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तितलियों का रंगविरंगा संसार : भारत में  पायी जाती हैं 13 हजार से अधिक तितलियाँ 

The diversity of global Lepidoptera is updated to 166,320 species, 143 families and 43 superfamilies, of which 13,124 species, 101 families and 31 superfamilies occur in India. Importantly, in this book, the authors rectified a taxonomic glitch and described a new family of Lepidoptera i.e., Heliocosmidae.

 

By- Usha Rawat

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने एक पुस्तक प्रकाशित की, जिसका शीर्षक है, ‘एन इलस्ट्रेटेड गाइड टू द लेपिडोप्टेरा ऑफ इंडिया: टैक्सोनोमिक प्रोसेजर्स, फैमिली कैरेक्टर, डायवर्सिटी एंड डिस्ट्रीब्यूशन’। इस किताब को डॉ. धृति बनर्जी, निदेशक, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जैडएसआई) के साथ डॉ. नवनीत सिंह, डॉ. राहुल जोशी और डॉ. पी. सी. पठानिया, जैडएसआई के वैज्ञानिक और हांगकांग के लेपिडोप्टेरा विशेषज्ञ, डॉ. आर.सी. केन्‍ड्रिक द्वारा संयुक्‍त रूप से लिखा गया है।

भारत के लिए, यह इलेस्‍ट्रेटेड गाइड अपनी तरह की पहली किताब है। वैश्विक लेपिडोप्टेरा की विविधता को 166,320 प्रजातियों, 143 परिवारों और 43 सुपरफैमिली में अद्यतन किया गया है, जिनमें से 13,124 प्रजातियां, 101 परिवार और 31 सुपरफैमिली भारत में पाई जाती हैं। महत्वपूर्ण रूप से, इस पुस्तक में, लेखकों ने एक टैक्सोनोमिक गिलिच को ठीक किया और लेपिडोप्टेरा के एक नए परिवार यानी हेलियोकोस्मिडे का वर्णन किया। तितलियाँ विशेष रूप से नीले, पीले और लाल रंग की ओर आकर्षित होती हैं, लेकिन वे रंगों की एक विस्तृत श्रृंखला की ओर भी आकर्षित होती हैं।

यह किताब 2019 में जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जैडएसआई) द्वारा आयोजित 6वें एशियाई लेपिडोप्टेरा संरक्षण संगोष्ठी के दौरान विचार-विमर्श से निकली कई चीजों में से एक है, जहां एक ऐसी पुस्तक के लिए व्यापक रूप से चर्चा की गई थी, जो लेपिडोप्टेरोलॉजी के क्षेत्र में शौकिया और पेशेवरों दोनों का मार्गदर्शन कर सके। यह परियोजना कोविड-19 महामारी के लॉकडाउन के दौरान शुरू की गई। इसके बाद, लेखकों ने लगातार चार वर्ष तक इस क्षेत्र से संबंधित जानकारी को अद्यतन किया और अंत में इसका परिणाम इस पुस्तक के रूप में सामने आया।

 

इस किताब का उद्देश्य भारत में पाई जाने वाली तितलियों और पतंगों के सभी परिवारों और सुपरफैमिलीज़ के लिए मुख्य नैदानिक लक्षणों को संक्षेप में बताना है। बेसल विभाजन की प्रमुख विशेषताओं और तितलियों और पतंगों के विभिन्न समूहों की सुपरफैमिली कंपोजिशंस को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक क्षेत्र में वाउचर सामग्री को इकट्ठा करने और क्यूरेट करने के तरीकों, प्रयोगशाला में अपनाई जाने वाली टैक्सोनोमिक प्रक्रियाओं, सुपरफैमिली और पारिवारिक स्तर की पहचान और विश्व स्तर पर लेपिडोप्टेरान विविधता और वितरण के पैटर्न के बारे में ज्ञान की रूपरेखा तैयार करती है। पॉल वारिंग (यूके), मार्क स्टर्लिंग (एनएचएम, यूके), गौरव नंदी दास और मार्टिन कोनविका (दक्षिण बोहेमिया विश्वविद्यालय, चेक गणराज्य) द्वारा लिखित तीन अध्याय पाठकों को लेपिडोप्टेरोलॉजी में विभिन्न तकनीकों से लैस करने के लिए समर्पित हैं।

परागणकों को आकर्षित करने के लिए पौधों में कई तरकीबें होती हैं – ज्वलंत रंग, आकर्षक सुगंध, रोमांचक आकार और पैटर्न, गर्मी और विद्युत क्षमता भी। लेकिन जो दिलचस्प है वह यह है कि ये परागणकर्ता विभिन्न पौधों से इन आकर्षक संकेतों को कैसे संसाधित करते हैं ताकि किस फूल का दौरा किया जा सके। यदि आपको चॉकलेट पसंद है, तो आप मिश्रित चॉकलेट के बड़े बैग में से किसे चुनेंगे? खैर, अधिकांश परागणकर्ताओं को भी इसी तरह की दुविधा का सामना करना पड़ता होगा। अब, एक हालिया अध्ययन से   कुछ अंतर्दृष्टि मिलती है कि कीड़े फूलों से इतने सारे संकेतों को कैसे संसाधित करते हैं।

भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, तिरुवनंतपुरम (आईआईएसईआर-तिरुवनंतपुरम) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया अध्ययन जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ था । यह दर्शाता है कि परागणकों की विशिष्ट रंग प्राथमिकताएँ होती हैं, वे नए रंग सीख सकते हैं और उनके लिंग के आधार पर उनकी पसंद में भिन्नता होती है। अध्ययन को भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा वित्त पोषित किया गया था।

शोधकर्ताओं ने आम प्रवासी तितली ( कैटोप्सिलिया पोमोना ) में रंग प्राथमिकताओं और सीखने की क्षमताओं की जांच की। इन चमकीले रंग की तितलियों में मजबूत रंग दृष्टि होती है और ये चारा खोजने और साथी चुनने के लिए रंग संकेतों पर अत्यधिक निर्भर होती हैं। वे पियरिड परिवार से संबंधित मध्यम आकार की तितलियाँ हैं और भारत में व्यापक रूप से पाई जाती हैं।

दोनों रूपों में, अकादमिक रूप से तकनीकी और सरल, प्राकृतिक इतिहास क्षेत्र गाइड शैली पुस्तक की मुख्य ताकत है।

तितलियों के पंखों में इस तरह से आकर्षक पैटर्न बनने का मुख्य कारण है पिगमेंटेशन, जो सामान्य रंग के लिए जिम्मेदार होता है. यह तितलियों का रंग बदलता नहीं है, नियमित रूप से एक रंग बनाए रखता है. इसमें किसी भी एंगल और कम लाइट में देखने पर भी बदालव नहीं आता. चमकीले रंग अन्य जानवरों के लिए एक चेतावनी के रूप में कार्य करते हैं कि तितली का स्वाद अच्छा नहीं है या वह जहरीली है। कुछ प्रजातियाँ छलावरण के लिए रंगीन होती हैं, जिससे शिकारियों के लिए उन्हें पहचानना कठिन हो जाता है।

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