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आजादी के आन्दोलन में 85 से अधिक उत्तराखडियों ने शहादत दी थी

 


-जयसिंह रावत
आजादी के आन्दोलन में उत्तराखण्ड की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसी उत्तराखण्ड में राजा महेन्द्र प्रताप रहे। यहीं मानवेन्द्रनाथ राय ने अपना अंतिम ठिकाना बनाया। यहीं पंडित गोविन्द बल्लभ पंत ने जन्म लिया। मुंशीराम यहीं श्रद्धानन्द बने। महात्मा गांधी दंक्षिण अफ्रीका से लौटे तो राजनीतिक दीक्षा लेने हरिद्वार आ गये।

 

पंडित जवहरलाल नेहरू ने पहली राजनीतिक सभी से अध्यक्षता यहीं की। इसी देहरादून में में रास बिहारी बोस रहे और अमीचन्द्र बम्बवाल जैसे क्रांतिकारी को इसी देहरादून में ठिकाना मिला। यही वो देहरादून है जहां भारत का संविधान छपा। इसी उत्तराखण्ड में भवानी सिंह रावत के साथ मिल की चन्द्र शेखर आजाद आदि ने पिस्तौल चलाने की प्रैक्टिस की। यही चन्द्रसिंह गढ़वाली जन्में। इस उत्तराखण्ड के 85 सैनिकों ने सुभाष बोस की ओर से लड़ कर शहादत दी।

भारत छोड़़ो आन्दोलन में उत्तरखण्ड के 5 स्वाधीनता सेनानियों ने शहादत दी। उनके नाम इस प्रकार हैं:-
1-उदय सिंह जिन्हें गांधी आश्रम चनौदा अल्मोड़ा ( उनको पुलिस की गोली लगी थी)
2-त्रिलोक सिंह पांग्ती चनौदा आश्रम अल्मोड़ा ( आन्दोलन के दौरान इनको भी पुलिस की गोली लगी)
3-रतन सिंह गांधी आश्रम चनौदा अल्मोड़ा ( इनकी मृत्यु भी पुलिस गोलीबारी में हुयी)
4-सुन्दर लाल शास्त्री, चमोली ( इनकी मृत्यु पौड़ी जेल में हुयी)
5-राधाकृष्ण दुमका, जिला नैनीताल

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