ब्लॉग

ऋषिकेश -कर्णप्रयाग रेल लाइन की एक और छलांग : 2024 तक एक सदी पुराना सपना होगा पूरा

उत्तराखंड हिमालय के लिए उषा रावत — —

ऋषिकेश, 26 अगस्त। कर्णप्रयाग रेल परियोजना में लगातार नई उपलब्धियां हासिल हो रही हैं। तीन दिन पहले रुद्रप्रयाग के नरकोटा में परियोजना की पहली निकासी सुरंग के ब्रेक थ्रू के बाद अब शुक्रवार को ऋषिकेश के शिवपुरी में दूसरी एस्केप टनल का ब्रेक थ्रू हो गया। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आज ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के अंतर्गत रेलवे प्रोजेक्ट का पहला गूलर से शिवपुरी टनल ब्रेक-थ्रू का दीपक प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया गया। तत्कालीन रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने 9 नवंबर 2011 को इस योजना का शिलान्यास गौचर में किया था। उस समारोह में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के रूप में रक्षा मंत्री एके अंटनी की मौजूद थे।

कर्णप्रयाग रेल लाइन भारतीय रेलवे का दूसरा पहाड़ी ब्राडगेज ट्रैक होगा। इससे पहले जम्मू- उधमपुर-कटरा-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक भारतीय रेलवे की अकेली ब्राडगेज पहाड़ी रेल लाइन है। उत्तर रेलवे द्वारा संचालित कालका-शिमला नैरोगेज को विश्व धरोहर का दर्जा हासिल है। दूसरी मीटरगेज लाइन उत्तर रेलवे के जोगिंदरनगर-पठानकोट है। यह हिमांचल के पहाड़ी क्षेत्रों से पठानकोट पहुंचती है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पहाड़ों में रेलवे लाइन का काम काफी कठिन होने के बावजूद आगे भी सफलतापूर्वक करने के लिए उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि और भी रेलवे लाइनों, सड़को के निर्माण हेतु स्वीकृति मिल चुकी हैं, जिन पर शीघ्र ही कार्य शुरू कर दिए जाएंगे। शिवपुरी से गूलर के बीच 6.470 किमी लंबी मुख्य रेल टनल बनाई जानी है, जिसके समानांतर यह एक एस्केप टनल भी होगी। यह कार्य एलएंडटी को सौंपा गया है। मुख्य टनल के समानांतर बन रही निकासी सुरंग पर आठ स्थानों से टनलिंग का काम किया जा रहा है।

इस अवसर पर मुख्य परियोजना अधिकारी रेलवे श्री अजित सिंह यादव ने बताया कि ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल लाइन की दूरी 125 किमी है, जिसमें से 104 किमी में 17 टनल बनेंगी। इस रेल लाईन में जन्दासू देवप्रयाग सौड़ सबसे लम्बी सुरंग होगी जो लगभग साढे चौदाह किमी होगी। रेल लाइन के लिए 105 किलोमीटर मैन टनल के अलावा एडिट टनल और निकासी टनल भी बनाई जा रही है। जिसकी कुल लंबाई 98 किलोमीटर होगी। यह टनलें मुख्य मार्ग से मैन टनल को जोड़ती है। एस्केप टनल सहित कुल 218 किलोमीटर टनल का निर्माण किया जाएगा। परियोजना में 2835 मीटर के 16 महत्वपूर्ण पुल भी बनेंगे। टनल खोदने में 14 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। बताया कि रेलवे के कार्यों में आधुनिकतम मशीनों का इस्तमाल किया जा रहा है, सभी टनल का कार्य समय अंतर्गत पूरा कर लिया जाएगा।

    File photo of CM Dhami in under construction tunnel of Karnprayag rail

 

पिछले रिकार्डों के अनुसार ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए पहला सर्वे 1919 में गढ़वाल के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जे.एम. क्ले ने करवाया था। इसके बाद इस लाईन के लिए 1927 के आस पास भी सर्वे हुआ। उसके बाद हुये सर्वेक्षणों के आधार दार्जिलिंग और शिमला तक तो उस समय रेल चली गयी, मगर उत्तराखण्ड अब तक कर्णप्रयाग तक रेल की प्रतीक्षा कर रहा है। सन् 1996 में तत्कालीन रेल राज्यमंत्री सतपाल महाराज की पहल पर एक बार फिर कर्णप्रयाग तक सर्वे हुआ। इसी तरह टनकपुर-बागेश्वर लाइन अंग्रेजी प्रशासन की प्रस्तावित योजनाओं में शामिल रही। कुछ लोग पहाड़ के इस ख्वाब का नाम ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल  के बजाय अलकापुरी एक्सप्रेस या सतोपंथ एक्सप्रेस जैसा नाम चाहते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!