आपदा/दुर्घटना

सावधान: भयंकर लू जानलेवा हो सकती है इस साल !

In India, the National Disaster Management Authority (NDMA) recognized the severity of heatwaves by classifying them as a disaster in 2021. According to the Indian Meteorological Department, the frequency and intensity of heatwaves have been increasing over the past decade. Reports indicate a rising trend in heat-related mortalities, with thousands of deaths attributed to heatwaves in recent years. For instance, the 2015 heatwave was one of the deadliest, claiming over 2,500 lives. The economic impact is also significant, with losses in labor productivity, healthcare costs, and agricultural output. Rural regions, already strained by economic challenges, bear the brunt of these impacts, worsening poverty and health disparities.

 

-जयसिंह रावत
मौसम विज्ञानियों द्वारा वर्ष 2023 को पिछले 174 सालों का सबसे गर्म साल घोषित किये जाने के बाद अब भारतीय मौसम विभाग ने भी चालू वर्ष की ग्रीष्म ऋतु को सामान्य से अधिक गर्म होने की चेतावनी दे दी है। जाहिर है कि हमारे सामने एक नहीं बल्कि दो खतरे मुंह बायंे खड़े हैं। इनमें एक खतरा लू का और दूसरा खतरा अतिवृष्टि से बाढ़ आदि का है। इसलिये आशा की जानी चाहिये कि हमारी सरकारें और खास कर आपदा प्रबंधन तंत्र इन खतरों से निपटने के लिये तैयार हो चुका होगा।

 

मौसम विभाग की सामान्य से अधिक गर्मी की चेतावनी

इस साल कोलकाता में अधिकतम् तापमान 41 डिग्री सिल्सियस पार कर चुका है जबकि अभी ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत ही हुयी है। भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) द्वारा इस साल की ग्रीष्म ऋतु के बारे में जारी पूर्वानुमान के अनुसार अप्रैल से जून के बीच देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम् तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। केवल उत्तर पूर्व और उत्तर पश्चिम भारत के इक्का दुक्का क्षेत्रों में तापमान सामान्य से कम रहने की संभावना व्यक्त की गयी है। देश के अधिकांश हिस्सों में मासिक न्यूनतम तापमान भी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। विभाग द्वारा मैदानी इलाकों में हीट वेब याने कि लू चलने की चेतावनी दी गयी है। इसके साथ ही उत्तर पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों और मध्य भारत के कई हिस्सों, उत्तरी प्रायद्वीपीय भारत, पूर्व और उत्तर पूर्व के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने का पूर्वानुमान मौसम विभाग ने जारी किया हुआ है।

लू लगने से होती हैं हजारों मौतें

भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान भारत के हीटवेव संकट की भयावहता के चिंताजनक आंकड़े रेखांकित कर रहे हैं। विभाग के अनुसार पिछले एक दशक में लू की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हो रही है। हीटवेव संकट सिर्फ मौसम संबंधी या कृषि संबंधी मुद्दा नहीं बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती भी है। भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने हीटवेव्स की गंभीरता को पहचानते हुए इन्हें 2021 में आपदा के रूप में वर्गीकृत किया है। विभाग की रिपोर्टें गर्मी से संबंधित मृत्यु दर में बढ़ती प्रवृत्ति का संकेत देती हैं। हाल के वर्षों में हजारों मौतें हीटवेव के कारण हुई हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन एवं कमलजीत रे, एस एस रे, आर के गिरि और ए पी डिमरी आदि वैज्ञानिकों द्वारा 2021 में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार भारत में 50 वर्षों में हीटवेव ने 17,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है। इस शोध पत्र में कहा गया है कि 1971-2019 तक देश में 706 हीटवेव घटनाएं हुईं। एक अन्य शोध के अनुसार 2015 की घातक हीटवेव में 2,500 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। इससे श्रम उत्पादकता, स्वास्थ्य देखभाल लागत और कृषि उत्पादन में नुकसान के साथ आर्थिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्र, जो पहले से ही आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं, इन प्रभावों का खामियाजा भुगत रहे हैं, जिससे गरीबी और स्वास्थ्य असमानताएँ और बद्तर हो रही हैं।

लू वाले दिनों की संख्या बढ़ने का अनुमान

अभी अधिकतम् तापमान कहां तक उछलेगा, इसका पूर्वानुमान तो नहीं आया मगर 19 मई 2016 को राजस्थान के फलोड़ी में अधिकतम् तापमान 51 डिग्री सेल्सियस तक उछल चुका है। भारत हाल के वर्षों में भीषण गर्म हवाओं का सामना कर रहा है। देश में अत्यधिक उच्च तापमान अक्सर 50 डिग्री सेल्सियस के करीब चला जाता है, जिससे गर्मी की लहरें या लू पैदा होती है। ये गर्मी की लहरें आम तौर पर अप्रैल और जुलाई के बीच होती हैं, जो लाखों लोगों के जीवन और आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं। इन लू के थपेड़ों से कृषि प्रधान ग्रामीण क्षेत्र विशेष रूप से अधिक प्रभावित होते हैं। इस विकट मौसम के कारण फसल की पैदावार प्रभावित होती है और किसानों पर काम का बोझ बढ़ जाता है। गर्म हवाओं से शहरी क्षेत्र भी अछूते नहीं हैं। क्योंकि कंक्रीट और डामर की गर्मी से तापमान में वृद्धि होती है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2020 में हीटवेव के दिनों की संख्या चार थी। इसी प्रकार 2021 में गर्म लहरों के दिनों की संख्या तीन और 2022 में 17 थी। इस साल अप्रैल और जून के बीच गर्मी की लहरों के पूर्वानुमान से पता चलता है कि गर्मी की लहर वाले दिनों की संख्या सामान्य से ऊपर होगी, खासकर गुजरात, मध्य महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक जैसे क्षेत्रों में, इसके बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तरी छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में हीटवेव्स दिनों की संख्या अधिक रहेगह। शोधों से पता चला कि देश के विभिन्न हिस्सों में चार से आठ दिनों की सामान्य गर्मी की तुलना में इस बार दस से 20 दिनों तक गर्म लहरें चलने की आशंका है।

स्वास्थ्य के लिये खतरनाक हैं हीटवेव्ज

इन लू के थपेड़ों से बुजुर्ग, बच्चे और बाहर काम करने वाले लोग निर्जलीकरण जैसी गर्मी से संबंधित बीमारियों के प्रति संवेदनशील होते हैं। हीटवेब के दौरान लोगों में बेहोशी, त्वचा संबंधी समस्याएं, सांस फूलना, शरीर में दर्द, आंखों में संक्रमण, पीठ दर्द और चोट जैसी स्थितियों से पीड़ित होने की शिकायतें रहती हैं। विशेष रूप से, हीटवेव से थकावट और हीटस्ट्रोक, श्वसन संबंधी समस्याएं, त्वचा रोग और यहां तक कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसी गंभीर स्थितियां भी पैदा हो सकती हैं। लू लगने से एडर्ना (सूजन) और सिंकोप (बेहोशी) हो सकती है और आमतौर पर 39 डिग्री सेल्सियस यानी 102 डिग्री फारेनहाइट से नीचे बुखार आ सकता है। लू लगने से थकान, कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, मतली, उल्टी, मांसपेशियों में ऐंठन और पसीना आ सकता है। इससे दौरे या कोमा के साथ शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस यानी 104 डिग्री फारेनहाइट इससे अधिक हो सकता है जो कि एक संभावित घातक स्थिति है।

लू पीड़ित को कैसे बचायें ?

यदि आपको लगता है कि कोई हीटवेब से पीड़ित है तो उस व्यक्ति को छाया के नीचे किसी ठंडी जगह पर ले जाएं। पीड़ित को पानी या पुनर्जलीकरण पेय दें (यदि व्यक्ति अभी भी होश में है) और उस व्यक्ति को पंखे से हवा दें। यदि लक्षण बदतर हो जाएं या लंबे समय तक बने रहें या व्यक्ति बेहोश हो तो डॉक्टर से परामर्श लें। प्रभावित व्यक्ति के शरीर को ठंडा रखने के लिये उसके चेहरे और शरीर पर ठंडा गीला कपड़ा डालकर रखें। लेकिन उसे शराब, कैफीन या वातित पेय न दें। उसे बेहतर वेंटिलेशन के लिए कपड़े ढीले करें।

बहुआयामी राणनीति जरूरी है आपदा से निपटने के लिये

देश में हीटवेव संकट से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है। मुख्य रणनीतियों में ताप कार्ययोजनाओं को विकसित करना और लागू करना, सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना और अत्यधिक तापमान का सामना करने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करना शामिल है। सरकारें और स्थानीय अधिकारी लोगों की सुरक्षा के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और हीटवेव अलर्ट स्थापित कर सकते हैं। जन जागरूकता अभियान के तहत लोगों को गर्मी से संबंधित बीमारियों को पहचानने और हाइड्रेटेड रहने, चरम गर्मी के घंटों के दौरान बाहरी गतिविधियों से बचने और उचित कपड़े पहनने जैसे निवारक उपायों को अपनाने के बारे में शिक्षित करना जरूरी है। इसके साथ ही बुनियादी ढांचे में सुधार की नितांत आवश्यक है, जैसे हरित स्थानों को बढ़ाना और इमारतों को ठंडा रखने वाले पारंपरिक वास्तुशिल्प डिजाइनों को बढ़ावा देने से गर्मी के प्रभाव को कम किया सकता है। इसके अतिरिक्त, गर्मी प्रतिरोधी फसलें और अधिक कुशल शीतलन प्रणाली विकसित करने के लिए अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में निवेश दीर्घकालिक समाधान प्रदान कर सकता है।

 

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