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बदरी सदृशं तीर्थ , न भूतो न भविष्यति

–महिपाल गुसाईं–
समुद्रतल से 3124 मीटर की उंचाई पर स्थित बदरीनाथ धाम को भारत के पवित्र चारधामों में सबसे प्राचीन माना जाता है। इसे भू-बैकुंठ भी कहा जाता है। पौराणिक कथा है कि हिमालय के गंधमार्दन पर्वत शिखर पर बद्री बेर के वन में महाविष्णु ने नर-नारायण के रूप में तपस्या की थी। बद्रिकाश्रम में इन्हीं नामों से दो पर्वत वर्तमान में भी अस्तित्व में हैं। इस धाम की यात्रा बैकुंठ प्राप्ति के लिए की जाती है। मान्यता है कि आदि शंकराचार्य ने बद्रीश की मूर्ति को एक कुंड से निकाल कर पुनर्स्थापित किया था। बद्रीनाथ के कपाट खुलने की तिथि टिहरी नरेश के नरेन्द्रनगर स्थित राजमहल में बसन्त पंचमी को निकाली जाती है तथा बन्द करने की तिथि विजयादशमी के दिन तय होती है। शीतकाल में भगवान विष्णु के सखा उद्धव पाण्डुकेश्वर और शंकराचार्य की गद्दी को जोशीमठ लाया जाता है।
भू बैकुन्ठ धाम बदरीनाथ धाम की महिमा अपार है। स्कन्द पुराण में इस तीर्थ का वर्णन कुछ इस तरह किया गया है –
“बहूनि सन्ति तीर्थानि , दिवि भूमौ रसायु च।
बदरी सदृशं तीर्थ , न भूतो न भविष्यति।।”
अर्थात: यद्यपि स्वर्ग, पृथ्वी तथा पाताळ में असंख्य तीर्थ विद्यमान हैं, किन्तु बद्रिकाश्रम तीर्थ के समान कोई तीर्थ न पहले था न भविष्य में होगा।
सनातन धर्म के चार प्रमुख धामों में से एक आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा प्रतिस्थापित धाम श्री बदरीनाथ सर्वश्रेष्ठ धाम एवं इस धाम को सतयुग का धाम माना जाता है। इस धाम को भव्य और दिव्य बनाने के लिए समय समय पर अनेक लोगों द्वारा प्रयास किये जाते रहे हैं और इस धाम के वैभव का निरंतर विस्तार होता रहा है। आज के दौर में इस धाम को भव्य और दिव्य बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाका खीन्चा है। इसे नाम दिया गया है – बदरीनाथ महायोजना यानी बदरीनाथ मास्टर प्लान।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बदरीनाथ धाम मास्टर प्लान पर तेजी से काम चल रहा है। वस्तुत: बदरीनाथ धाम को भी काशी विश्वनाथ  कॉरिडोर की तर्ज पर स्मार्ट स्प्रिचुअल हिल टाउन के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का काम पूरा हो चुका है और अब परियोजना पर भी काम भी शुरू कर दिया गया है। बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान का पूरा नक्शा गुजरात की कंपनी आईएनआई ने डिजाइन किया है। इसी नक्शे के आधार पर पहले फेज का कार्य आरंभ हो चुका है।
बदरीनाथ धाम मास्टर प्लान के पहले फेज़ में वन वे लूप रोड का पहाड़ी शैली के पत्थर से निर्माण किया जा रहा है। इसमें लगभग 700 मीटर सड़क बनाई जाएगी। इसके साथ ही पास में ही अराइवल प्लाजा का निर्माण किया जाएगा, जहां यात्रा टिकट की बुकिंग, होटलों की जानकारी जैसी सुविधाएं तीर्थ यात्रियों को दी जाएगी। इसके अलावा बदरीनाथ में स्थित शेष नेत्र झील और बद्रीश झील का सौंदर्यीकरण होगा। ये दोनों झीलें लगभग 300 मीटर तक फैली हैं। यह  काम जल्द पूरा होगा। इसी तरह धाम में स्थित अस्पताल का विस्तारीकरण होगा, ताकि यहां आने वाले तीर्थयात्रियों को अच्छा उपचार सके।
बदरीनाथ धाम में सभी घाटों का सौंदर्यीकरण और निर्माण  भी किया जाएगा।इस प्रोजेक्ट के पहले फेज में लगभग 22 सरकारी भवनों के स्थान पर व्यवस्थित निर्माण किए जाएँगे। इसके लिए हुए भूमि अधिग्रहण के बाद प्रशासन ने लगभग 33 करोड़ की मुआवजा राशि भी भूस्वामियों को दे दी है।
बताते चलें कि जिस तरह से केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण  कार्य चल रहे हैं, उससे केदारनाथ धाम के प्रति देश विदेश के तमाम श्रद्धालुओं की दिलचस्पी बढ़ी है, उसी तरह निकट भविष्य में बदरीनाथ धाम के प्रति भी श्रद्धालुओं की आस्था और प्रबल होगी। बदरीनाथ मास्टर प्लान के धरातल पर उतरने का इस भू वैकुंठ धाम के प्रति श्रद्धालु बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।

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