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मैटेरियल्स एवम् डिवाइसेज समाज के विकास की रीढ़ : प्रो. विक्रम

फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के भौतिक विज्ञान विभाग की ओर से ब्लेंडेड मोड में आयोजित मैटेरियल्स एंड डिवाइसेज पर दो दिनी थर्ड राष्ट्रीय कान्फ्रेंस- एनसीएमडी-2022 का समापन

मुरादाबाद, 11  नवंबर ( उ  हि ) । पूर्व निदेशक, एनपीएल-सीएसआईआर, नई दिल्ली एवम् मानद प्रोफेसर-केयर, आईआईटी दिल्ली के प्रो. विक्रम कुमार ने बतौर मुख्य अतिथि ने कहा कि मैटेरियल्स एंड डिवाइसेज समाज के विकास की रीढ़ हैं। उन्होंने उद्योग में पॉलिमर और सेमी कंडक्टर्स के अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित किया।

उन्होंने बताया कि एक उपकरण को डिजाइन करने के लिए एक उचित मैटेरियल का चयन करना महत्वपूर्ण है, इसलिए नई सामग्री का संश्लेषण और कैरक्टराइजेशन अत्यंत महत्वपूर्ण है। कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो जाता है, लेकिन डिवाइस बनाने के उद्देश्य से इन मैटेरियल्स का प्रसंस्करण बहुत महत्वपूर्ण है। प्रो. विक्रम तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के भौतिक विज्ञान विभाग की ओर से ब्लेंडेड मोड में आयोजित मैटेरियल्स एंड डिवाइसेज पर दो दिनी थर्ड राष्ट्रीय कान्फ्रेंस- एनसीएमडी-2022 के समापन मौके पर बोल रहे थे।

सम्मेलन में 47 ओरल प्रेजेंटेशन, 26 पोस्टर प्रेजेंटेशन और 6 इनवाइटेड टॉक हुईं। नेशनल कांफ्रेंस में कुल 79 शोधकर्ताओं ने अपने शोध निष्कर्ष प्रस्तुत किए। प्रतिभागी भारत के 9 राज्यों – यूपी, हरियाणा, नई दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तरांचल, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से आए। सम्मेलन में जापान और इथोपिया के दो प्रतिभागियों ने भी अपना शोध कार्य प्रस्तुत किया। दोनों दिन में कुल 5 सत्र हुए। दूसरे दिन पोस्टर सेशन भी हुआ। उद्घाटन सत्र में हिंदू कॉलेज, मुरादाबाद की प्रो. शालिनी रॉय जबकि दूसरे दिन हिंदू कॉलेज, मुरादाबाद के प्रो. मुकुल किशोर बतौर सम्मानित अतिथि मौजूद रहे। संचालन मिस इंदु त्रिपाठी ने किया। बेस्ट ओरल प्रेजेंटेशन कैटेगरी में शारदा यूनिवर्सिटी की अपर्णा निरंजन ने प्रथम स्थान, महिला महाविद्यालय, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी की स्वाति और दीप्ति यादव ने क्रमशः द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया । बेस्ट पोस्टर प्रेजेंटेशन में फैकेल्टी आफ इंजीनियरिंग टीएमयू मुरादाबाद के एमएससी फिजिक्स प्रथम वर्ष की छात्राएं नैंसी तोमर और अपर्णा सिंह ने प्रथम तथा सीसीएस यूनिवर्सिटी मेरठ के अभिषेक ने द्वितीय और कैलाश कुमार टीएमयू एलुमनाई मुरादाबाद तृतीय स्थान पर रहे।प्रो. विक्रम ने गैस सेंसर पर चल रहे शोध पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सेंसर के क्षेत्र में कई शोध पत्र प्रकाशित हो रहे हैं, लेकिन बहुत कम वर्किंग मॉडल में परिवर्तित हो रहे हैं, इसलिए भौतिक विज्ञानी और इंजीनियरों के संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है ताकि परिणामों का कार्य मॉडल बनाकर मानव कल्याण के लिए शोध निष्कर्षों को परिवर्तित किया जा सके। शोध निष्कर्षों के बाद किसी उपकरण को डिजाइन करने में लागत अनुकूलन और आसान उपयोग भी प्रमुख घटक हैं। उन्होंने बताया कि अनुसंधान का एप्लीकेशन महत्वपूर्ण है, इसलिए केंद्र सरकार भी अनुसंधान के निष्कर्षों को वर्किंग मॉडल के लिए परिवर्तित करने में सहायता कर रही है। उन्होंने अपने व्याख्यान को इस उद्धरण के साथ सारांशित किया कि छोटी – छोटी समस्या का भी समाधान महत्वपूर्ण है। इससे पूर्व उद्घाटन अवसर पर फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग के डायरेक्टर एवं कान्फ्रेंस जनरल चेयर प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने कहा कि अनुसंधान का उद्देश्य मनुष्य की बेहतरी के लिए मैटेरियल्स एंड डिवाइसेज को विकसित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और भौतिकी के ज्ञान का उपयोग करना है। शोध के निष्कर्ष वोकल फॉर लोकल और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मदद करेंगे । यह सम्मेलन इंक्रीमेंटल रिसर्च मॉडल को बढ़ावा देने में मददगार होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक विद्वान को हमेशा ज्ञान प्राप्त करते रहना चाहिए, क्योंकि वह हमेशा उसके पास रहेगा।

टीएमयू के कुलपति प्रोफेसर रघुवीर सिंह ने कहा कि मैटेरियल्स एंड डिवाइसेज 21 वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए किसी भी प्रौद्योगिकी और प्रगति का आधार हैं। मैटेरियल्स के आकार में कमी के साथ ऊर्जा की खपत और ऊर्जा की हानि कम हो जाती है इसलिए नैनो तकनीक आज के युग में एक प्रमुख भूमिका निभा रही है। एक दूसरे के विचारों को साझा करना और मानव कल्याण में उसका उपयोग करना किसी भी सम्मेलन का मूल सार है। हिंदू कॉलेज, मुरादाबाद की प्रो. शालिनी राय ने पहले दिन सम्मेलन में बतौर गेस्ट आफ ऑनर कहा कि भौतिकी के बिना कोई भी विकास संभव नहीं है। उन्होंने चिकित्सा प्रयोजनों के लिए बायोमैटिरियल्स अनुप्रयोगों के बारे में चर्चा की। उसने बताया कि बायोमैटिरियल्स का इस्तेमाल दो तरह से किया जा सकता हैरू चिकित्सीय और नैदानिक। वे या तो मानव निर्मित हो सकते हैं या संश्लेषित किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि बायोमैटिरियल्स का इस्तेमाल ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, डेंटल इम्प्लांट्स, हार्ट वॉल्व्स, स्किन रिपेयर डिवाइसेज, सर्जिकल आइटम्स आदि में किया जा सकता है। बायोमैटिरियल्स को विकसित करते समय बायोकंपैटिबिलिटी और मानव शरीर पर बायोमैटिरियल्स के प्रतिकूल प्रभावों की जांच पर ध्यान देना चाहिए।

दूसरे दिन के गेस्ट आफ ऑनर हिंदू कॉलेज, मुरादाबाद के फिजिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी प्रो. मुकुल किशोर ने श्री रामचरित मानस से उदाहरण देते हुए कहा, जब प्रभु श्री राम समुद्र पर पुल बनाने के लिए समुद्र को सुखाना चाहा तो समुद्र ने कहा कि समग्र सृष्टि पाँच तत्वों से बनी है, अगर इनमें से किसी एक भी तत्व की कमी होने से सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाता है। अतः यह सर्वसिद्ध है कि भगवान भी प्रकृति के नियमों से बंधे हैं, इसलिए हमें भी प्रकृति के नियमों का पालन करना जरूरी है ताकि प्रकृति का संतुलन बना रहे।शारदा विश्वविद्यालय, नोएडा के प्रो. एन.बी. सिंह ने हरित संश्लेषण और नैनो मैटेरियल्स के एप्लीकेशंस पर प्लेनरी टॉक दिया। उन्होंने हरित संश्लेषण शब्द की व्याख्या की और नैनो मैटेरियल्स के संश्लेषण विधियों पर चर्चा की। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी की प्रो नीलम श्रीवास्तव ने पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट्स पर एक प्लेनरी टॉक दिया। उन्होंने बैटरियों में उपयोग के लिए पॉलीमर के संचालन की चालकता बढ़ाने के लिए पॉलीमर-इन-सॉल्ट-इलेक्ट्रोलाइट के वर्किंग प्रिंसिपल के बारे में बताया। उन्होंने सिंथेटिक पॉलिमर के स्थान पर बायो-पॉलिमर को बढ़ावा देने के लिए होस्ट पॉलीमर के रूप में स्टार्च की संभावना का भी पता लगाया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. अजय पी.एस. गहलोत ने एसपीआर गैस सेंसर पर इनवाइटेड टॉक दिया। उन्होंने सेंसर के बुनियादी कार्यकारी प्रिंसिपल पर चर्चा की। उन्होंने सर्फेस प्लास्मोन रेजोनेंस का उपयोग करके अमोनिया गैस सेंसर विकसित किए हैं। सी.सी.एस. विश्वविद्यालय, मेरठ के प्रो. संजीव कुमार ने चिकित्सा अनुप्रयोगों के लिए बायोमास व्युत्पन्न नैनोसिलिका पर आमंत्रित व्याख्यान दिया। उन्होंने विभिन्न चौनलों के माध्यम से मानव जाति पर प्रदूषण के खतरनाक प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने खतरनाक दूषित पदार्थों और बैक्टीरिया को हानिरहित पदार्थों में बदलने के लिए हरित प्रौद्योगिकी के उपयोग पर चर्चा की। उन्होंने स्मार्ट सामग्री उपकरण को डिजाइन करने के लिए मुख्य बिंदु पर चर्चा की यानी मैटेरियल्स विशिष्ट, मापने योग्य, प्राप्य, प्रासंगिक, समय-आधारित होना चाहिए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ. कमलेश पांडेय ने पॉलीमर कैरक्टराइजेशन के लिए एफटीआईआर स्पेक्ट्रोस्कोपी के एप्लिकेशन पर इनवाइटेड टॉक दिया। उन्होंने विभिन्न प्रकार के स्पेक्ट्रोस्कोपी और आईआर स्पेक्ट्रोस्कोपी की विभिन्न तकनीकों के साथ-साथ उनके प्रयोगात्मक सेटअप के बारे में चर्चा की। कान्फ्रेंस कन्वीनर प्रो एस पी पांडे ने बताया कि मानव जीवन की शुरुआत से ही मैटेरियल्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और यहां तक कि युगों का नाम भी मैटेरियल्स के नाम पर रखा गया था। स्मार्ट मैटेरियल्स और स्मार्ट डिवाइसेज का निर्माण पॉलिमर, सेमीकंडक्टर और अन्य एनर्जी मैटेरियल्स का उपयोग करके किया जा रहा है और इन्हें जीवन के हर पहलू में उपयोग किया जा रहा है। वैलेडिक्टरी सेशन में कान्फ्रेंस कन्वीनर प्रो. एस पी पांडे ने सभी का आभार व्यक्त किया। नेशनल कांफ्रेंस में प्रो. एसपी पांडे, डॉ. अमित कुमार शर्मा, डॉ. अजय कुमार उपाध्याय, डॉ. पराग अग्रवाल,डॉ दीप्तोनिल बनर्जी, डॉ. पवन कुमार सिंह डॉ. विष्णु प्रसाद श्रीवास्तव, डॉ. अमित कुमार गंगवार, मिस विधि गोयल, प्रो. असीम अहमद, डॉ. अरुण कुमार, श्री राहुल बिश्नोई, डॉ. जरीन फारुक, डॉ. संदीप वर्मा, श्री अजय चक्रवर्ती, श्री मनोज गुप्ता सहित सभी रिसर्च स्कॉलर्स मौजूद रहे।

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