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सेना सद्भावना के मोर्चे पर भी आगे — कश्मीर में गढ़वाली-कुमाऊंनी गीतों और नृत्यों का धमाल

हमारी सेना  साकार कर रही है  :  ‘गर फिरदौस बर रुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तो, हमीं अस्त’ अर्थात अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं पर है और सिर्फ यहीं पर है। 

-जयसिंह रावत

भारतीय सेना का वास्तव में दुनियां में कोई जवाब नहीं। हमारी सेना युद्ध के मोर्चे पर तो अपनी बहादुरी का जलवा दिखाती ही है लेकिन बाढ़- भूकम्प-हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के संकट के समय भी देशवासियों के काम आती है। अब तो हथियारों और मौत से खेलने वाली सेना सद्भावना के मार्चे पर भी अब्बल साबित हो रही है। इसका ताजा उदाहरण पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से ग्रस्त कश्मीर में चल रहा ’’सदभावना मिशन’’ है। इस मिशन के तहत ’’आर्मी गुडविल स्कूल’’ चल रहे हैं जो कि कश्मीरी बच्चों को श्रेष्ठ और सफल नागरिक बनाने का काम कर रहे हैं।

14 नवम्बर 2022 को पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्म दिन पर आयोजित होने वाले बाल दिवस समारोह में अगर उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के एक गुडविल स्कूल के बच्चे ^^ढोल बजि दमौं बजी अर बजिगे मशका —–हे रूड़ी मिजाज रूड़ी कमर लसका——अल्मोड़ा बाजार—** आदि गढ़वाली कुमाऊनी गीतों पर धमाल मचाते हैं और वहां मौजूद उनके कश्मीरी अभिभावक उत्तराखंडी गीतों और लोक नृत्य पर अल्हादित होते हैं तो आतंकवाद पीड़ित इस इलाके में राष्ट्रीय एकता और सद्भावना मिशन की कामयाबी की इससे बड़ी मिसाल और क्या हो सकती है\ इस कार्यक्रम में कश्मीरी बच्चियों ने कई गढ़वाली और कुमाऊंनी लोकप्रिय गीतों पर आकर्षक नृत्य कर यह साबित भी किया कि कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक सारी हिमालयी बिरादरी एक ही है।

मुश्किल हालात और तनाव में भी भारतीय सेना ने पिछले कुछ वर्षों में 46 सेना सद्भावना विद्यालयों की स्थापना की है और दूरदराज के क्षेत्रों में राज्य सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों की मरम्मत, अतिरिक्त कक्षाओं के कमरों, पुस्तकालयों, शौचालयों, खेल के मैदानों, खेल सुविधाओं, फर्नीचर, कंप्यूटर, शैक्षिक सॉफ्टवेयर के प्रावधान के माध्यम से सहायता प्रदान की है। संकुल, स्टेशनरी, और किताबें। पिछले 22 वर्षों में लगभग एक लाख पचास हजार से अधिक छात्र लाभान्वित हुए हैं जिसमें उन्होंने मध्य और उच्चतर माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त की है।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से प्रभावित आबादी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रावधान की सुविधा के लिए 1990 के दशक के अंत में भारतीय सेना द्वारा “मुख्य परिणाम क्षेत्र” के रूप में पहचान की गई थी। जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन सद्भावना के फोकस में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, महिला और युवा अधिकारिता, बुनियादी ढांचे के विकास और स्वास्थ्य और पशु चिकित्सा देखभाल के माध्यम से समग्र प्रमुख सामाजिक सूचकांकों में सुधार शामिल है। एक प्रमुख जोर विकास से वंचित क्षेत्रों में जम्मू-कश्मीर के वंचित वर्गों को शिक्षा प्रदान करना है।

1990 के बाद से सेना ने आतंक प्रभावित तमाम इलाकों में अपने गुडविल स्कूलों की स्थापना का काम शुरू कराया था, जिससे कि घाटी के बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा मुहैया कराई जा सके। सद्भावना मिशन के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर में फिलहाल सेना कुल 46 स्कूलों का संचालन करती है। इन स्कूलों में घाटी के अलग-अलग इलाकों से आने वाले 14 हजार से अधिक स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं। आर्मी गुडविल स्कूलों में पढ़ने वाले 800 से अधिक बच्चों को स्कॉलरशिप दी जाती है। गुडविल स्कूलों में करीब 1000 शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं। तमाम मौकों पर यहां पर खेलकूद और सांस्कृतिक क्षेत्रों से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।

आर्मी गुडविल स्कूलों की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्थानीय आबादी द्वारा इस तरह के और स्कूल खोलने की मांग बढ़ रही है और वर्तमान में लगभग 14500 छात्र प्राथमिक/उच्चतर माध्यमिक स्तरों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लगभग 1500 छात्र छात्रवृत्ति प्राप्त कर रहे हैं, जिसका कुल मूल्य राज्य के भीतर और बाहर के स्कूलों में पढ़ाई के लिए पांच करोड़ से थोड़ा अधिक है। इन छात्रवृत्ति योजनाओं से लाभान्वित होने वाले अधिकांश छात्रों को जम्मू-कश्मीर के बाहर के संस्थानों में प्रवेश प्राप्त करने में भी सहायता की गई है। गुडविल स्कूल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के अलावा राज्य के योग्य युवाओं को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं। आज की तारीख में विभिन्न सद्भावना विद्यालयों में लगभग 1000 शिक्षण और गैर शिक्षण कर्मचारी कार्यरत हैं।

वर्षों से, सेना ने इस ऑपरेशन के दायरे का विस्तार किया है और इन छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अवसरों का फायदा उठाने में मदद करने के लिए जबरदस्त प्रयास किए हैं। ‘कश्मीर सुपर 50 (इंजीनियरिंग)’ परियोजना एक ऐसी ही पहल है, जिसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय ‘सुपर 30 (मेड)’ कार्यक्रम के बाद तैयार किया गया है। सेना ने सामाजिक उत्तरदायित्व और नेतृत्व केंद्र के साथ भागीदारी की और शैक्षणिक वर्ष 2013-2014 में इस परियोजना को लॉन्च किया। संस्थान में 2019 तक कुल 208 छात्रों ने कोचिंग ली है, जिसमें से 182 का चयन पूरे भारत के विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में हुआ है।

सकारात्मक परिणाम से उत्साहित होकर, 2018 में “कश्मीर सुपर 30 (मेड)” के तहत एक और शिक्षा पहल शुरू की गई, जिसमें सेना ने NEET के लिए तैयारी करने वाले छात्रों के लिए हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) और राष्ट्रीय अखंडता और शिक्षा विकास संगठन (NIEDO) के साथ भागीदारी की। मई 2019 में 35 छात्रों ने एनईईटी में भाग लिया और 30 छात्रों ने परीक्षा उत्तीर्ण की (जम्मू और कश्मीर के कॉलेजों में एमबीबीएस में 09 और बीडीएस में तीन छात्रों का चयन हुआ और 09 छात्रों ने जम्मू और कश्मीर के बाहर अन्य पेशेवर कॉलेजों में प्रवेश लिया)।

 

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