जोशीमठ के बाद अब बद्रीनाथ में भू-धंसाव की नौबत

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एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की जून 2023 की उत्तराखंड उदास रिपोर्ट
–uttarakhandhimalaya.in —
देहरादून स्थित थिंक टैंक एसडीसी फाउंडेशन हर महीने उत्तराखंड में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं पर रिपोर्ट जारी कर रहा है। इस क्रम में एसडीसी ने अपनी अब तक की नौवीं और इस वर्ष की छठीं, जून 2023 की रिपोर्ट जारी की है। फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) रिपोर्ट का उद्देश्य राज्य में पूरे महीने आने वाली प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं का डॉक्यूमेंटेशन है। यह रिपोर्ट राज्य में प्रमुख आपदाओं और दुर्घटनाओं को एक स्थान पर संग्रहित करने का प्रयास है। रिपोर्ट मुख्य रूप में विश्वसनीय हिन्दी और अंग्रेजी अखबारों और न्यूज़ पोर्टल्स में छपी खबरों पर आधारित है।
*जून 2023 उदास की रिपोर्ट*
उदास जून 2023 की रिपोर्ट में लगातार छठे महीने भी जोशीमठ भू-धंसाव को प्रमुखता दी गई है। इसमें मॉनसून की दस्तक के बाद भी वहां के लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था न होने को लेकर पीड़ितों की चिन्ता का उल्लेख किया गया है। इस रिपोर्ट में पिथौरागढ़ में सड़क दुर्घटना में 10 लोगों की मृत्यु, उच्च हिमालयी क्षेत्रों में एक के बाद एक कई एवलांच आने, बागेश्वर मे बिजली गिरने से 400 बकरियों की मौत, उत्तरकाशी में मस्ताड़ी गांव में घरों में दरारें आने, गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में झुकाव और पुनर्निर्माण कार्यों के दौरान बद्रीनाथ में कई भवनों में दरारें आने की घटनाओं को प्रमुखता से शामिल किया गया है।
*मॉनसून में भी जोशीमठ को राहत नहीं*
उदास रिपोर्ट में लगातार छठे महीने भी जोशीमठ भूधंसाव को प्रमुखता से शामिल किया गया है। विभिन्न रिपोर्टों के हवाले से कहा गया है कि जोशीमठ में 868 से ज्यादा घरों में दरारें आई हैं। मॉनसून नजदीक होने के बावजूद प्रभावितों के लिए कोई व्यवस्था न किये जाने पर चिन्ता जताई गई है। 2 हजार अस्थाई आवास बनाने के दावे के बावजूद अब तक सिर्फ 15 इस तरह के ढांचे बनाये जाने को लेकर जोशीमठ के लोगों की नाराजगी और विरोध के बावजूद हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का निर्माण फिर से शुरू किये जाने का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है। लोग इस बाइपास को जोशीमठ के लिए बड़ा खतरा बताते रहे हैं। 11 जून को लोगों ने इस बाईपास का निर्माण शुरू होने के खिलाफ जोशीमठ में प्रदर्शन भी किया। भू-धंसाव पर रिपोर्ट सार्वजनिक न किये जाने और अब तक पूर्ण मुआवजा न मिलने को लेकर भी उदास रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है।
*कई जगह एवलांच*
रिपोर्ट में जून के महीने में केदारनाथ और हेमकुंड मार्ग सहित कई जगहों पर एवलांच की घटनाओं को शामिल किया गया है। 12 जून की सुबह केदारनाथ मंदिर की पहाड़ियों के पीछे एवलांच हुआ था, हालांकि ये छोटा एवलांच था और इससे कोई नुकसान नहीं हुआ। इससे पहले 8 जून को बड़ा एवलांच आया था। इससे पहले हेमकुंड साहिब के रास्ते में 4 जून को एवलांच आया था। इसमें 5 लोग दब गये थे। इनमें से 4 को बचा लिया गया था और एक की मौत हो गई थी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले मई और जून के महीनों में भी राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कई जगह एवलांच की घटनाएं सामने आई थी।
*रोड एक्सीडेंट में 10 की मौत*
जून के महीने में राज्य में एक बड़ा रोड एक्सीडेंट हुआ, जिसे उदास की रिपोर्ट में शामिल किया गया है। 22 जून को पिथौरागढ़ जिले में हुए इस एक्सीडेंट में 10 लोगों की मौत हो गई थी। मारे गये लोग बागेश्वर जिले से एक मंदिर में जा रहे थे, जब उनका वाहन 500 मीटर गहरी खाई में गिर गया। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि उत्तराखंड में रोड एक्सीडेंट के प्रमुख कारण क्या हैं। उदास की रिपोर्ट में 25 जून को बागेश्वर जिले की कपकोट तहसील के झूनी पंखूटोप में बिजली गिरने से 400 से ज्यादा बकरियों की मौत हो जाने की घटना का उल्लेख किया गया है।
*गोपीनाथ मंदिर में झुकाव*
रुद्रप्रयाग जिले के तुंगनाथ मंदिर के बाद अब चमोली जिले के मुख्यालय गोपेश्वर में स्थित गोपीनाथ मंदिर में भी झुकाव दर्ज किया गया है। उदास की रिपोर्ट में इस घटना को शामिल करते हुए कहा कहा कि भारतीय पुरातत्व विभाग को इस बारे में सूचित कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार जिला प्राधिकारी एएसआई ने झुकाव से इनकार किया है लेकिन मंदिर के कुछ पत्थर बदलने की बात कही है। उदास की रिपोर्ट में उत्तरकाशी जिले के मस्ताड़ी गांव में लोगों के घरों में आ रही दरारों का भी उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार गांव के लोगों ने जोशीमठ की तरह की भू-धंसाव होने की बात कही है। बताया गया है कि गांव में 1991 के भूकंप के बाद भूधंसाव महसूस किया गया था, जो अब बढ़ गया है। भूवैज्ञानिकों ने 1997 में गांव का सर्वे भी किया था, लेकिन उससे आगे कुछ नहीं किया गया। इस गांव में 30 परिवारों का तुरन्त पुनर्वास करने की जरूरत है।
*बद्रीनाथ में कई भवन खतरे में*
बद्रीनाथ मास्टर प्लान के तहत रिवरफ्रंट पर काम चलने से जोखिम बढ़ गया है। कई इमारतों में भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं। इस मामले को उदास की रिपोर्ट में शामिल किया गया है। बद्रीनाथ मंदिर के चारों ओर 75 मीटर तक निर्माण कार्य किया जा रहा है। बद्रीनाथ पुराने मार्ग पर पुजारियों की दुकानें और घर ध्वस्त कर दिये गये हैं। नदी के किनारे स्थित मकान और धर्मशालाएं अब भूस्खलन की चपेट में आ रहे हैं।
*उत्तराखंड और आपदा प्रबंधन*
अनूप नौटियाल ने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड उदास मंथली रिपोर्ट राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं, अधिकारियों, शोधार्थियों, शैक्षिक संस्थाओं, सिविल सोसायटी आग्रेनाइजेशन और मीडिया के लोगों के लिए सहायक होगी। साथ ही दुर्घटना और आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
*आपदा प्रबंधन का ओडिशा मॉडल*
उत्तराखंड आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और अपने अध्ययनों के आधार पर वैज्ञानिक यहां भूस्खलन, भूकंप आने की आशंका लगातार जताते रहे हैं। ऐसे में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में विशेष तौर पर आपदा तंत्र को मजबूत करने की सख्त जरूरत है।
अनूप नौटियाल ने कहा की उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के लिए ओडिशा मॉडल से सीख लेने की ज़रूरत है। ओडिशा मॉडल की सराहना यूनाइटेड नेशंस ने भी की हैं। आपदा जोखिम शासन को मजबूत करने, तैयारियों और परिदृश्य योजना में निवेश करने और आपदा जोखिम की अधिक समझ फैलाने पर ओडिशा मॉडल महत्वपूर्ण सबक देता है।
ओडिशा मे 1999 के चक्रवात मे लगभग 10,000 लोग मारे गए और यह कभी दोहराया नहीं गया है। हाल ही में ओडिशा में 2 जून की बालासोर ट्रेन दुर्घटना मे भी ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स ने फर्स्ट रिस्पांडर की भूमिका में बेहतरीन कार्य कर कई लोगों की जान बचाने का काम किया।

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