पहाड़ी टोपी के बाद अब गमछा उतरा राजनीतिक बाजार में
देहरादून, 27 अगस्त (उहि ) । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में द हिमालयन सेंटर द्वारा तैयार किये गये पहाड़ी गमछे का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रह्मकमल टोपी के बाद पहाड़ी गमछा भी राज्य की पहचान बनेगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय परिवेश और शैली के साथ समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पहचान बनाने के प्रयासों से राज्य को भी पहचान मिलती है।
इस अवसर पर द हिमालयन सेंटर के संस्थापक एवं सीईओ श्री समीर शुक्ला ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका प्रयास विभिन्न प्रांतों की भांति उत्तराखण्ड के अंगवस्त्रों को भी पहचान दिलाना है।
चूँकि गमछा केशरिया न हो कर सफ़ेद है , इसलिए शायद ही राजनीतिक फैशन की दुनियां में टिक पाए। गौरतलब है कि जिस टोपी को ब्रह्म कमल पहाड़ी टोपी बताया जा रहा है वह आम आदमी के सिर पर नहीं बल्कि केवल नेताओं के सिर पर नज़र आती है। वह टोपी महिलाओं के लिए भी प्रचार के काम आने लगी है , जबकि उत्तराखंड के हिमाचल प्रदेश से लगे जौनसार बावर और रवाईं तक ही महिलाएं टोपी पहनती हैं। शेष उत्तराखंड में महिलाएं टोपी नहीं पहनती हैं। हिमाचल प्रदेश में भी टोपी की राजनीती चलती है। वहां सामान्यतः केशरिया पट्टी वाली गोल टोपी भाजपाई और हरी पट्टी वाली टोपी कोंग्रेसी पहनते हैं। उत्तराखंड में भी टोपी राजनीती शुरू हो गयी है।