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कालाढुंगी में बजरंगदल के शांति सैनिकों ( peace keepers) को लाठी-डंडों, तलवारों और निशाने लगाने का प्रशिक्षण

-जयसिंह रावत
हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में सम्प्रदाय विशेष के प्रति नफरत फैलाने वाले भाषणों का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि उससे पहले ही इसी साल कर्नाटक से लेकर जहागीर पुरी दिल्ली तक के दंगों के लिये बदनाम बजरंग दल की देवभूमि उत्तराखण्ड में सक्रियता ने प्रदेश के शांतिप्रिय नागरिकों की चिन्ता बढ़ा दी। बजरंग दल आगामी 22 मई से हल्द्वानी में एक सप्ताह का बहुचर्चित ’’शौर्य प्रशिक्षण वर्ग’’ शिविर का आयोजन करने जा रहा है, जिसमें युवाओं को आत्मरक्षा के नाम पर लाठी-डण्डों और तलवार आदि का प्रशिक्षण दिया जायेगा और धर्म विरोधियों के खिलाफ लड़ने के लिये उन्हें मानसिक तौर पर तैयार किया जायेगा। यह शिविर राज्य सरकार की पूरी जानकारी में चलेगा इसीलिये विभिन्न संगठनों ने धामी सरकार पर दंगाइयों और नफरत फैलाने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।


बजरंग दल के प्रदेश संगठन मंत्री अमित जी के अनुसार केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देशानुसार आगामी 22 से 29 मई तक कुमाऊं मंडल के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में संगठन के ‘‘शौर्य प्रशिक्षण वर्ग’’ शिविर का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 22 से लेकर 35 साल की उम्र के युवा शामिल होंगे। शिविर में विश्व हिन्दू परिषद की ही अनुशांगिक शाखा ’’दुर्गा वाहिनी’’ की युवा सदस्याएं आत्मरक्षा के गुर सीखेंगी। इस शिविर को प्रशासन की अनुमति के बारे में पूछे जाने पर अमित जी ने अनविज्ञता प्रकट करते हुये कहा कि इसकी जानकारी संगठन की स्थानीय शाखा को होगी। बजरंगदल के नेता ने मजबूरी में हल्द्वानी का जिक्र तो किया मगर आयोजन स्थल कालाढुंगी का उल्लेख नहीं किया। इस सम्बन्ध में जब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पंकज भट्ट से बात की गयी तो उनका कहना था कि पुलिस की जानकारी में बजरंगदल द्वारा कालाढुंगी में ऐसा कोई कैम्प आयोजित करने की जानकारी तो है मगर उन्हें पता नहीं कि उन्हें इसकी अनुमति मिली या नहीं, क्योंकि अनुमति एसडीएम कालाढुंगी द्वारा ही दी जानी है। उनका कहा था कि उन्हें अपने श्रोतों से यह जानकारी मिली है। इसके बाद जब कालाढुंगी परगने की एसडीएम सुश्री रेखा कोहली से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अब तक उनसे कोई अनुमति नहीं ली गयी है। कार्यक्रम तय हो गया, तैयारियां शुरू हो गयीं और ऐसे अति विवादास्पद कार्यक्रम की अनुमति नहीं ली गयी, तो समझा जा सकता है कि आयोजकों को सरकार से मिलने वाले सहयोग पर कितना भरोसा है या यूं कहे कि ‘‘सैंया भये कोतवाल तो फिर डर काहे का’’।
विश्व हिन्दू परिषद, जिसका अनुशांगिक संगठन बजरंग दल है, के मीडिया प्रभारी अजय से पूछने पर उन्होंने कहा कि शिविर के आयोजन की जानकारी तो उनको मिली है मगर विस्तृत जानकारी बजरंग दल के पदाधिकारी ही बता सकते हैं। वैसे भी वह इन दिनों अवकाश पर हैं। लेकिन बजरंग दल के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता के अनुसार उत्तराखण्ड में कोरोना के कारण पूरे दो साल बाद इस तरह का प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। इससे पहले देवबन्द में शिविर के आयोजन का प्रयास किया गया, मगर प्रशासन ने अनुमति नहीं दी। हल्द्वानी शिविर ‘‘सेवा सुरक्षा संस्कार’’ के कार्य का आधार बना कर जयकारा ‘‘वीर बजरंगे-हर हर महादेव’’ उद्घोष के साथ शुरू होगा। कार्यकर्ता का कहना था कि शिविर की जानकारी नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दे दी गयी है। शिविर में भाग लेने वाले युवाओं को लाठी चलाना, रस्सी पर चलना, निशानेबाजी, योग समेत आत्मरक्षा के गुर मार्शल आर्ट विशेषज्ञों द्वारा सिखाए जायेंगे। इसके अलावा बौद्धिक सत्रों में युवाओं को देश के गौरवशाली इतिहास की जानकारी दी जायेगी। इस कार्यकर्ता का कहना था कि हल्द्वानी शिविर में असली हथियारों की जगह टॉय गन और तलवार की जगह पर लोहे की पत्ती प्रयोग में लाई जायेगी। कार्यकर्ता ने स्वीकार किया कि कुछ लोग अपने लाइसेंसी हथियारों का उपयोग भी निशानेबाजी के लिये करते रहे हैं।
बजरंग दल कार्यकर्ता का कहना था कि उत्तराखण्ड में लगभग 12हजार कार्यकर्ता और 28 पूर्णकालिक समर्पित कार्यकर्ता हैं जो कि हिन्दुओं को चुनौती देने वाले असामाजिक तत्वों से रक्षा के लिये युवाओं का तैयार करते हैं।
मार्क्सवादी पार्टी की राज्य कमेटी के सदस्य अनन्त आकाश के अनुसार बजरंगदल का दंगे कराने का लम्बा इतिहास है। वैश्विक संगठन ’ह्यूमन राइट वॉच’ जैसे मानवाधिकार संगठनों में 2002 के गुजरात दंगों के लिये बजरंग दल को जिम्मेदार ठहराया था। सन् 2006 में नान्देड़ में बम बनाते समय विस्फोट में मरने वाले 2 लोग बजरंग दल के वहीं कार्यकर्ता थे जो कि परभनी मस्जिद विस्फोट में शामिल थे। अब बजरंगदल उत्तराखण्ड की शांति भंग करना चाहता है और राज्य की भाजपा सरकार राजनीतिक लाभ के लिये इस संगठन को प्रोत्साहित कर रही है।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा0 एन.एन. सचान के अनुसार बजरंगदल इस तरह के शिविर आयोजित कर शांतिप्रिय उत्तराखण्ड की समरसता बरबाद करना चाहता है और इस काम में उसे धामी सरकार का पूरा समर्थन मिला हुआ है। सचान के अनुसार बजरंग दल पंजीकृत संगठन नहीं है। लिहाजा उस पर प्रतिबंध लगना चाहिये। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धसमाना के अनुसार बजरंग दल भगवान राम का अपमान कर रहा है। राम प्रेम और सद्भाव के प्रतीक थे और ये नफरत और हिसंा के उपासक हैं। हाल ही में दिल्ली के जहांगीरपुरी में उत्पात करने के बाद अब देवभूमि उत्तराखण्ड को अशांत करना चाहते हैं। अगर उनके इरादे हिंसक नहीं तो फिर लाठी-डण्डों और तलवारों की ट्रेनिंग क्यों?

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