना का नेतृत्व किया है और यह सुनिश्चित किया कि सामुद्रिक क्षेत्र में सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए नौसेना की अग्रिम परिसंपत्तियां मिशन तैनाती पर रहें।

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