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भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाले मोटे अनाजों में बाजरा, रागी, कनेरी, जवार और कुट्टू शामिल हैं

                                                     Famous Red Rice of Yamuna Valley of Uttarkashi district of Uttarakhand.

By -Usha Rawat

मोटे अनाज की खेती ज्यादातर एशियाई और अफ्रीकी देशों में होती है जिनमें भारत, चीन , नाइजीरिया, माली देश में सबसे अधिक उत्पादन होता है। जबकि मोटे अनाज की खपत साल 2022 में दुनिया में 90.43 मिलियन मीट्रिक टन थी। जिसमें सबसे अधिक खपत 17.75 मिलियन मीट्रिक टन भारत और उसके बाद 13.70 मिलियन मेट्रिक टन चीन में हुई।भारत द्वारा निर्यात किए जाने वाले मोटे अनाजों में बाजरा, रागी, कनेरी, जवार और कुट्टू शामिल हैं।

मंडुआ को मडुआ या रागी भी बोला जाता है। सामान्य तौर पर मंडुआ या रागी का उपयोग अनाज के रूप में होता है क्योंकि यह ना सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि बहुत ही पौष्टिक भी होता है। प्रायः मंडुआ के आटे को गेहूं के आटे में मिलाकर प्रयोग में लाया जाता है और देश भर में इससे कई तरह के व्यंजन तैयार किए जाते हैं। मोटे अनाज में आठ अनाजों को जोड़ा गया है. जिसमें बाजरा, ज्वार, रागी, कंगनी, कुटकी, कोदो, सवां और चेना शामिल हैं। ये अनाज मानव शरीर के लिए काफी गुणकारी हैं. वहीं लोग मोटे अनाज का सेवन अलग-अलग तरीके से करते हैं।

जनता को पोषक आहार उपलब्ध कराने तथा घरेलू और वैश्विक मांग पैदा करने के लिये भारत सरकार ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (आईवाईएम) घोषित करने का संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव किया था। भारत के इस प्रस्ताव को 72 देशों का समर्थन मिला और संयुक्त राष्ट्र महा सभा (यूएनजीए) ने मार्च 2021 में वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित कर दिया। भारतीय मोटे अनाजों को वैश्विक बाजारों में पहुंचाने और अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के उद्देश्य को हासिल करने के लिये भारत सरकार ने सक्रिय होकर अनेकानेक हितधारकों (केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/संघ शासित प्रदेशों, किसानों, स्टार्ट अप, निर्यातकों, खुदरा कारोबारियों, होटलों, भारतीय राजदूतावासों आदि) को इससे जोड़ने के दृष्टिकोण के साथ काम किया।

अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 के दौरान पूरा फोकस उत्पादन और उत्पादकता, उपभोग, निर्यात, मूल्य श्रृंखला को मजबूत बनाने, ब्रांडिंग, स्वास्थ्य लाभ जागरूकता बढ़ाने आदि पर रहा। भारत सरकार ने इसे जन-अभियान बनाने के लिये अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया ताकि भारतीय मोटे अनाजों, उनके व्यंजनों, मूल्य वर्धित उत्पादों को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दिया जा सके। भारत में जी20 अध्यक्षता, मिलेट पाक-कला उत्सव, अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों, शेफ सम्मेलन, कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ), रोड़ शो, किसान मेलों, अर्धसैनिक बलों के लिये रसोइया प्रशिक्षण, दिल्ली और इंडोनेशिया में आसियान भारत मिलेट त्योहार आदि में श्रीअन्न (मिलेट) को बढ़ावा दिया गया।

अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), के पूसा परिसर, नयी दिल्ली में 18-19 मार्च 2023 को एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम वैश्विक मिलेट (श्री अन्न) सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री ने किया और मोटे अनाज पर आयोजित प्रदर्शन को तीन दिन और बढ़ाया गया। भारत को ‘श्री अन्न’ का प्रमुख वैश्विक केन्द्र बनाने के लिये मिलेट के बेहतर तौर तरीकों, शोध और प्रौद्योगिकियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझा करने के लिये भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर), हैदराबाद को वैश्विक उत्कृष्टता केन्द्र घोषित किया गया।

भारतीय मिलेट अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद मोटे अनाज के मूल्य वर्धित खाद्य उत्पादों, दैनिक व्यंजनों आदि को लेकर किसानों, महिला किसानों, गृहणियों, छात्रों और युवा उद्यमियों को प्रशिक्षण और उन्हें अपने उद्यम स्थापित करने में सहायता भी दे रहा है। संस्थान ने ’’ईट्राइट’’ टैग, संगठित जागरूकता कार्यक्रमों, कृषि- व्यवसाय इंक्यूबेटर, प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर आदि के तहत मोटे अनाज के खाद्य पदार्थ, उनकी ब्रांडिंग के लिये ‘‘रेडी टु ईट’’ और ‘‘रेडी टु कुक’’ सहित मूल्य वर्धित प्रौद्योगिकी भी विकसित की है।

राजस्थान में बाड़मेर के निकट गुडामलानी में बाजरा के नये क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र का 27 सितंबर, 2023 को उद्घाटन किया गया। वैश्विक स्तर पर मिलेट को लेकर जागरूकता और अनुसंधान सहयोग मजबूत बनाने के लिये एक नई पहल जैसे कि, ‘‘मिलेट और अन्य प्राचीन अनाज अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पहल (महारिषी)’’ को भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान अपनाया गया।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने मिलेट आधारित उत्पादों के लिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को 800 करोड़ रूपये के परिव्यय के साथ वर्ष 2022-23 से 2026-27 के लिये उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी। महिला और बाल विकास मंत्रालय के पोषण अभियान के तहत भी मोटे अनाज को शामिल किया गया। इसके अलावा खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस), एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और मध्याह्न भोजन के तहत मोटा अनाज खरीद बढ़ाने के लिये अपने दिशानिर्देशों में संशोधन किया।

भारत से मोटे अनाज का निर्यात संवर्धन, विपणन और विकास के लिये अंतरराष्ट्रीय बाजार में मोटे अनाज को बढ़ावा देने को समर्पित एक निर्यात संवर्धन फोरम स्थापित की गई। ईट राइट (सही खानपान) अभियान के तहत स्वस्थ और विविध आहार के हिस्से के तौर पर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) मिलेट उपयोग बढ़ाने को जागरूकता बढ़ा रहा है। सरकारी कर्मचारियों में मोटा अनाज उपभोग प्रोत्साहित करने के लिये सभी सरकारी कार्यालयों को विभागीय प्रशिक्षणों/बैठकों में श्री अन्न से तैयार जलपान और विभागीय कैंटीनों में श्री अन्न आधारित खाद्य पदार्थों को शामिल करने को कहा गया है।

कृषि और किसान कल्याण विभाग (डीए एण्ड एफडब्ल्यू) 28 राज्यों और जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख – दो संघ शासित प्रदेशों के सभी जिलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत पोषक-अनाजों (मिलेट) पर एक उप-मिशन चला रहा है। एनएफएसएम कार्यक्रम के तहत ज्वार, बाजरा, रागी/मंडुआ, गौण मिलेट जैसे कि कंगनी/काकुन, चीना, कोदो, झंगोरा/सांवा, कुटकी और दो छद्म मिलेट कुट्टू और चैलाई जैसे पोषक अनाज शामिल हैं।

एनएफएसएम- पोषक अनाजों के तहत राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के माध्यम से फसल उत्पादन और सुरक्षा प्रौद्योगिकियों, फसल प्रणाली आधारित प्रदर्शनों, नई जारी किस्मों/संकरों के प्रमाणित बीजों का उत्पादन और वितरण, एकीकृत पोषक तत्व और कीट नाशक प्रबंधन तकनीकों, बेहतर कृषि उपकरणों/औजारों/संसाधन संरक्षण मशीनरी, जल संरक्षण उपकरण, फसल मौसम के दौरान प्रशिक्षण से किसानों का क्षमता निर्माण, कार्यक्रमों/कार्यशालाओं का आयोजन, बीज मिनिकिट वितरण, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया आदि के माध्यम से प्रचार के जरिये किसानों को प्रोत्साहन दिया जाता है।

इसके अलावा, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत भारत सरकार राज्यों को राज्य विशिष्ट जरूरतों/प्राथमिकताओं के लिये लचीलापन भी प्रदान करती है। राज्य आरकेवीवाई के तहत राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय मंजूरी समिति से मंजूरी लेकर मिलेट (श्री अन्न) को बढ़ावा दे सकते हैं। इसके साथ ही असम, बिहार, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने मिलेट को बढ़ावा देने के लिये राज्य में मिलेट मिशन की शुरूआत की है।

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