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कोयला खानों के पानी से 900 गांवों के 18 लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं

As directed by the Coal Ministry, coal/lignite PSUs are taking several steps for the conservation and efficient use of mine water by supplying the same in its command areas for community usages such as drinking and irrigation. Mine water discharged from the operational mines as well as water available in abandoned mine voids of Coal/Lignite PSUs are benefitting approximately 18 lakh people living in about 900 villages in the proximity of coal mining areas.

उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो

कोयला मंत्रालय के निर्देशानुसार, कोयला/लिग्नाइट पीएसयू खानों के पानी के संरक्षण और कुशल उपयोग के लिए विभिन्न कदम उठा रहे हैं। पीएसयू अपने क्षेत्रों में पेयजल और सिंचाई जैसे सामुदायिक उपयोग के लिए खानों से पानी की आपूर्ति कर रहे हैं। कोयला/लिग्नाइट पीएसयू के परिचालित खानों से छोड़े गए पानी के साथ-साथ परित्यक्त खदानों में उपलब्ध पानी से कोयला खनन क्षेत्रों के आस-पास के 900 गांवों के लगभग 18 लाख लोगों को लाभ मिल रहा है।

चालू वित्त वर्ष के दौरान, कोयला/लिग्नाइट पीएसयू ने सामुदायिक उपयोग के लिए खानों के लगभग 4000 एलकेएल पानी की आपूर्ति करने की योजना बनाई थी, जिसमें से दिसंबर 2022 तक 2788 एलकेएल की आपूर्ति की जा चुकी है। इसमें से 881 एलकेएल पानी का उपयोग पेयजल सहित घरेलू उपयोग के लिए किया गया है। खानों के पानी के लाभार्थी मुख्य रूप से जनजातीय समुदाय और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोग हैं। यह प्रयास, सरकार के जल शक्ति अभियान के तहत जल संरक्षण के अनुरूप है।

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2022-23 में, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने वित्त वर्ष 23 के दिसंबर तक अपने हरित आवरण को 1600 हेक्टेयर तक विस्तारित करते हुए अपने वार्षिक वृक्षारोपण लक्ष्य 1510 हेक्टेयर को पार कर लिया है। सीआईएल ने चालू वित्त वर्ष में दिसंबर, 2022 तक 31 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं।

 

पिछले पांच वर्षों के दौरान 4392 हेक्टेयर के खनन पट्टा क्षेत्र में हुए हरित पहल से 2.2 एलटी/वर्ष की कार्बन सिंक क्षमता पैदा हुई है। कोयला/लिग्नाइट पीएसयू ने चालू वित्त वर्ष में दिसंबर 2022 तक लगभग 2230 हेक्टेयर भूमि में वृक्षारोपण किया है और लगभग 360 हेक्टेयर में घास लगाई गई है। इनकी विभिन्न खानों में सीड बॉल प्लांटेशन, ड्रोन के माध्यम से बीज छिड़काव और मियावाकी प्लांटेशन जैसी नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। खनन किए जा चुके क्षेत्र, ओवरबर्डन डंप और अन्य समस्याग्रस्त क्षेत्रों को सक्रिय खनन क्षेत्रों से अलग होते ही पुनः प्राप्त किया जाता है। ये वनीकरण गतिविधियाँ और हरित पट्टी विकास कार्य भी कार्बन सिंक का निर्माण कर रहे हैं। घने वृक्षों का आवरण वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद करता है और खनन कार्यों के दौरान उत्सर्जित धूल-कणों को कम करता है।

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